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रमन… ना मुख्‍यमंत्री का चेहरा होंगे, ना उनके नेतृत्‍व में भाजपा लड़ेगी चुनाव

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नेशन अलर्ट/रायपुर.

15 साल तक छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री रहे डॉ. रमन सिंह के लिए निकट भविष्‍य राजनीति के हिसाब से उज्‍जवल नजर नहीं आता है। भाजपा इस बार न तो उन्‍हें मुख्‍यमंत्री के चेहरे के रूप में प्रस्‍तुत करेगी और न ही उनकी नेतृत्‍व में 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा।

यह जानकारी भले ही चौंकाने वाली है लेकिन है पुख्‍ता.. भाजपा के आंतरिक सूत्र बताते हैं कि संभवत: इस बार मुख्‍यमंत्री के चेहरे के रूप में भाजपा किसी को भी प्रस्‍तुत नहीं करे। भाजपा अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को ही सामने रखकर चुनाव मैदान में उतर सकती है।

सूत्र यह भी बताते हैं कि वर्तमान में राजनांदगांव विधायक डॉ. रमन सिंह को शायद ही दुबारा पार्टी विधानसभा चुनाव में उतारे। उनके स्‍थान पर राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र से नए चेहरे की तलाश पार्टी ने शुरू कर दी है यह बताया जाता है।

… तो रमन का भविष्‍य क्‍या होगा इस पर जब बात की जाए तो पार्टी के सूत्र स्‍पष्‍ट कुछ नहीं कहते लेकिन इतना जरूर बताते हैं कि डॉ. रमन सिंह के नेतृत्‍व में भी पार्टी अब विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहती है। मतलब साफ है कि डॉ. रमन सिंह के स्‍थान पर इस बार पार्टी अपने नए नवेले प्रदेश अध्‍यक्ष अरूण साव व नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल के नेतृत्‍व पर भरोसा जता रही है।

तो क्‍या प्रदेश को मिलेगा नया चेहरा ?

भाजपाई अपनी ओर से इस बात के लिए आश्‍वस्‍त हैं कि छत्‍तीसगढ़ वह हर हाल में जीतने जा रहे हैं। उनका कहना है कि भूपेश बघेल के नेतृत्‍व में काम कर रही कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के किसी भी वर्ग को पूरी तरह से संतुष्‍ट नहीं किया है। शराबबंदी जैसे वायदे कर सरकार बनीं लेकिन सरकार ने शराब की कंसलटेंसी शुरू कर दी।

इससे महिलाओं के अलावा शराब नहीं पीने वाले लोग बुरी तरह से नाराज हैं। कई अन्‍य कारण भी वह गिनाते हैं जिसके चलते इस बार के चुनाव में भाजपा 2018 से कहीं ज्‍यादा बेहतर प्रदर्शन करने जा रही है। जब इन संभावनाओं का आधार जानना चाहा गया तो वह कहते हैं कि पार्टी ने अंदरूनी तौर पर तय किया है कि लोकसभा की तर्ज पर इस बार विधानसभा चुनाव में भी अधिकांश सीटों पर नए चेहरे उतारे जाएंगे।

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