वायदों को पूरा नहीं करने को बनाया जाए दंडनीय अपराध

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नेशन अलर्ट/दुर्ग।

विधानसभा चुनावों में इस बार किसी भी राजनीतिक दल को किसानों का वोट हासिल करने के लिए उनकी मांगों पर ध्यान देना होगा। चुनाव के मद्देनजर किसान अपनी मांगों को लेकर खुल कर सामने आए हैं। छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन ने बकायदा अपनी 10 सूत्रीय मांगे सामने रख दी हैं।

राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र में अपने एजेंडे शामिल किए जाने को लेकर किसान संगठन सक्रिय हो गए हैं। छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन का कृषि उपज मंडी दुर्ग में हालही में किसान महापंचायत आयोजित की गई थी। दुर्ग, बालोद, बेमेतरा और राजनांदगांव जिलों के सैकड़ों किसान प्रतिनिधि इसमें शामिल हुए थे।

दिलचस्प ये है कि किसानों ने पंचायत में तय किया है कि चुनावी घोषणा पत्र में शामिल वायदों को पूरा नहीं करने पर दंडनीय अपराध और आजीवन कारावास का प्रावधान करने की भी मांग किसानों ने की है।

ये हैं किसानों की मांग

  • सितंबर 18 की स्थिति में किसानों को कर्ज मुक्ति किया जाए।
  • कृषि उपज मूल्य निर्धारण आयोग (सीएससीपी) द्वारा हर साल निर्धारित किये जाने वाले सी-2 लागत मूल्य पर 50 प्रतिशत लाभ जोड़कर धान का मूल्य दिया जाए। समर्थन मूल्य चाहे जो हो, प्रदेश में उत्पादित पूरी धान की खरीदी किया जाए। देश का सी-2+50 प्रतिशत (स्वामिनाथन रिपोर्ट के अनुशंसा के अनुरुप)मूल्य देने वाला पहला राज्य बने।
  • सिंचित किसानों को बिजली अनुदान 2 हजार करोड़ रुपए दिया जाता है। उसी प्रकार असिंचित धान वाले किसानों को भी 3 हजार करोड़ रुपए का अनुदान देने की मांग उन्होंने रखी है।
  • राज्य के सालाना बजट का 40 प्रतिशत कृषि और कृषि विकास (कृषि बजट) के लिये आबंटित किया जाए।
  • सिंचाई सुविधा के लिये पंचवर्षीय योजना बनाकर सिंचाई का व्यापक विस्तार किया जाए।
  • फसल बीमा योजना में निर्धारित उपज को बढ़ा कर असिंचित धान के लिए 40 क्विंटल और सिंचित धान के लिए 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर निर्धारित किया जाए।
  • फसल बीमा योजना में बीमित राशि को दो गुना करने की मांग किसानों ने रखी है।
  • सूखा राहत की राशि को बढ़ाकर असिंचित धान के लिये 20 हजार और सिंचित धान के लिए 30 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर सरकार दे ऐसी मांग किसानों की है।
  • सब्जी उत्पादक किसानों के लिये ब्लाक स्तर पर शीत भंडारण गृह, प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना, मंड़ी में दलाल एवं आढ़त से मुक्ती और दुग्ध उत्पादक किसान को वित्तीय सहायता एवं बाजार उपलब्ध कराने की मांग को भी इस एजेंडे में शामिल किया गया है।
  • आशा योजना के तहत प्रदेश में दलहन की खरीदी किए जाने का मसला भी इसमें शामिल है।
  • कृषि आदान सामग्री खरीदी में तकनीक को बढ़ावा देते हुए 90 प्रतिशत अनुदान व बिचौलिए की भूमिका को समाप्त कर पूरे अनुदान का लाभ किसानों को मिले ये सुनिश्चित करने की मांग है।
  • सरकार में आने के बाद छ: महिने के अंदर सभी प्रकार के राजस्व प्रकरणों का निराकरण किया जाए जिससे हर किसान सरकार के योजनाओं का लाभ ले सके।
  • आवारा पशुओं से फसल की सुरक्षा हेतू व्यापक कार्ययोजना तैयार करने की मांग भी इसमें है।
  • किसानों के लिए चलाई जाने वाली हर योजना में सत प्रतिशत पारदर्शिता सुनिश्चित करने की बात का उल्लेख है इसमें।

किसान महापंचायत में प्रमुख रूप से राजकुमार गुप्ता, आईके वर्मा, झबेंद्र भूषण दास वैष्णव, पुरुषोत्तम वाघेला, उत्तम चंद्राकर, बद्री प्रसाद पारकर, बाबूलाल साहू, बेमेतरा जिला के तोरण नायक, यशवंत साहू, उमाशंकर साहू, बालोद जिला के हुकुम लाल साहू, ताम्रध्वज साहू, अर्जुन साहू व अन्य शामिल हुए ।

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