सालों बाद मजदूर ने उठाई कलम, बन गई टॉपर

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रांची.

वर्षों के बाद कलम उठाई तो न केवल पढ़ाई पूरी की बल्कि विश्वविद्यालय की प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान भी अर्जित कर लिया. अब उसे शासकीय नौकरी मिल गई है.

बात यहां मुन्नावती की हो रही है. मुन्नावती डोलइंचा गांव की रहने वाली है. यह रांची से लगा हुआ है. मुन्नावती ने वर्ष 1998 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी. वर्ष 2005 तक वह पढ़ाई लिखाई से दूर रही.

ईंट भट्टे में किया काम

दरअसल मुन्नावती की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह आगे पढ़ सके. वह कहती हैं कि गरीब परिवार से हैं.

उन्होंने बताया कि दसवी के बाद उन्हें पढ़ाई छोडऩी पड़ी थी. इसका कारण घर की आर्थिक स्थिति रही. इस दौरान उन्होंने ईंट भट्टे में काम भी किया.

जैसे ही उन्हें थोड़ा सा वक्त मिला वैसे ही उन्होंने फिर पढ़ाई लिखाई करने का निश्चय किया. बेड़ो के करमचंद भगत कॉलेज में दाखिला लिया. संस्कृत से एमए किया.

उनकी आंख तब डबडबा गई जब उन्हें पता चला कि वर्ष 2019 में उन्होंने विश्व विद्यालय की प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान अर्जित किया है. साथ ही उन्हें पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेंट टीचर पद पर नियुक्ति भी मिल गई है.

मुन्नावती बताती हैं कि घर में एक भाई है. दो बहनें है जिनकी शादी हो चुकी है. उसे इस बात का जरा भी मलाल नहीं है कि वह इतने दिनों तक मजदूर रहीं. वह तो कहती हैं कि शिक्षा के दम पर मैंने एक मुकाम मजदूरी करके अर्जित किया है.

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