मंत्री के जवाब में सामने आई हकीकत, 9 की मौत हुई पुलिस हिरासत में !

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रायपुर । 

पुलिस की हिरासत में रहने के दौरान हुई मौतों को लेकर दागे गए सवाल का जवाब गृहमंत्री ने दिया है। उन्‍होंने विधानसभा सत्र में यह बताया कि पिछले दो सालों में ऐसे 9 लोग हैं जिन्‍होंने पुलिस की अभिरक्षा के दौरान ही दम तोड़ दिया। हालांकि इस मामले में सवाल अब भी बहुत से हैं लेकिन उनके जवाब नहीं‍मिल पाए हैं। मसलन इन 9 लोगों की मौत के बाद 2 मामले ऐसे थे जिन्‍हें लेकर पुलिस पर खुले आरोप लगे। इसके बाद सरकार ने मृतकों के परिजनों को सहयोग मुहैया कराया।

जूनियर जोगी यानि कि अमित जोगी ने प्रदेश में कैदियों की मौत से जुड़े आंकड़ों की जानकारी विधानसभा में चाही थी। इस सवाल को लेकर आज गृहमंत्री रामसेवक पैकरा ने जवाब हाजिर किया। उन्‍होंने इस दौरान बताया कि जेल अभिरक्षा में चार कैदियों की मौत पिछले दो सालों में हुई है। वहीं यह आंकड़ा पुलिस की हिरासत में मरने वालों के मामले में 9 तक पहुंच गया है।

उन्‍होंने बताया कि सरगुजा सेंट्रल में राजेंद्र प्रसाद नाम के एक विचाराधी कैदी की मौत 18 मार्च 2016 को हुई थी। दुर्ग जेल में दो मौत वीरेंद्र कुमार और मिथिलेश सिंह की हुई। दोनों सजायाफ्ता कैदी थे। रायपुर जेल में बेदराम नाम के युवक की मौत 21 नवंबर 2016 को हुई।
पुलिसिया हिरासत में हुई मौत की जानकारी देते हुए उन्‍होंने बताया कि रायपुर में बिन्देश्वर कुमार ने 19 नवंबर 2015 को पुलिस कस्टडी के दौरान मौत हो गई थी। दुर्ग में भी कुछ ऐसा ही हुआ और 22 जनवरी 2015 को तीरथ और 3 दिसंबर 2015 को राजेश नाम के युवक की पुलिस की अभिरक्षा में मौत हुई। नरायणपुर में एक, जांजगीर में सतीश नौरंगे, बिलासपुर में सुरेश और दीपक, कोरबा में शब्बीर ने और इस साल कोरबा में ही दिनेश नाम के युवक की पुलिस कस्टडी में मौत हो गयी।
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