ये क्या ? नर्मदा तट पर अतिथि विद्वान सरकार के नाम से मुंडन करा गए

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होशंगाबाद.

अपने पिता की मृत्यु होने पर ही पुत्र द्वारा मुंडन कराने की सदियों पुरानी परंपरा तब मध्यप्रदेश में पीछे छूट गई जब नर्मदा तट पर अतिथि विद्वान जुटे. इन अतिथि विद्वानों ने कमलनाथ सरकार के खिलाफ ऐसा आंदोलन किया कि “अंधी बहरी ” सरकार भी सोच में पड़ जाएगी. दरअसल इन अतिथि विद्वानों ने कमलनाथ सरकार के नाम का मुंडन करा लिया.

ये अतिथि विद्वान विगत बीस सालों से अपने विद्यार्थियों को महाविद्यालयों में पढ़ाने में लगे हुए थे. राज्य लोकसेवा आयोग (पीएससी) में चयनित सहायक प्राध्यापकों के विवादित नियुक्ति आदेश जारी होने के बाद अतिथि विद्वान अब आंदोलन पर उतर आए हैं.

इच्छा मृत्यु की मांग हुई

अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ. देवराज सिंह, डॉ. सुरजीत भदौरिया बताते हैं कि उनके द्वारा इच्छा मृत्यु की राज्य सरकार से अनुमति भी मांगी गई है.

दूसरी ओर डॉ. जेपीए चौहान, डॉ. आशीष पांडे के मुताबिक प्रदेश में 52 सौ अतिथि विद्वान विभिन्न महाविद्यालयों में अपनी सेवा दे रहे हैं. बीस साल तक पढ़ाने के बाद अब कईयों की आयु शासकीय सेवा के लिए अधिकतम आयु से ऊपर हो गई है.

प्रवक्ता डॉ. मंसूर अली कहते हैं कि सरकार ने नियमितीकरण के नाम पर सिर्फ मौखिक आश्वासन ही दिया. पहले जो कमलनाथ सहायक प्राध्यापक भर्ती को प्रदेश का सबसे बड़ा घोटाला करार देते थे उनकी ही सरकार में तथाकथित चयनितों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए गए.

इसी के फलस्वरूप होशंगाबाद में नर्मदा तट किनारे अतिथि विद्वान जुटे थे. सभी ने वचन पूरा करने में कमलनाथ सरकार की नाकामी को सामने लाने के लिए मुंडन कराने का निर्णय लिया. तकरीबन आधा सैकड़ा अतिथि विद्वानों ने मुंडन कराकर सरकार को चेताया है.

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