सूबे के सरदार को ले डूबेगी डी कंपनी

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रायपुर.

सूबे के सरदार दिन प्रतिदिन कमजोर हुए जा रहे हैं। जो जलवा अध्यक्ष रहते हुए उनका हुआ करता था वह जलवा मुखिया होने के बावजूद इन दिनों वह नहीं दिखा पा रहे हैं। ऐसा आखिर क्यूं हो रहा है ? कहीं इसके लिए डी कंपनी तो जिम्मेदार नहीं है ?

प्रदेश के मुख्यमंत्री चहुंओर से समस्या से घिरते जा रहे हैं। कोर्ट कचहरी के मामले में वह जहांं एक ओर असफल होते जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर उन्हें व्यक्तिगत रुप से निशाने पर लिया जाने लगा है।

आखिर ऐसा हो क्यूं रहा है ? क्यूं कर मुख्यमंत्री वैसे तेवर नहीं दिखा पा रहे हैं जैसे प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए दिखाया करते थे ?

दरअसल, मुख्यमंत्री को गलत सलाहकारों ने घेर रखा है। इसके चलते मुख्यमंत्री अपनी बुध्दि , अपनी समझ का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं ऐसा लगता है।

क्या है डी कंपनी, कौन इसमें शामिल

विवेक ढांढ . . . राज्य के पूर्व मुख्य सचिव . . . वर्तमान मुख्यमंत्री के महाविद्यालयीन दिनों के गुरूजी . . . फिलहाल रेरा के चेयरमैन। नाम नहीं छापने की शर्त पर प्रदेश के एक वरिष्ठ कांग्रेसी इन्हें ही डी कंपनी का सरताज बताते हैं।

वह कहते हैं कि प्रदेश में आईएएस-आईपीएस जैसे वरिष्ठ पदों पर ढांढ की सलाह के बगैर नियुक्त हो पाना बेहद मुश्किल है। पुलिस महानिदेशक से लेकर पुलिस अधीक्षकों, जिलाधीशों की नियुक्ति में ढांढ की जमकर चली है।

ढांढ की सलाह पर ही डीएम अवस्थी प्रदेश के पुलिस प्रमुख बनें बताए जाते हैं। यह वही अवस्थी हैं जो भाजपा सरकार के समय आयोजित विकास यात्रा को हरी झंडी दिखाने आए देश के गृहमंत्री से मिलने भाजपाईयों के आगे पीछे हुआ करते थे।

भाजपा शासनकाल में इन्हीं अवस्थी साहब ने पुलिस हाऊसिंग बोर्ड कार्पोरेशन कैसे चलाया इसकी जानकारी कैग की रपट देती है। फिर भी वह ढांढ की पसंद के चलते आज पुलिस मुखिया हैं।

मुख्यमंत्री – गृहमंत्री के गृहजिले दुर्ग में आईजी रेंज की कुर्सी पर विराजित हिमांशु गुप्ता भी ढांढ की ही पसंद बताए जाते हैं। सरगुजा आईजी रहने के दिनों में उन पर सविता खंडेलवाल नामक महिला ने अपने अपहरण व पागलखाने भेज देने का आरोप लगाया था।

सविता खंडेलवाल ने हिमांशु गुप्ता पर अपने शोषण का आरोप लगाते हुए अंततः आत्महत्या कर ली थी। कायदे से हिमांशु गुप्ता के खिलाफ जांच बैठाई जानी चाहिए थी लेकिन उन्हें सरकार बदलते ही सरगुजा से निकालकर दुर्ग रेंज का प्रभार दिलाने में ढांढ की ही चली।

आईपीएस जीपी सिंह को भी ढांढ की ही टीम का सदस्य बताया जाता है। जीपी सिंह पहले दुर्ग रेंज आईजी रहते हुए पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के बेहद नजदीकी अफसर गिने जाते थे।

यह वही जीपी सिंह हैं जिन पर बिलासपुर आईजी रहने के दौरान वहां के एसपी राहुल शर्मा की खुदकुशी के मामले में ऊंगली उठी थी। लेकिन इन्हें भी ढांढ की ही बदौलत ईओडब्ल्यू जैसा दामदार प्रभार मिला बताया जाता है।

इनके अलावा रायपुर एसएसपी शेख आरिफ हुसैन का भी नाम विवेक ढांढ समर्थकों में प्रमुखता में गिना जाता है। ये जब बलौदाबाजार एसपी हुआ करते थे तब एक महिला सिपाही ने इन पर गंभीर आरोप लगाए थे लेकिन इनका बाल भी बांका नहीं हो पाया।

उल्टे इन्हें भी तब के मुख्य सचिव विवेक ढांढ ने बिलासपुर जैसा कमाई वाला जिला दिलवा दिया। बिलासपुर से निकलकर यह नई सरकार के समय राजधानी रायपुर के एसपी और एसएसपी बन गए।

ये सारे अधिकारी विवेक ढांढ के खेमे के बताए जाते हैं। मुख्यमंत्री के प्रमुख सलाहकार विवेक ढांढ ही गिने जाते हैं। चूंकि इन दिनों मुख्यमंत्री कठिन दिनों का सामना कर रहे हैं तो इन पर भी सवाल तो उठेंगे ही।

इन अफसरों में से किसी की भी भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता है। कोई दुर्ग संभाल रहा है तो कोई ईओडब्ल्यू तो कोई राजधानी रायपुर अथवा पुलिस महकमा।

ये सारे स्थान ऐसे हैं कि आईपीएस मुकेश गुप्ता अथवा तत्कालीन सरकार के समय के सुपर सीएम अमन सिंह से जुडे मामले इन्हीं को देखने हैं। चूंकि मुकेश – अमन के मामले में मुख्यमंत्री को कोर्ट कचहरी से बेचैन कर देने वाली खबर मिलती रही है इस कारण डी कंपनी ( ढांढ कंपनी ) को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

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