बस्तर के दो ब्लॉक, 50 गांव, हजारों मोबाईल धारक लेकिन टावर एक

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दंतेवाड़ा।

बस्तर का इलाका आज भी हिंदुस्तान में पिछड़ा क्यों माना जाता है यह यदि जानना हो तो कटेकल्याण क्षेत्र का दौरा कर लीजिए। कटेकल्याण का नजदीकी ब्लॉक कुआकोंडा भी आप घूम कर आ जाईए। दोनों ब्लॉक के गांवों में आज भी लोग बातचीत करने के लिए किस तरह परेशान होते हैं यह जानना भी बेहद जरुरी है। दरअसल, आजादी के दशकों बाद भी यहां भारतीय दूरसंचार निगम लिमिटेड यानि कि बीएसएनएल का एक मात्र टावर लगा हुआ है। इस इकलौते टावर पर 50 गांवों के हजारों लोग आश्रित हैं।

गौरतलब है कि बीते दो महीनों में नकुलनार स्थित बीएसएनएल 20 से 25 दिन बंद रहा लोग जरुरी बात करने जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा या फिर बचेली की दौड़ लगाते रहे। कुआकोंडा में सरकारी कार्यालयों सहित लोगों के घरों में लगी वाईफाई सेवा भी बंद पड़ी है। कुआकोंडा सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में दो महीनों से वाईफाई सेवा बंद पड़ी है। विभाग के कर्मचारी बचेली के भरोसे काम करने के लिए मजबूर हैं।

दंतेवाड़ा जिले के पालनार को कैशलेस बनाया गया है। यहां फ्री वाईफाई जोन है मगर यहां भी वाईफाई सेवा घंटों बंद रहती है। बीएसएनल के भरोसे शुरू की गई यह कवायद यहां पर दम तोड़ती नजर आ रही है। लोगों को कहना है इस सुविधा को दुरूस्त करने की कई बार गुहार लगाई गई लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। बीएसएनल के जीएम एस सी तिवारी ने कहा कि बस्तर में 100 टावर लगाए जाने हैं। 3 जी का रेंज बहुत अधिक नहीं रहता है 500 मीटर का रेंज रहता है इसी को देखते हुए कुआकोंडा में एक और टावर लगाया जा रहा है । जल्द ही नेटवर्क और नेट की समस्या दूर हो जाएगी। पंचायतों को हाईटेक बनाने के तहत जिला प्रशासन ने दोनों ब्लाकों की 26 पंचायतों को ऑनलाइन सुविधा से जोडऩे की कवायद शुरू की थी जो अब तक पूरी नहीं हो पाई है। सरकारी कंपनी के भरोसे शुरू होने वाला सरकार आम तक पूरा नहीं हो पाया है। व्यापारी भी इसी एक टावर के भरोसे अपना व्यापार कर रहे हैं।

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