भाजपा को सता रही चिंता, कैसे भेदें राघौगढ़

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भोपाल।

प्रदेश सरकार के दस सालों तक मुखिया रहे दिग्विजय सिंह द्वारा तैयार किए गए राघौगढ़ के अभेद किले को तोडऩे की भाजपा के सामने बड़ी चुनौती बनी हुई है। सिंह के बाद अब इस किले को अजेय बनाए रखने की जिम्मेदारी उनके पुत्र जयवर्धन सिंह उठा रहे हैं।
वे बीते चुनाव में यहां से विधायक बने थे। इस बार भी उनका चुनावी मैदान मे उतरना तय है। यही वजह है कि इस सीट को लेकर भाजपा में गहरी चिंता बनी हुई है। माना जा रहा है कि इस बार सिंह को चुनौती देने के लिए भाजपा इस बार भाजपा के पूर्व विधायक व वर्तमान में गुना नगर पालिका के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह सलूजा को मैदान मे उतार सकती है।
गौरतलब है कि गुना विस सीट अजा वर्ग के लिए आरक्षित सीट है। सलूजा इसी सीट पर उमा भारती की बनाई पार्टी भारतीय जनशक्ति के टिकट पर 2008 का चुनाव जीते थे। हालांकि बाद में उनके अनुसूचित जाति के प्रमाण पत्र को लेकर काफी विवाद हुआ था। वे इस बार भी गुना से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं लेकिन गुना जिले की भाजपा की सियासत और प्रदेश स्तर पर राघौगढ़ के लिए उम्मीदवार की तलाश को देते हुए राघौगढ़ के लिए प्रस्तावित करने की तैयारी है।
सूत्रों की माने तो सलूजा गुना के अलावा जिले की किसी अन्य विस सीट से प्रत्याशी बनने की जुगत की जा रही है। मालूम हो की वर्ष 2003 के ऐतिहासिक बदलाव वाले विस चुनाव में भाजपा ने तत्कालीन सीएम दिग्विजय सिंह के खिलाफ विदिशा के तत्कालीन सांसद और वर्तमान सीएम शिवराज सिंह चौहान को राघौगढ़ से मैदान में उतारा था। इस चुनाव में श्री चौहान भी दिग्विजय सिंह को चुनौती नहीं दे पाए थे। यह जरुर है कि वे जीत के अंतर को करीब 38 हजार कम करने में सफल रहे थे।
पार्टी ने 2008 और 2013 में भी पूरी तरह से ताकत लगा दी थी , फिर भी राघौगढ़ के किले को फतह करना संभव नहीं हो पाया। यही वजह है कि इस बार भाजपा को इस सीट पर प्रत्याशी चयन की चिंता सता रही है।

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