ईडी केस : गिरफ्तारी के डर से मिली आजादी

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स्वतंत्रता दिवस के ठीक पहले आईएएस शुक्ला, टुटेजा के लिए राहत भरी खबर

नेशन अलर्ट / 97706 56789

बिलासपुर.

देश भले ही अपना स्वतंत्रता दिवस शनिवार को मनाएगा लेकिन स्वयं को गिरफ्तार कर लिए जाने के डर से दो वरिष्ठ अधिकारियों को शुक्रवार को ही आजादी मिल गई. दरअसल, छत्तीसगढ़ के आईएएस अफसर डा. आलोक शुक्ला व अनिल टुटेजा को आज बिलासपुर हाईकोर्ट से राहतभरी खबर सुनने को मिली.

उल्लेखनीय है कि राज्य में नागरिक आपूर्ति निगम ( नान ) में कथित तौर पर 36 हजार करोड़ का घोटाला हुआ था. इसमें आईएएस डा. शुक्ला व आईएएस टुटेजा भी आरोपी बनाए गए थे.

प्रवर्तन निदेशालय ने दर्ज किया था प्रकरण

प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी ) द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग का मामला जनवरी 2019 को दर्ज किया गया था. यह ईओडब्ल्यू-एसीबी द्वारा वर्ष 2015 में पंजीकृत अपराध दर्ज होने के बाद आया था.

उल्लेखनीय है नागरिक आपूर्ति निगम के 28 ठिकानों पर छापा मार कर करोड़ों रूपए बरामद किए गए थे. ऐसा तब के उन अधिकारियों ने एक प्रेसरिलीज में बताया था जोकि छापे की कार्रवाई में शामिल थे.

इस मामले में 28 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. इन 28 लोगों की सूची में डा. आलोक शुक्ला, अनिल टुटेजा का नाम नहीं था. प्रकरण दर्ज हुए करीब ढाई वर्ष हुए थे कि तभी राज्य शासन की ओर से पूरक चालान पेश किया गया.

यह पूरक चालान ऐन विधानसभा चुनाव के पहले प्रस्तुत किया गया था. इसी चालान में शुक्ला व टुटेजा जैसे अधिकारियों का भी नाम शामिल था. दोनों अधिकारियों की परेशानी तब और बढी़ जब इन पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस ईडी द्वारा दर्ज किया गया.

ईडी द्वारा अपने विरुद्ध केस रजिस्टर्ड किए जाने के बाद दोनों अधिकारी अपनी गिरफ्तारी के डर से मारे मारे कोर्ट पहुंचे थे. इधर, ईडी द्वारा जांच तेज किए जाने की खबरें मिलती रहीं.

ईडी द्वारा इन अधिकारियों को बयान दर्ज कराए जाने दिल्ली बुलाए जाने की खबरें भी बीच में सुनाई दी थीं. तब यह कहा गया था कि कोरोना जैसी महामारी के बीच दिल्ली में इन्हें तलब करना ठीक नहीं है.

ऐसी खबरें भी आईं थी कि ईडी का शिकंजा कभी भी इन अधिकारियों पर कसा जा सकता है. इस बीच दोनों ने बिलासपुर हाईकोर्ट में अपनी अग्रिम जमानत के लिए याचिका लगाई थी.

इस याचिका पर हाईकोर्ट के जज न्यायमूर्ति अरविंद चंदेल की एकल पीठ ने शुक्रवार को अपना फैसला इन दोनों अधिकारियों के पक्ष में सुनाया. हाईकोर्ट एडवोकेट अवी सिंह और आयुष भाटिया द्वारा कोर्ट में रखे गए तथ्यों से अदालत संतुष्ट हुई और उसने यह राहत दी है.

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