औसतन सवा बारह हजार मामले प्रतिदिन दर्ज हो रहे

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आवारा कुत्‍तों व अन्‍य के द्वारा काटने का प्रकरण

नेशन अलर्ट/नई दिल्‍ली.

आवारा कुत्‍तों अथवा पशुओं के द्वारा मनुष्‍यों के सहित पालतु जानवरों को काटने के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। औसतन 12 हजार 256 प्रकरण प्रतिदिन देशभर में दर्ज किए गए जिनमें कईयों की जान चली गई।

आवारा पशुओं जिनमें बहुतायत में कुत्‍ते शामिल हैं उन्‍होंने देश में एक तरह से आतंक मचा रखा है। क्‍या उत्‍तरप्रदेश, छत्‍तीसगढ़ तो क्‍या पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, महाराष्‍ट्र, गुजरात… शायद ही कोई राज्‍य छुटा हो जहां पर ऐसे प्रकरण दर्ज नहीं किए गए।

आंकड़ों में 2019 आगे

इस साल बीती 22 जुलाई तक आवारा कुत्‍तों सहित पशुओं के द्वारा काटने के 14 लाख 50 हजार 666 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। वैसे आंकड़ों के मामले में वर्ष 2019 बहुत आगे है। वर्ष 2019 में ऐसे 72 लाख 77 हजार 523 मामले दर्ज किए गए थे।

समन्वित रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) और समन्वित स्‍वास्‍थ्‍य सूचना प्‍लेटफार्म (आईएचआईपी) इस तरह के आंकड़े जुटाती है। उसके द्वारा जुटाए गए आंकड़े बताते हैं कि आवारा कुत्‍तों सहित पशुओं के द्वारा काटने के मामले वर्ष 2020 में 46 लाख 33 हजार 493 दर्ज किए गए थे।

वर्ष 2021 में इन आंकड़ों में थोड़ी सी गिरावट देखने को मिली। आवारा कुत्‍तों सहित पशुओं के काटने के मामले वर्ष 2021 में गिरकर 17 लाख 1 हजार 133 रह गए थे। इस साल अभी पांच महीने के आंकड़े चूंकि आने बाकी है इसकारण माना जा रहा है कि पिछले साल से अधिक मामले दर्ज हो सकते हैं।

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि इस तरह के मामलों में उत्‍तरप्रदेश देश में प्रथम स्‍थान पर है। उत्‍तरप्रदेश में पिछले करीब साढ़े तीन वर्ष के दौरान आवारा कुत्‍तों सहित पशुओं द्वारा मनुष्‍यों एवं पालतु पशुओं को काटने के सर्वाधिक 27.52 लाख मामले दर्ज किए गए थे।

यही आंकड़ा यदि देश के दृष्टिकोण में देखा जाए तो करीब साढ़े तीन वर्ष के दौरान 1 करोड़ 60 लाख 62 हजार 815 हो जाता है। इनमें ओडि़सा में इस अवधि में 3.91 लाख, मध्‍यप्रदेश में 5.30 लाख, बिहार में 5.57 लाख, आंध्रप्रदेश में 9.51 लाख, गुजरात में 11.09 लाख, पश्चिम बंगाल में 12.09 लाख, महाराष्‍ट्र में 15.75 लाख तो तमिलनाडु में 20.70 लाख ऐसे प्रकरण सामने आए हैं।

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