किस रिटायर्ड आईएएस को महंगी पड़ी भाजपा से मित्रता

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रायपुर.

भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी गणेश शंकर मिश्रा को राज्य सहकारिता निर्वाचन आयोग के आयुक्त पद से हटा दिया गया है. उनके स्थान पर आईएएस मनोज पिंगुआ (1994) को यह जिम्मेदारी दी गई है.

दरअसल गणेश शंकर मिश्रा प्रदेश में भाजपा के नजदीकी अधिकारी माने जाते थे. काफी समय से इस बात की खबरें सुनाई दे रही थी कि मिश्रा को हटा दिया जाएगा. और यह सच भी हुआ.

बेच दिया था शिवनाथ का पानी

गणेश शंकर मिश्रा को प्रदेश का विवादित अफसर माना जाता है. जब तक वह सेवा में रहे तब तक कभी न कभी कोई न कोई विवाद उनसे जुड़ा रहा.

ऐसे ही एक विवाद में उनके खिलाफ मुख्यमंत्री से शिकायत की गई थी. शिवनाथ नदी के पानी को उन्होंने रेडियस वाटर वर्क्स को बेच दिया था.

मामला अविभाजित मध्यप्रदेश के समय का है लेकिन यह अब अपना असर दिखा रहा है. गत दिनों ही इसी मामले को लेकर भिलाई के महापौर व विधायक देवेंद्र यादव ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था.

रेडियस वाटर को शिवनाथ नदी को बेचे जाने पर छत्तीसगढ़ विधानसभा में लोखलेखा समिति की रपट प्रस्तुत की थी. वर्ष 2007 में यह रपट प्रस्तुत हुई थी.

तब से लेकर अब तक इस पर किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं हुई जबकि समिति ने गणेश शंकर मिश्रा के खिलाफ एक माह के भीतर अपराधिक मामला दर्ज करने की अनुशंसा की थी.

5 अक्टूबर 1998 का मामला

कहते हैं विवाद पीछा करते रहते हैं. अब देखिए न 5 अक्टूबर 1998 को किए गए समझौते से उपजा विवाद गणेश शंकर मिश्रा के सेवानिवृत्त होने के बाद भी उनका पीछा करते रहा. अंतत: उन्हें इसकी कीमत अपनी कुर्सी गंवा कर चुकानी पड़ी है.

उल्लेखनीय है कि शिवनाथ नदी के 23 किमी लंबे हिस्से को गणेश शंकर मिश्रा ने रेडियस वाटर वर्क्स नाम की निजी एजेंसी को सौंप दिया था. उस समय मध्यप्रदेश हुआ करता था.

तब समझौते पर मध्यप्रदेश औद्योगिक केंद्र विकास निगम के प्रबंध संचालक गणेश शंकर मिश्रा ने हस्ताक्षर किए थे. यह वही मिश्रा हैं जो कि कवर्धा में अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) पद पर रहते हुए भी विवादों में घिरे थे.

अब जब कि उन्हें पद से हटा दिया गया है तो उनसे जुड़े विवाद भी उजागर होने लगे हैं. बताया जाता है कि सेवानिवृत्ति के अंतिम दिन उन्हें प्रमुख सचिव पद पर पदोन्नत किया गया था. उस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार हुआ करती थी.

यह मामला वर्ष 2017 का है. सहकारिता आयोग में नियुक्त होने के समय भी तब विपक्ष में रही कांग्रेस ने गणेश शंकर मिश्रा की नियुक्ति पर आपत्ति की थी. फिलहाल सरकार के इस फैसले से शिवनाथ नदी, रेडियस वाटर वक्र्स, गणेश शंकर मिश्रा एक बार फिर से चर्चा में हैं.

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