क्यूं चुप्पी साध लेते हैं मोदी ?

शेयर करें...

प्रकाशपुंज पांडेय / नेशन अलर्ट

97706 56789

नज़रिया.

देश की जो वर्तमान परिस्थिति है वह बेहद अधिक चिंता जनक है. इस पर हर देशवासी को गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि देश में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.

एक ओर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश में जाकर कहते हैं कि भारत में सब कुछ ठीक है. भारत में सब कुछ चंगा सी, एवरीथिंग इज़ फाइन इन इंडिया लेकिन दूसरी ओर देश में भूखमरी, बेरोज़गारी, अशिक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा, महंगाई आदि मुख्य मुद्दों पर वे चुप्पी साध लेते हैं.

चुनाव के वक्त तो मोदी जी बढ़-चढ़कर भाषणों में हिस्सा लेते हैं. उनकी वाकपटुता से जनता और उनके समर्थक मंत्रमुग्ध भी हो जाते हैं लेकिन जब बारी आती है देश के मुख्य मुद्दों की तब वे उस पर मौन धारण कर लेते हैं.

देश में आए दिन बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं. महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है. महंगाई बढ़ रही है. बेरोजगारी बढ़ रही है. देश की जीडीपी गिरती जा रही है. देश में आपसी भाईचारे में कमी आ रही है.

देश के लोग दो विचारधाराओं में बंटते जा रहे हैं लेकिन मोदी जी शांत रहते हैं. . . क्या यह उचित है ?

जब मोदी जी विपक्ष में थे तब वे प्याज की बड़ी हुई कीमतों को लेकर उनके नेताओं के साथ तत्कालीन सरकार को पानी पी पीकर कोसते थे लेकिन अब जब सत्ता में हैं और प्रधानमंत्री हैं तो फिर वे मौन क्यूं हैं?

साथ ही भाजपा के कई नेता जो उस समय सड़क पर आकर प्याज की बड़ी हुई कीमतों को लेकर आंदोलन करते थे . . . हाय-तौबा मचाया करते थे आज वे जब सत्ता में हैं तो मौन हैं. अब ये तो जनता को समझना होगा कि आखिर ऐसा क्यूं ?

भारत में जब से मोदी जी का शासन काल शुरू हुआ है तब से ही देश का इतिहास बदलने की कोशिश की जा रही है . . . लेकिन इतिहास गवाह है कि जिन्होंने भी इतिहास बदलने की कोशिश की है वे खुद ही इतिहास बन के रह गए हैं.

अब बात करते हैं विपक्ष की ! विपक्ष भी देश में ज्वलंत मुद्दों पर पूरी तरह से जनता की आवाज बनने में विफल रहा है. इसका सीधा सीधा फायदा नरेंद्र मोदी और भाजपा को मिलता जा रहा है. इसीलिए देश की इस स्थिति का उतना ये जिम्मेदार विपक्ष भी है.

2016 में जब देश में नोटबंदी लागू हुई थी उसके बाद देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई. ठीक 6 महीने बाद मोदी सरकार ने पुन: देश के व्यापार को विनाश करने वाला जीएसटी लागू कर दिया.

इससे लोगों की रही सही उम्मीद धरी की धरी रह गई. उसके बाद 370, आरक्षण बिल, एनआरसी और अब नागरिकता संशोधन बिल लागू किया गया क्यों कि सदन में इनके पास संपूर्ण से ज्यादा बहुमत है.

आखिर मोदी सरकार की मंशा क्या है यह समझना बहुत जरुरी है. जीएसटी में पेट्रोलियम पदार्थों को नहीं लाया गया. नोटबंदी करने के बाद 1000 की नोट के बदले 2000 का नोट लाया गया. फिर उस नोट को छापना बंद कर दिया गया.

इससे भ्रष्टाचार कम होने की बजाए और बढ़ गया. मोदी जी ने कहा था कि नोट बंदी के कारण नक्सलवाद और आतंकवाद में कमी आएगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

उसके बाद धारा 370 कश्मीर से हटाया गया. वहां के नेताओं को नजरबंद कर दिया गया. इंटरनेट, टेलीफोन, मोबाइल कनेक्टिविटी की सुविधा बंद कर दी गई.

उसके बाद असम में एनआरसी लागू हुआ जिसके दुष्परिणाम देश देख रहा है और अब नागरिकता संसोधन बिल . . . जिसके कारण पूरे पूर्वोत्तर में आगजनी हो रही है , लोग आंदोलित हैं.

आज दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया युनिवर्सिटी के छात्र आगजनी पर उतर आए हैं. कई मुस्लिम संगठन इसके विरोध में आंदोलित हैं. आखिर इससे देश को क्या मिल रहा है? आगजनी व तोड़फोड़ से देश की ही संपत्ति का नुकसान हो रहा है.

देश की जनता अपने सांसदों को इसलिए चुनती है ताकि वे उनके मुद्दों को देश की संसद में उठाएं और उसके निवारण हेतु कानून बनाएं . . . लेकिन हो रहा है इसके उलट !

देश की मौजूदा मोदी सरकार देश का इतिहास बदलने के लिए ज्यादा आतुर है बजाए बेरोजगारी, महंगाई, चिकित्सा, स्वास्थ्य जैसी देश की जनता की अहम समस्याओं के निवारण करने के.

जो लोग प्रश्न पूछते हैं या तो उनके पीछे IT, ED या CBI लगा दी जाती है या फिर उन्हें पाकिस्तान की भाषा बोलने वाला बोलकर देशद्रोही करार दिया जाता है. यह कहां तक न्याय संगत है ?

इस पर देशवासियों को विचार करने की जरूरत है क्योंकि देश हम सबका है और प्रत्येक नागरिक की उतनी ही ज़िम्मेदारी बनती है देश के प्रति.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *