पनामा पेपर्स, अभिषेक सिंह और मीडिया की चुप्पी!

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पंकज शर्मा
नेशन अलर्ट/राजनांदगांव।

क्या मीडिया इस हद तक मैनेज किया जा सकता है कि एक राष्ट्रीय पार्टी का अध्यक्ष किसी पर लगे आरोप को लेकर कुछ कहे और तमाम अखबार उस संदर्भ में एक भी लाईन न लिखें? दरअसल, कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार देर शाम मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र राजनांदगांव में पनामा पेपर्स का जिक्र करते हुए जिस अभिषेक सिंह का नाम लिया था उसके संदर्भ में प्रदेश के तमाम बड़े अखबारों ने एक लाईन भी नहीं लिखी है। तो क्या मीडिया डरा हुआ है.. अथवा बिका हुआ है?

शुक्रवार को राहुल गांधी का चुनावी दौरा राजनांदगांव जिले में हुआ। पहले उन्होंने खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र में सभा ली। बाद में वह डोंगरगढ़ विधानसभा क्षेत्र पहुंचे। डोंगरगढ़ में राहुल ने मां बम्लेश्वरी देवी की पूजा-अर्चना भी की। अंत में वह जिला मुख्यालय पहुंचे जहां पर उनका रोड शो आयोजित था। रोड शो के समापन बाद राहुल गांधी ने गंज चौक में सभा को संबोधित किया।

रमन के बेटे का नाम नहीं लेते
राहुल गांधी ने यहां पनामा पेपर्स का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ को जेल जाना पड़ा। हमारे यहां के पीएम यहां आते हैं और रमन सिंह जी के बाजू में खड़े होते हैं लेकिन पनामा पेपर्स का जिक्र एक बार नहीं करते। राहुल ने यह भी कहा कि रमन के बेटे का नाम (अभिषेक सिंह) पनामा पेपर्स को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्यूं जिक्र नहीं करते हैं?

शुक्रवार की इस सभा की कवरेज बड़े-बड़े अखबारों में शनिवार को प्रकाशित हुई लेकिन किसी में भी न तो पनामा पेपर्स का उल्लेख था और न ही मुख्यमंत्री अथवा उनके सांसद सुपुत्र का वर्णन था। अब सवाल इस बात का उठता है कि राहुल गांधी सहीं हैं अथवा सीएम-सांसद-वह मीडिया जिन्होंने पनामा पेपर्स को लेकर चुप्पी साध रखी है।

सहीं कहते हैं राजकुमार सोनी
प्रसिद्ध रंगकर्मी राजकुमार सोनी द्वारा कहे गए शब्द ऐसे समय में याद आते हैं। याद करिए राजकुमार सोनी को जिनके लिखे एक गीत ओ चाऊंर वाले बाबा-ओ दारु वाले बाबा ने प्रदेश में हड़कंप मचा दिया था। संभवत: इसी के चलते राजकुमार सोनी का प्रदेश से बाहर स्थानांतरण भी हुआ। राजकुमार सोनी तब से भले ही प्रदेश से बाहर हैं लेकिन उनके गीत व रंगकर्म भाजपा को परेशान किए जा रहे हैं।
राजकुमार सोनी ने तब कहा था कि नव*** बिक चुका है, दैनिक **** चड्डी लोगों का अखबार है, नई*** कोई पढ़ता नहीं, **नियर कोई देखता नहीं है, ***संदेश कोई खोलता नहीं और **भूमि प्रवक्ता अखबार है। तो क्या ऐसा सच में है?
यदि राजकुमार सोनी की कही हुई बातें सहीं हैं तो हमें कुछ नहीं कहना है लेकिन यदि गलत हैं तो सवाल इस बात का उठता है कि क्यूंकर राहुल गांधी की सभा के उस हिस्से को अखबारों में जगह नहीं मिल पाई जिस हिस्से में उन्होंने पनामा पेपर्स, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व सांसद का उल्लेख किया था? इस पर मीडिया आखिरकार क्यूं चुप्पी साध गया?

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