झीरम घाटी हमला : एनआईए के हाथ अब तक नहीं आए नक्सली

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रायपुर.

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण यानि कि एनआईए ने झीरम घाटी नक्सली हमले के मामले में ईनाम की घोषणा की है. इस बारे में विज्ञापन प्रकाशित कराया गया है.

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013 में बस्तर की झीरम घाटी में नक्सलियों ने हमला कर कांग्रेस की एक पूरी पीढ़ी को खत्म कर दिया था.

तब पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल सहित बस्तर टाइगर के नाम से प्रसिद्ध पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा हमले में शहीद हो गए थे.

इसी हमले में तब के कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल व उनके सुपुत्र दिनेश पटेल के अलावा पूर्व विधायक उदय मुदलियार को अपना खून देना पड़ा था.

मामले की जांच स्थानीय पुलिस से लेकर एनआईए को सौंपी गई थी. एनआईए ने अपराध क्रमांक 6/2013 दर्ज कर जांच शुरू की थी.

21 के नाम से विज्ञापन जारी

अब जाकर एनआईए ने एक विज्ञापन जारी कर झीरम घाटी हमले को एक बार फिर पुनर्जीवित कर दिया है. इस विज्ञापन में 21 ऐसे माओवादियों के नाम हैं जिन्हें एनआईए झीरम घाटी हमले में शामिल मानते रहा है.

इसमें तिपरी तिरूपति उर्फ देवजी उर्फ चेतन उर्फ संजीव उर्फ रमेश उर्फ देवन्ना उर्फ कुम्मा दादा नामक नक्सली का नाम शामिल है.

उस पर सात लाख रूपए का ईनाम बताते हुए उसे तेलंगाना के करीमनगर जिले के कुरूतुल सिटी थाने के अंबेडकर नगर का निवासी बताया गया है.

इसके अलावा गणेश उइके उर्फ गणेशन्ना उर्फ राजेश तिवारी, सोना सोड़ी उर्फ सुरेंद्र उर्फ माड़वी सीमा उर्फ मड़कामी, बारसे सुक्का उर्फ देवा उर्फ देवन्ना, जयलाल मंडावी उर्फ गंगा के नाम शामिल है.

राष्ट्रीय अखबारों में प्रकाशित कराए गए विज्ञापन में भगत हेमला उर्फ बदरू, सम्पो हुंका उर्फ विनोद उर्फ एमला उर्फ बंगालू, तेलम आयतू उर्फ आयतू डोडी, बदरू मुडिय़ाम उर्फ मंतू उर्फ किशन के नाम शामिल है.

कुरसम सन्नी उर्फ कोशी उर्फ लच्छी, कामेश कवासी उर्फ कामेश, कोरसा सन्नी उर्फ सन्नी कोरसम, सन्नी उर्फ सन्नी हेमला, लच्छी मोडिय़ाम उर्फ लच्छी, सोमी पोटाम उर्फ सोमे पोटाम, मोडिय़ाम रमेश उर्फ लच्छू नामक नक्सली के नाम शामिल है.

इसी कड़ी में कोरसा लक्खू उर्फ लक्खू, सरिता केकम उर्फ मिटाकी, कुम्मा गोंदे उर्फ गुड्डु उर्फ प्रदीप, मंगली कोसा उर्फ मंगली पोडिय़ाम, मड्डा मड़कामी व सन्नू वेटी नामक नक्सलियों के नाम की तलाश में एनआईए ने विज्ञापन जारी करवाया है.

एनआईए द्वारा जारी कराए गए विज्ञापन में 21 नक्सलियों में मात्र दो के नाम तेलंगाना प्रदेश के हैं. बाकी समस्त नक्सली बस्तर रेंज में शामिल विभिन्न जिलों के निवासी बताए गए हैं.

बहरहाल, एनआईए के हाथ आज तक खाली हैं. पांच साल बाद भी एनआईए नक्सलियों को पूरी तरह से पकड़ नहीं पाई है इस बात की पुष्टि यह विज्ञापन कर रहा है.

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