एस्सार स्टील के हाथ से निकला मालिकाना हक

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जगदलपुर.

स्लरी पाइप लाईन बेनिफिसियल प्लांट का मालिकाना हक एस्सार स्टील के हाथ से निकल गया है. अब बैलाडीला स्थित इस प्लांट को चलाने की जिम्मेदारी आर्सेलर मित्तल के हाथों में आ गई है.

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से 40 हजार करोड़ रूपए का कर्ज एस्सार स्टील ने लिया था. एस्सार स्टील के एवज में यह भुगतान आर्सेलर मित्तल ने एसबीआई को कर दिया है.

863 दिन महंगे पड़े

व्यवसायिक जानकार बताते हैं कि तकरीबन ढाई साल पहले कर्ज न चुका पाने की स्थिति में एस्सार स्टील को एनपीए खाते में डाल दिया गया था.

तकरीबन 863 दिनों तक बैंक कर्ज का मामला अधर में लटका रहा. अब जबकि राशि अदा न किए जाने की स्थिति में कानूनी प्रक्रिया पूरी की गई तो आर्सेलर मित्तल ने बोली लगाई.

13 दिसंबर को मित्तल की तरफ से एसबीआई के खाते में 40 हजार करोड़ रूपए डाल दिए गए. चूंकि उसने सर्वाधिक बोली लगाई थी इसकारण उसे प्लांट के संचालन की जिम्मेदारी मिल गई है.

1995 में आई थी बस्तर

जानकार बताते हैं कि एस्सार स्टील ने 1995 में बस्तर में कदम रखा था. 95 से 97 के दौरान उसने नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कार्पोरेशन (एनएमडीसी) के हाथ काम शुरू किया.

2005 में उसे स्वतंत्र रूप से काम करने की जिम्मेदारी मिल गई. 8 मिट्रीक टन प्रतिवर्ष की क्षमता वाले बैलाडिला स्थित प्लांट से उत्पादन होने लगा.

267 किमी लंबी स्लरी पाइप लाइन द्वारा प्लेट प्लांट विशाखापट्टनत तक ले जाने का काम शुरू किया गया. दुनिया की दूसरी बड़ी दोहरी पाइप लाइन इस दौरान निर्मित की गर्ई.

अब 16 दिसंबर से आर्सेलर मित्तल को इस का दायित्व मिल गया. अब उसी के बैनर तले पाइप लाइन के दौरान आयरन ओर पेस्ट का परिवहन किया जाता रहेगा.

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