फेल हुई नसबंदी, क्षतिपूर्ति बतौर देने होंगे 23 लाख

शेयर करें...

नेशल अलर्ट/www.nationalert.in
अंबिकापुर। बलरामपुर जिले की निवासी एक महिला की नसबंदी फेल होने के मामले में अब स्‍वास्‍थ्‍य विभाग को बतौर क्षतिपूर्ति आवेदिका को 23 लाख रूपए का भुगतान करना होगा। यह फैसला जन उपयोगी सेवाओं से जुड़ी स्‍थायी लोक अदालत ने सुनाया है।

उल्‍लेखनीय है कि बलरामपुर जिले के वाड्रफ नगर ब्‍लाक अंतर्गत शारदापुर गांव आता है। इसी गांव की शांति रवि ने एक बेटे और दो बेटियों के जन्‍म के बाद अपनी नसबंदी के लिए स्‍वास्‍थ्‍य विभाग से संपर्क किया था।

वाड्रफ नगर बीएमओ आफिस ने उसका रजिस्‍ट्रेशन किया। पंजीयन के उपरांत वह नसबंदी के लिए जिला अस्‍पताल अंबिकापुर पहुंची थी। 24 दिसंबर 2019 को नसबंदी उपरांत उसे इसका प्रमाणपत्र भी दिया गया।

महिला खुशी खुशी अपने घर आ गई। कुछ समय बाद उसे पता चला कि वह फिर से गर्भवती है। घबराकर उसने सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र वाड्रफ नगर में चिकित्‍सक से संपर्क किया। अबॉर्शन पर उसकी जान को खतरा बता दिया गया।

इस तरह से नसबंदी असफल हो गई। चिकित्‍सकों ने उसे सलाह दी की वह हर तीन महीने में गर्भनिरोधक टीका लगवाती रहे। थक हारकर महिला ने जन उपयोगी सेवाओं के लिए बनी स्‍थायी लोक अदालत में परिवाद दायर कर दिया।

क्‍या कुछ हुआ ?
अधिवक्‍ता सुशील शुक्‍ला के माध्‍यम से परिवाद दायर कर महिला ने स्‍वास्‍थ्‍य विभाग से 50 लाख रूपए क्षतिपूर्ति की मांग की। मामले की सुनवाई स्‍थायी लोक अदालत अंबिकापुर में अध्‍यक्ष उर्मीला गुप्‍ता ने की।

अध्‍यक्ष उर्मीला गुप्‍ता ने नसबंदी फेल होने के मामले को स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं में कमी माना। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग का अपना तर्क था कि नसबंदी सहमति पत्र में साफ लिखा होता है कि नसबंदी के दो सप्‍ताह तक गर्भनिरोधक साधनों का उपयोग करना होगा।

महिला के मामले में स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने तर्क दिया था कि उसे गर्भनिरोधक साधन उपलब्‍ध करवाए गए थे लेकिन उसने इसका उपयोग नहीं किया। सहमति पत्र में ही नसबंदी असफल होने का भी जिक्र होता है जिसमें किसी को जिम्‍मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

नसबंदी उपरांत गर्भ ठहरने की स्थिति में दो सप्‍ताह के भीतर शासकीय चिकित्‍सक को सूचना देना अनिवार्य है। मामले में तर्क था कि महिला ने ऐसा नहीं किया। इसकारण वह क्षतिपूर्ति राशि प्राप्‍त करने का अधिकार नहीं रखती है।

स्‍थायी लोक अदालत की अध्‍यक्ष ने इस पर टिप्‍पणी की है कि गर्भ ठहरने के बाद ही महिला ने शासकीय चिकित्‍सक से संपर्क किया था। अबॉर्शन में उसी की जान को खतरा बता दिया गया था। इन सब कारणों से अध्‍यक्ष ने स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की दलीलों को खारिज कर दिया।

उन्‍होंने आवेदक महिला को 3 लाख रूपए नकद देने का निर्देश दिया है। 23 में से शेष 20 लाख रूपए 1 नवंबर 2038 तक के लिए किसी भी राष्‍ट्रीकृत बैंक के सावधि खाते में जमा कराने के निर्देश दिए गए हैं। किसी अपरिहार्य स्थिति में इस राशि को आहरित करने की सूचना न्‍यायालय को देकर आहरित करने की सुविधा भी दी है।

अदालत ने अपने फैसले में क्षतिपूर्ति की राशि में आवेदन की तारीख 29 नवंबर 2021 से अदायगी तारीख तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से साधारण ब्‍याज जोड़कर देने का आदेश जारी किया है। आदेश बीएमओ वाड्रफ नगर और सीएमएचओ अंबिकापुर को दिया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *