झीरम कांड : फिर भाजपा पर बरसी कांग्रेस

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रायपुर.

बस्तर के झीरम में हुआ दर्दनाक कांड आज तक जिंदा है. यह कांग्रेस-भाजपा के लिए खींचतान का विषय बना हुआ है. एनआईए कोर्ट के एक फैसले के बाद अपने नेताओं की एक पीढी़ इस कांड में खोने वाली कांग्रेस अब फिर भाजपा पर आक्रामक हो गई है.

झीरम मामले में एनआईए कोर्ट के निर्णय का कांग्रेसियों ने स्वागत किया है. दरअसल, झीरम मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने अपनी तरफ से एसआईटी गठित की थी.

इस एसआईटी के गठन पर केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए को आपत्ति थी. उसने एसआईटी के गठन को न्यायालय में चुनौती भी दी थी जोकि खारिज हो गई. इसी फैसले का कांग्रेसियों द्वारा स्वागत किया जा रहा है.

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि इस निर्णय ने साबित किया है कि झीरम नरसंहार के षडयंत्र की अलग से जांच करने का भूपेश सरकार का फ़ैसला एकदम सही है.

वे कहते हैं ” यह भी स्पष्ट हो गया है कि केंद्र की भाजपा सरकार दूसरी केंद्रीय एजेंसियों की तरह एनआईए का भी दुरुपयोग कर रही है. वह नहीं चाहती कि झीरम का सच सामने आए”.

भाजपा नहीं चाहती कि सच उजागर हो

त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा लगातार झीरम षडय़ंत्र का पर्दाफाश होने से रोकने में लगी रही है. यह भाजपा के नेता ही बता सकते हैं कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं?

उन्होंने कहा है कि एनआईए की  प्रथम रिपोर्ट में माओवादियों के शीर्ष नेताओं गणपति, रमन्ना और गुड्सा उसेंडी झीरम घटना में भागीदारी की बात थी.लेकिन जब चालन पेश हुआ तो इनके नाम हटा दिए गए.

वे पूछते हैं कि किसके कहने से यह नाम हटे? एनआईए की अदालत ने निर्देश दिए थे कि एनआईए गुड्सा उसेंडी का बयान दर्ज करे लेकिन गिरफ़्तार हो चुके गुडसा उसेंडी से आज तक बयान तक नहीं लिया गया.

उन्होंने कहा है कि अदालत में एनआईए ने झीरम मामले की फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर कहा कि एनआईए की झीरम की जांच पूर्ण हो गई. एनआईए की वेबसाइट पर यह सूचना भी प्रदर्शित होती रही.

लेकिन राज्य में भाजपा की हार के बाद जब कांग्रेस की सरकार आई और उसने झीरम के षडयंत्र की जांच के लिए एसआईटी के गठन की घोषणा की तो अचानक एनआईए को याद आ गया कि उसकी जांच पूरी नहीं हुई है.

शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि एनआईए की आड़ में केंद्र की भाजपा सरकार षडयंत्र की जांच को रोक रही है. सीबीआई जांच के मामले में भी भाजपा की मंशा स्पष्ट हो गई थी.

राज्य में कांग्रेस के दबाव में तत्कालीन रमन सरकार ने मामला सीबीआई को सौंपने की घोषणा तो कर दी लेकिन केंद्र सरकार के दबाव में सीबीआई ने जांच हाथ में लेने से इनकार कर दिया.

रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ की जनता को यह क्यों नहीं बताया कि सीबीआई ने जांच करने से इनकार कर दिया है?

त्रिवेदी ने पूछा है कि जो लोग जांच का विरोध कर रहे है वे ऐसा क्यों कर रहे? झीरम के शहीदों के परिजनों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ की जनता भी जानना चाहती है कि षडयंत्र का पर्दाफ़ाश हो पर भाजपा के नेता इसे रोक रहे हैं.

यह तो जनता भी समझ रही है कि ऐसा क्यों हो रहा है.पर यह जानना ज़रूरी है कि रमन सिंह और उनके कहने पर केंद्र सरकार किसे बचाना चाहते हैं?

उन्होंने कहा कि एनआईए जांच के नाम पर जो लीपापोती शुरु हुई वह बेहद पीड़ा पहुंचाती है. न तो एनआईए ने इस षडयंत्र की जांच की और न रमन सिंह सरकार ने जांच आयोग के जांच के दायरे में षडयंत्र को रखा है. राज्य सरकार जांच करना चाहती है तो अडंगे अटकाए जा रहे हैं.

कांग्रेस के दिग्गज नेताओं सहित कार्यकर्ताओं और सुरक्षा कर्मियों की जान क्यों गई और इसका षडयंत्र किसने रचा यह जानने का हक़ छत्तीसगढ़ की जनता को है.

इसे भाजपा के नेता छीनना चाहते हैं..अदालत के फ़ैसले ने साबित किया है कि राज्य सरकार का फैसला जनहित और जन भावना का फैसला है.

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