दगा देगा दत्तक पुत्र..?

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राजनांदगांव। क्या मुख्यमंत्री तीसरी मर्तबा राजनांदगांव विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे? क्या उनके विश्वासपात्र नेता उन्हें ही ढेर करने की साजिश रच रहे हैं? और क्या ये सवाल जमीन से जुड़े हैं या फिर ये सिर्फ ऐसे तर्क हैं जो राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाते हैं?.. जो भी हो पर सबसे पहले इन सवालों की तह तक जाकर इसे समझना जरुरी है।

सवालों की फेहरिस्त और भी लंबी है लेकिन चुनिंदा सवाल इसलिए सामने रखे गए हैं क्यूंकि भाजपा गाहे-बगाहे संगठन की अंदरुनी खींचतान को लेकर चर्चा में आती रहती है। मुख्यमंत्री अपने इलाके में उससे निपटने में कहीं कोई कोताही नहीं बरतते लेकिन इस बार उनके विश्वासपात्र ही साजिश में शामिल हैं। अपने मुख्यमंत्री (जिन्हें विकास पुरुष का तमगा दिया जाता है) के खिलाफ मुद्दों को बड़ा करने और विपक्ष को मौका देने की कोशिश की जा रही है।

बदहाल त्रिवेणी परिसर

राजनांदगांव.. कई बड़ी उपलब्धियों की सौगात से सजा शहर पिछले कुछ वर्षों में अपनी ही पहचान ढूंढता सा नजर आने लगा था। ऐसे में कुछ सौंदर्यीकरण और स्मारकों के सहारे इस शहर को उसकी पहचान वापस दिलाने की कोशिश मुख्यमंत्री ने की।

ऐसे ही एक स्मारक का निर्माण शहर के साहित्यिक इतिहास से लोगों को अवगत कराने के लिए किया गया। राजा दिग्विजय दास महाविद्यालय के पीछे त्रिवेणी परिसर बनाया गया। यहां साहित्यकार पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी, गजानन माधव मुक्तिबोध, बल्देव प्रसाद मिश्र की प्रतिमाएं लगाई गई।

त्रिवेणी परिसर का अनावरण वर्ष 2004 में हुआ था। उस दौरान भाजपा के मधुसूदन यादव ही महापौर थे। मुख्यमंत्री रमन सिंह की मौजूदगी में इसका अनावरण हुआ। 13 सालों के बाद अब जब इस परिसर की ओर झांके तो यहां जो दिखता है वह शहर के बाशिंदो को नाराज करता है।

प्रसिद्ध साहित्यकारों की स्मृति में बने इस स्मारक का रख-रखाव उचित तरीके से नहीं हो रहा है। साहित्यकार पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी, गजानन माधव मुक्तिबोध, बल्देव प्रसाद मिश्र की प्रतिमाएं खंडित हो गई हैं। वहीं, इसकी जिम्मेदारी को लेकर पहले आप-पहले आप का दौर चल रहा है। एक तरफ निगम इसके रख-रखाव की जिम्मेदारी से हाथ खींच रहा है तो दूसरी ओर दिग्विजय कॉलेज प्रबंधन भी इससे पीछे हट रहा है।

मुद्दा यह है कि मुख्यमंत्री के खास माने जाने वाले मधुसूदन यादव ही यहां महापौर है और दूसरी तरफ वे ही दिग्विजय कॉलेज की जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष भी हैं। बावजूद इसके ये हो रहा है… और त्रिवेणी परिसर की गरिमा तार-तार हो रही है।
ऐसे मुद्दों को लेकर चर्चा जोरों पर है कि क्या भाजपाई ही मुख्यमंत्री की लुटिया डूबो देंगे?

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