एमजीएम हॉस्पिटल पर कार्यवाही में महीनों लग गए

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रायपुर.

राज्य सरकार को आईपीएस मुकेश गुप्ता के स्वामित्व वाले एमजीएम आई हॉस्पिटल पर कार्यवाही में महीनों लग गए. अब जाकर सरकारी अनुदानों पर रोक लगाने के साथ ही इसकी मान्यता समाप्त कर दी गई है.

दरअसल आईपीएस मुकेश गुप्ता के सितारे उस दिन से ठीक नहीं चल रहे हैं जिस दिन राज्य में कांग्रेस की सरकार बैठी थी. कांग्रेस की सरकार ने उन्हें पहले तो ईओडब्ल्यू-एसीबी से हटाया फिर निलंबित भी कर दिया.

यह पहला अवसर है जब स्पेशल डीजी रैंक का अफसर राज्य में निलंबन की कार्यवाही झेल रहा है. मुकेश गुप्ता पर इसके अलावा कई अन्य मामले दर्ज किए गए.

इनमें नान घोटाला सहित फोन टेपिंग, मिक्की मेहता आत्महत्या (हत्या) प्रकरण के अलावा साडा की जमीन में अफरा तफरी करने का मामला प्रमुख है.

मिक्की मेहता की संदिग्ध मौत के मामले में उनके भाई माणिक मेहता साडा की जमीन के मामले में भी शिकायतकर्ता के रूप में सामने आए.

उनकी शिकायत पर आईपीएस मुकेश गुप्ता के खिलाफ सुपेला (दुर्ग) थाने में अपराध दर्ज किया गया.

अब जाकर एमजीएम पर कार्यवाही बताती है कि सरकार आईपीएस मुकेश गुप्ता को यूंही छोड़ देना नहीं चाहती है.

उन पर लगे आरोपों के मध्य संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं का वह आदेश इस समय सुर्खियां बटोर रहा है जिसमें एमजीएम हॉस्पिटल पर कार्यवाही की गई है.

उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के इस आदेश में सरकारी अनुदानों से एमजीएम हॉस्पिटल वंचित कर दिया गया है. इसकी प्रतिलिपि छत्तीसगढ़ के सभी सीएमएचओ को भेजी गई है.

निलंबित आईपीएस गुप्ता से जुड़े एमजीएम ट्रस्ट की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश पूर्व में दिए गए थे. गुप्ता की दिवंगत पत्नी के नाम पर चल रहे ट्रस्ट मिक्की मेमोरियल को लेकर पंजीयक कार्यालय ने गंभीर टिप्पणी की थी.

सार्वजनिक न्यास रायपुर के पंजीयक ने ट्रस्ट के प्रबंधक को नोटिस भी भेजी थी. ट्रस्ट की समस्त चल अचल संपत्तियों के क्रय विक्रय, दान वसीयत के दस्तावेज और विवरण उपलब्ध कराने के लिए लिखा था.

इसी नोटिस में उन्होंने आयकर रिटर्न्स, स्टेटमेंट, आय व्यय के लेखा जोखा, ट्रस्टी एवं लोक न्यास से संबंधित सभी व्यक्तियों के विवरण, ब्यौरा, लेखा एवं रपट, चल अचल संपत्तियों का विवरण प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे.

इसी तरह की जांच में एमजीएम आई हॉस्पिटल के संदिग्ध 97 खाते भी पता चले थे. इसके बाद अभी हाल ही में ईओडब्ल्यू की एक टीम ने एमजीएम हॉस्पिटल की नाप जोख करने वहां का रूख किया था.

लेकिन एमजीएम हॉस्पिटल के कर्ताधर्ताओं ने बगैर सर्च वारंट सहित एफआईआर के जांच करने पर आपत्ति दर्ज की थी. उस वक्त टीम को मुंह लटका के आना पड़ा था.

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