“सुपर सीएम” अमन सिंह को हिसाब देना पड़ेगा..

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रायपुर।

मुख्यमंत्री… माफ कीजिएगा, इस्तीफा दे चुके मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में हुई हार का मुख्य कारण कौन है?

क्या इसके लिए रमन सिंह के उन खास सिपहसालार को जिम्मेदार नहीं माना जाना चाहिए जिनके आगे-पीछे प्रशासन तो घूमता ही था बल्कि भाजपा का एक बहुत बड़ा वर्ग भी घूमता था?

राजा को सहीं समय पर सहीं राय देने के स्थान पर यदि कोई अपने स्वार्थ को लेकर राय दे तो उसे क्या माना जा सकता है? ऐसे सेनापति रहे तो किसी भी राजा की हार तय मानी जा सकती है.

इसी तरह के एक सिपहसालार डॉ. रमन सिंह ने भी अपने साथ जोड़ रखा था। ये सेनापति कम बल्कि तकरीबन राजा ही माना जाता था। इसे प्रदेश की राजनीति में सुपर सीएम के नाम से जाना जाने लगा था।

अब इसी सेनापति को जवाब देना पड़ेगा। अब संभव है कि अमन सिंह को प्रदेश में हुए भ्रष्टाचार का हिसाब देना पड़े। अब अमन सिंह को यह भी बताना पड़ेगा कि नान घोटाले से लेकर इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक घोटाले तक उनकी व वह जिस राजा के सेनापति थे उनकी क्या भूमिका थी? ऐसा इसलिए भी कि वे ही अब तक राजा के करीबी राज़दार रहे हैं।

अमन सिंह का छत्तीसगढ़ की राजनीति में धमाकेदार रोल 2009 के आसपास चालू हुआ। तब तक प्रदेश दूसरा चुनाव देख चुका था। कहा जाता है कि अमन सिंह ने प्रशासनिक तंत्र को अपने कब्जे में लेना चालू किया।

उन्होंने अपनी एक कोटरी तैयार की। इस कोटरी में दो लोगों ने प्रमुख भूमिका अदा की। एक थे आईपीएस मुकेश गुप्ता तो दूसरे थे शराब कारोबारी पप्पू भाटिया उर्फ बल्देव सिंह..।

माना जाता है कि आईपीएस मुकेश गुप्ता के सहारे उन्होंने भारतीय सेवा के अधिकारियों को या तो डराकर अथवा मिलाकर अपना तंत्र धीरे-धीरे कर बेहद मजबूत किया। 2013 के चुनाव निपटे थे कि यह तंत्र इस हद तक मजबूत हो गया कि भाजपा के ही नेता पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर अमन सिंह, मुकेश गुप्ता के खिलाफ शिकवा-शिकायत पर उतारु हो गए।

फिर भी, रमन के अमन-मुकेश का कोई कुछ नहीं कर पाया न बिगाड़ पाया। वह तो भूपेश बघेल जैसा जांबाज कांग्रेसी ही था जिसने ताल ठोककर इनके चक्रव्यूह को तोडऩे का क्रम जारी रखा।

धीरे-धीरे प्रदेश अब इनके खिलाफ हो गया है। भाजपा के ईमानदार नेता भी इनके साथ नहीं हैं..। तो क्या आने वाली कांग्रेस सरकार अमन सिंह को उनके कथित तौर पर भ्रष्ट आचरण को लेकर घेरने का प्रयास करेगी? क्या कांग्रेस अमन सिंह के साथ मुकेश गुप्ता, पप्पू भाटिया जैसे उस तंत्र को तोडऩे का प्रयास करेगी जिस तंत्र में कहा जाता है कि राजा का राज़दार तो वही है..।

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