क्या बाबूलाल प्रकरण से ध्यान हटाने उठाया गया था एलेसेला प्रकरण?

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रायपुर।
क्या छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित आईएएस बाबूलाल अग्रवाल प्रकरण से ध्यान हटाने के लिए आईपीएस आईके एलेसेला का प्रकरण उठाया गया था? क्या बाबूलाल अग्रवाल को की गई मदद में कुछ और अफसरों के फंसने की आशंका को देखते हुए एलेसेला प्रकरण विधानसभा सत्र के दौरान उठाया गया? क्या बाबूलाल अग्रवाल प्रकरण में मठा डालने एलेसेला को विवादित बनाया गया? दुर्भाग्य से पत्रकारों की भी इसमें मदद ली गई!
दरअसल, सुकमा एसपी रहे आईके एलेसेला ने क्या कुछ कहा इसका आज दिनांक तक कोई आडियो-वीडियो जैसा साक्ष्य सामने नहीं आ पाया है। तो क्या आईके एलेसेला प्रकरण जानबूझकर उठाया गया था? प्रकरण उठाने के पीछे जो कारण नजर आ रहे हैं वह बाबूलाल अग्रवाल प्रकरण की ओर इशारा करते हुए परिलक्षित हो रहे हैं।
बाबूलाल से कैसे जुड़ा है ये प्रकरण
प्रदेश के बहुचर्चित आईएएस श्री बाबूलाल अग्रवाल इन दिनों मीडिया और सोशल मीडिया की पहली पसंद बने हुए हैं। दरअसल, अग्रवाल फरवरी से अखबारों की सुर्खियों में रहे हैं। 18 फरवरी को सीबीआई ने अग्रवाल के निवास में छापेमारी की थी।
21 फरवरी को सीबीआई ने साले आनंद अग्रवाल, बिचौलिए भगवान सिंह सहित अग्रवाल को हिरासत में ले लिया था। 22 फरवरी को हैदराबाद में दबिश देकर सैयद बुरहानुद्दीन को हिरासत में ले लिया था। तब से ये सारे सीबीआई के मेहमान बने हुए हैं।
इधर, खबरों में ईओडब्लू भी विवादित हो चला था। दरअसल अग्रवाल अपने केस को ईओडब्लू में स्थानांतरित करवाना चाहते थे और इसी के नाम पर उन्होंने डेढ़ करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश की थी। सवाल इस बात का है कि अग्रवाल जैसा चतुर और चालाक अफसर क्यूं कर अपने केस को ईओडब्लू में स्थानांतरित करवाने की कोशिश में लगा हुआ था? ईओडब्लू के विवाद में आने से छत्तीसगढ़ के दो चार बड़े अफसर भी विवादित हो रहे थे।
शुरु हुआ विधानसभा सत्र
इसी बीच राज्य विधानसभा का बजट सत्र शुरु हो गया। अफसरों को डर था कि विधानसभा में आईएएस बाबूलाल अग्रवाल प्रकरण उठाया जा सकता है। इसी डर के चलते संभवत: यह कहानी गढ़ी गई होगी। बस्तर के आईजी रहे एसआरपी कल्लूरी पहले से ही विवादों में थे। कल्लूरी के हटने और हटाए जाने के दौरान जो कुछ विवाद निर्मित हुए थे वो ठंडे पडऩे लगे थे।
इसी दौरान कल्लूरी अचानक बस्तर पहुंचे थे। कल्लूरी के साथ तबके बस्तर एसपी आरएन दास और सुकमा एसपी रहे आईके एलेसेला एक व्यक्तिगत कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इसी कार्यक्रम को लेकर यह खबर चर्चा में आई कि आईके एलेसेला ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को लेकर विवादित टिप्पणी की है। कल्लूरी पहले से ही मानवाधिकार को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निशाने पर चल रहे हैं।
इधर, एलेसेला की कथित तौर पर की गई टिप्पणी ने आग में घी का काम किया। सरकार ने भी किसी जांच के बाद ठोस नतीजे पर पहुंचे बगैर सुकमा एसपी पद से एलेसेला को हटा दिया। साथ ही साथ कुछ और एसपी भी बदल दिए गए।
अब सवाल इस बात का उठता है कि क्या एलेसेला ने ऐसा कुछ कहा था जो कि सरकार को नागवार गुजरा? क्या एलेसेला ने वाकई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को लेकर गलत टिप्पणी की थी? क्या बाबूलाल अग्रवाल प्रकरण से ध्यान हटाने राज्य के कुछ अफसरों ने इस तरह एलेसेला को निपटाया है?
ये वो सवाल हैं जो कि आज की तारीख में बेहद महत्वपूर्ण हो गए हैं क्यूंकि आज दिनांक तक इस तरह का कोई भी आडियो-वीडियो सामने नहीं आ पाया है। हमने बहुत सी जगहों पर साक्ष्य तलाशने की कोशिश के बाद बस्तर के कलेक्टर को फोन लगाया लेकिन उनके द्वारा कॉल रिसीव नहीं किए जाने के चलते इन सारे सवालों का जवाब नहीं मिल पाया है।

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