छत्तीसगढ़ को ओडीएफ घोषित कराने की हड़बड़ी में सरकारी अमला

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रायगढ़।

खुले में शौचमुक्त जिला बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने सरकारी अमला कैसे काम करता है यह यदि किसी को जानना हो तो रायगढ़ आ जाए. रायगढ़ वही जिला है जहां पर ओडीएफ के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक ही घर में 13 शौचालय बनवा देने का कारनामा सरकारी अमले ने अंजाम दिया है. मामला रायगढ़ जिले की किरोड़ीमल नगर पंचायत से जुड़ा है.

किरोड़ीमल नगर पंचायत के विजयनगर मुहल्ले में कमलेश साहू का मकान है. उनके दो मंजिले मकान में कई किरायेदार रहते हैं. अफसरों ने उनके ही किरायेदारों के नाम पर घर के परिसर में लाइन से 13 शौचालय बना दिये हैं.

स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत केवल गरीबी रेखा से नीचे के लोगों के ही सरकारी मदद से शौचालय बनाने के निर्देश हैं. इसके तहत महिला पर आश्रित घर, गरीबी रेखा से नीचे के परिवार, चार बीघे से कम ज़मीन जैसे प्रावधान हैं और ऐसे घरों में शौचालय के लिये सरकार की तरफ से 12 हज़ार रुपये का अनुदान दिया जाता है.

नगर पंचायत के सीएमओ गोपाल दुबे का कहना है कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है और जिस इलाके में शौचालय बनाये गये हैं, यह उनके पदभार ग्रहण करने से पहले का मामला है. दुबे का कहना है कि इस मामले की जांच कराई जाएगी.

हालांकि छत्तीसगढ़ में यह पहला मामला नहीं है, जिसमें जि़ले को ओडीएफ घोषित करने के चक्कर में या तो अधिकारियों ने सारे नियम कायदों को ताक पर रख दिया या झूठे आंकड़े पेश कर ओडीएफ के नाम पर पुरस्कार भी पा लिये.

मुंगेली जि़ले को तो ओडीएफ घोषित करने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों पुरस्कार भी मिल गया. बाद में पता चला कि जि़ले के चिरौटी जैसे कई गांव ऐसे हैं, जहां शौचालय बना ही नहीं. पथरिया के कई इलाकों में यही तस्वीर सामने आई. यही हाल धमतरी जि़ले का भी था. छत्तीसगढ़ में ओडीएफ घोषित करने की हड़बड़ी हर कहीं नजऱ आती है.

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