वर्षों से बिना निविदा दौड़ रहीं गाडियां

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नेशल अलर्ट/www.nationalert.in
राजनांदगांव। मुख्‍य चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी कार्यालय (सीएमएचओ आफिस) द्वारा वाहन निविदा निकालने के साथ ही अब मामले की परत दर परत खुलने लगी है। विभागीय कर्मचारी दबे शब्‍दों में कहते हैं कि इस बार भी निविदा तय नहीं हो पाएगी क्‍योंकि विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लग जाएगी। बिना निविदा वर्षों से विभाग में गाडियां दौड़ रही हैं हालांकि इसके लिए कलेक्‍टोरेट दर का सहारा लिया गया है।

उल्‍लेखनीय है कि 4 अगस्‍त से प्रारंभ हुई निविदा की यह प्रक्रिया 24 अगस्‍त तक जारी रहेगी। निविदा प्रपत्र जमा करने की अंतिम तिथि 25 अगस्‍त रखी गई है। निविदा खोले जाने की दिनांक 28 अगस्‍त तय की गई है। 28 अगस्‍त को सुबह 11 बजे सीएमएचओ आफिस में निविदा खोली जाएगी।

सीएमएचओ आफिस द्वारा राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम एवं जिला कार्यक्रम प्रबंधन इकाई सहित स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के लिए वाहन किराए पर लिए जाने हेतु 2 अगस्‍त को निविदा बुलाई गई थी। स्‍वास्‍थ विभाग से जुड़े अधिकारियों के दौरा भ्रमण के लिए वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान वाहन किराए पर लिया जाना उक्‍त निविदा में प्रस्‍तावित है।

अधिकारिक जानकारी बताती है कि 100 रूपए के स्‍टाम्‍प पेपर में सत्‍यनिष्‍ठा संधि नोटिस से सत्‍यापित कराना प्रस्‍तुत करना अनिवार्य है। बगैर वापसी के 500 रूपए निविदा प्रपत्र का शुल्‍क रखा गया है जबकि अमानत राशि डेढ लाख रूपए रखी गई है।

इकलौती निविदा के चलते टला था मामला
कर्मचारी बताते हैं कि स्‍वास्‍थ्‍य विभाग में निविदा को लेकर लंबे समय से सांठ गांठ की जा रही है। सीएमएचओ आफिस में वर्षों पहले निविदा बुलाई गई थी। तब जिन निविदाकारों ने इसमें भाग लिया था उन्‍हें ही ले देकर काम मिलते रहा है।

विभागीय जानकारी के मुताबिक बीच में कोरोना की महामारी भी आ गई थी इसके चलते निविदा पर कोई निर्णय नहीं हो पाया। करीब पांच वर्ष पूर्व कलेक्‍टोरेट में जो टेंडर हुआ था उसी पर सीएमएचओ आफिस में गाडियां दौड़ाई जाती रहीं।

हालांकि बीच में टेंडर के प्रयास किए गए लेकिन इस पर किन्‍हीं कारणोंवश कोई निर्णय नहीं हो पाया। पिछली मर्तबा जो टेंडर कॉल किया गया था वह महज एक निविदाकार द्वारा निविदा भरे जाने के चलते खारिज हो गया।

कर्मचारी कहते हैं कि सीएमएचओ आफिस में प्रथम निविदा आमंत्रण के बाद द्वितीय व तृतीय निविदा में भी कोई और निविदाकार नहीं आया इसके चलते पूरी प्रक्रिया ही रद्द करनी पड़ी थी। यह सिलसिला काफी पुराना है। अंत में कलेक्‍टोरेट दर का सहारा लेकर विभाग में गाडियां दौड़ाई जाती रही हैं।

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