36 गढ़ का 36 हजार करोड़ का कथित घोटाला फिर सुना नहीं जा सका

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नेशन अलर्ट/नई दिल्‍ली/रायपुर।

देश की सर्वोच्‍च अदालत में छत्‍तीसगढ़ के नागरिक आपूर्ति निगम (नान) में हुए 36 हजार करोड़ के कथित घोटाले की सुनवाई अंतत: आज नहीं हो पाई। पूरे प्रदेश सहित देश की चुनिंदा आंखों की नजर नान के जिस कथित घोटाले पर है वह अब संभवत: एक हफ्ते के बाद सुना जा सकेगा।

उल्‍लेखनीय है कि यह मामला छत्‍तीसगढ़ में बेहद प्रभावशील माना जाता है। इस मामले की शुरूआत प्रदेश की तत्‍कालीन भाजपा सरकार के समय हुई थी। तब प्रदेश की इकॉनॉमिक अफेंस विंग (ईओडब्‍ल्‍यू) ने नागरिक आपूर्ति निगम के छोटे बड़े कार्यालयों में छापा डालकर मामले को उजागर किया था।

उस समय ईओडब्‍ल्‍यू के चीफ प्रदेश के ताकतवर पुलिस अधिकारी रहे आईपीएस मुकेश गुप्‍ता हुआ करते थे। बाद में प्रकरण ने राजनीतिक रंग ले लिया। इसे लेकर प्रदेश की तत्‍कालीन विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने तब के सत्‍ताधारी दल भाजपा को निशाने पर लिया था। तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री डॉ रमन सिंह और उनकी धर्मपत्‍नी श्रीमति वीणा सिंह को लेकर कई तरह के आरोप लगाए गए थे।

शुक्‍ला थे चेयरमेन, टुटेजा हुआ करते थे एमडी

वर्ष था 2015… तारीख थी फरवरी माह की 12… प्रदेश की ईओडब्‍ल्‍यू-एसीबी की टीम ने नान के तकरीबन दो दर्जन से अधिक कार्यालयों में छापा मारा था। छापे मारने का कारण तब यह बताया गया था कि घटिया चावल राइस मिलर्स से लिया गया था। इसके एवज में करोड़ों रूपए अर्जित किए गए थे। तब नमक और परिवहन में भी गड़बड़ी की बातें सुनाई दी थी।

उस वक्‍त आईएएस अफसर डॉ आलोक शुक्‍ला नान के चेयरमेन हुआ करते थे। नान के मैनेजिंग डायरेक्‍टर का जिम्‍मा तब आईएएस अफसर अनिल टुटेजा के कंधों पर था। ये दोनों अफसर जितने ताकतवर भाजपा शासनकाल में माने जाते थे उससे ज्‍यादा ताकतवर आज प्रदेश की कांग्रेस सरकार के समय माने जाते हैं।

डॉ शुक्‍ला वैसे तो आईएएस की पोस्‍ट से रिटाय‍र हो चुके हैं लेकिन इन दिनों संविदा पर कांग्रेस की उस छत्‍तीसगढ़ सरकार को अपनी सेवा दे रहे हैं जिस कांग्रेस ने आईएएस-आईपीएस-आईआरएस जैसे अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की संविदा नियुक्ति पर सवाल उठाए थे। इन दिनों शुक्‍ला छत्‍तीसगढ़ में शिक्षा जैसे महत्‍वपूर्ण विभाग की जिम्‍मेदारी संविदा पर संभाल रहे हैं।

इसी तरह तब नान के एमडी रहे अनिल टुटेजा इन दिनों प्रदेश में उद्योग विभाग का कामकाज देख रहे हैं। आईएएस टुटेजा को भी कांग्रेस सरकार का बेहद नजदीकी बताया जाता है। चर्चा तो यह भी सुनाई देती है कि आईएएस टुटेजा प्रदेश की कांग्रेस सरकार को सलाह मसवरा देने के साथ ही बड़े अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग की लिस्‍ट भी कथित तौर पर फाइनल करते हैं।

मिली थी एक डायरी

नान के इस कथित घोटाले को छत्‍तीसगढ़ में बेहद प्रभावशाली घोटाला बताया जाता है। घोटाले के दौरान तब एक डायरी मिली थी जिसके कथित पन्‍ने विभिन्‍न चैनल्‍स, अखबारों से लेकर सोशल मीडिया में चर्चित हुए थे। डायरी के इन्‍हीं पन्‍नों की चर्चाओं में तब के मुख्‍यमंत्री डॉ रमन सिंह का नाम था। उनकी धर्मपत्‍नी वीणा सिंह से लेकर उनके नाते रिश्‍तेदारों के नाम कथित घोटाले से लाभ अर्जित करने वाले लोगों में शामिल थे।

उस समय प्रदेश की ईओडब्‍ल्‍यू-एसीबी की टीम ने 27 लोगों पर जुर्म दर्ज किया था। बाद में मामला आलोक शुक्‍ला और अनिल टुटेजा पर भी दर्ज हुआ था। अनिल टुटेजा और डॉ आलोक शुक्‍ला को मामले में हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत लेनी पड़ी थी। इन्‍हीं की अग्रिम जमानत को खारिज कराने के लिए एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है।

दूसरी याचिका इस मामले के ट्रायल को छत्‍तीसगढ़ राज्‍य से अन्‍यत्र स्‍थानांतरित कराने सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है। इन्‍हीं दोनों याचिकाओं पर आज सुनवाई होनी थी जो कि नहीं हो पाई। मामला अब हफ्ते भर के लिए टल गया है। प्रकरण आज सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस यूयू ललित व जस्टिस रविंद्र भट्ट की बैंच को सुनना था लेकिन सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता के आग्रह पर अगली तारीख तक के लिए टाल दिया गया।

ईओडब्‍ल्‍यू से ईडी तक इनवॉल्‍व

नान का यह कथित घोटाला प्रदेश के ईओडब्‍ल्‍यू ने पकड़ा था। बाद में मामला प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) तक पहुंच गया। दरअसल, ईडी ने वर्ष 2019 में मनी लॉड्रिंग का केस दर्ज किया था। 27 फरवरी 2020 को आयकर विभाग की एक छापामार कार्यवाही में रूपए पैसे के लेनदेन के जो सबूत मिले थे उसे देखते हुए प्रकरण ईडी को सौंप दिया था।

तब प्रदेश में खबर आई थी कि ईडी ने आईएएस अफसर डॉ आलोक शुक्‍ला व अनिल टुटेजा को पूछताछ के लिए अपने दिल्‍ली स्थित कार्यालय बुलाया है। इसी दौरान अचानक ही शुक्‍ला और टुटेजा को बिलासपुर हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत दे दी। ईडी अब दोनों अधिकारियों को मिली इसी अग्रिम जमानत को खारिज कराने याचिका लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। ए‍क अन्‍य याचिका में उसने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि प्रकरण को प्रदेश से अलग स्‍थानांतरित कर इसकी सीबीआई जांच कराने की अनुमति दी जाए।

जानकार बताते हैं कि नान का यह 36 हजार करोड़ का कथित घोटाला इतना सामान्‍य भी नहीं है जितना समझा जाता है। जो अधिकारी इसमें आरोपी बनाए गए हैं वह जितने ताकतवर भाजपा सरकार के समय हुआ करते थे उससे ज्‍यादा ताकत आज कांग्रेस सरकार के समय उनके पास छत्‍तीसगढ़ में बताई जाती है।

इसके अलावा जानकार कहते हैं कि आयकर विभाग ने अपने छापे के बाद छत्‍तीसगढ़ से बरामद हुए कुछ एक डिजीटल प्रूफ ईडी को सौंपे थे। इन्‍हीं डिजीटल प्रूफ में इन स्‍क्रीप्‍ट मैसेज भी शामिल हैं। इसे ही सील बंद लिफाफे में ईडी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में प्रस्‍तुत करने की बात गाहे बेगाहे सुनाई देती रही है। ईडी ने एक हलफनामा भी सुप्रीम कोर्ट में प्रस्‍तुत किया है जो कि इन दिनों मामले से जुड़े छोटे बड़े आरोपी अधिकारी-कर्मचारियों की जुबान पर आता जाता रहता है।

न्‍यायलयीन कार्यवाही को नजदीक से देखने समझने वाले बताते हैं कि दरअसल, नान घोटाले में छत्‍तीसगढ़ में सत्‍ता का खुलकर दुरूपयोग किया गया है। साक्ष्‍य प्रभावित किए गए हैं। गवाह डरा-धमका दिए गए हैं। प्रकरण कुल मिलाकर कमजोर किया गया है। अब जबकि इसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एक वर्ष के भीतर खत्‍म होनी है तो नान का कथित घोटाला एक बार फिर से सुर्खियां बटोर रहा है।

36 हजार करोड़ का यह कथित घोटाला रायपुर के न्‍यायालय में भी चल रहा है। बताया तो यह तक जाता है कि प्रकरण में कुल जमा 29 पर आरोप लगाते हुए ईओडब्‍ल्‍यू ने प्रकरण दर्ज किया था जबकि जब चालान की बारी आई तो इनमें से 18 के खिलाफ ही चालान प्रस्‍तुत किया गया। ईओडब्‍ल्‍यू ने तब कहा था कि कुछ एक आरोपी शासकीय गवाह बन गए हैं जबकि कुछ के खिलाफ चालान प्रस्‍तुत नहीं हो पाया।

बताया तो यह तक जाता है कि रायपुर कोर्ट में अब तक 173 गवाह के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। इन दिनों अंतिम गवाह के रूप में संजय देवस्‍थले नाम के पुलिस अधिकारी का बयान अभियोजन की ओर से दर्ज कराया जा रहा है। 22 अगस्‍त से बयान दर्ज करने की कार्यवाही नियमित तौर पर हो रही है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई 2022 को प्रकरण की सुनवाई के लिए यह कहते हुए अंतिम समय दिया था कि एक वर्ष के बाद समय में वृद्धि‍नहीं होगी।

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