सीएम का नक्सल क्षेत्र के लिए नया फार्मूला, जिले में भी गठित किए यूनिफाईड कमांड

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रायपुर।

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने नक्सल समस्या के उन्मूलन के लिए राज्य स्तरीय यूनिफाईड कमांड की तरह छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों में जिला स्तरीय यूनिफाईड ऑपरेशनल कमांड के गठन की जरूरत पर विशेष रूप से बल दिया है। डॉ. सिंह यहां मंत्रालय (महानदी भवन) में राज्य स्तरीय यूनिफाईड कमांड की बैठक को सम्बोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि जिला स्तरीय यूनिफाईड कमांड का गठन संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षकों के नेतृत्व में हो और उनमें वहां कार्यरत केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के अधिकारियों को भी सदस्य के रूप में शामिल किया जाए, ताकि केन्द्र और राज्य दोनों मिलकर इस चुनौती का और भी ज्यादा गंभीरता से मुकाबला कर सकें।

उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर नक्सल विरोधी अभियानों की सफलता के लिए यह जरूरी है कि जिला स्तरीय यूनिफाईड कमांड जल्द बनाया जाए और समय-समय पर उसकी साप्ताहिक और पाक्षिक समीक्षा बैठकें भी हों। मुख्यमंत्री ने इसके अलावा सुकमा और बीजापुर जिलों में केन्द्रीय सुरक्षा बलों तथा राज्य सरकार के जिला पुलिस बलों के जवानों के लिए संयुक्त प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना का भी सुझाव दिया।

जवानों को विशेष प्रशिक्षण
उन्होंने कहा कि इसमें केन्द्रीय तथा जिला पुलिस बल के 50 से 60 जवानों को तीन दिन से लेकर पांच दिन तक का विशेष प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि दोनों में तालमेल और भी बढ़ सके। डॉ. सिंह ने बैठक में कहा- केन्द्रीय सुरक्षा बलों का पर्यवेक्षण करने वाले अधिकारियों की उपस्थिति उनके बलों की तैनाती वाले स्थानों के नदीक होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नक्सल समस्या के पूर्ण रूप से निराकरण के लिए प्रभावित इलाकों में सुरक्षा और विकास दोनों ही मोर्चे पर राज्य और केन्द्र सरकार की सभी एजेंसिया मिलकर काम कर रही है। केन्द्रीय तथा राज्य सुरक्षा बलों में भी बेहतर समन्वय है।

विश्वास बढ़ाने की जरुरत
डॉ. सिंह ने कहा, स्थानीय जनता में सुरक्षा और विश्वास की भावना को और भी अधिक बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए जनकल्याणकारी योजनाओं के जरिये विकास की गति को तेज करना और सकारात्मक परिणामों तक पहुंचाना हमारा लक्ष्य है। उन्होंने कहा – नक्सल प्रभावित जिलों में युवाओं को लाइवलीहुड कॉलेज जैसी परियोजनाओं में कौशल उन्नयन के प्रशिक्षण के साथ रोजगार से जोडऩे के भी अच्छे परिणाम देखे जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने दंतेवाड़ा और सुकमा में संचालित एजुकेशन सिटी का उल्लेख करते हुए कहा कि इन विशाल शैक्षणिक परिसरों में नक्सल क्षेत्रों के हजारों बच्चों को प्राथमिक से लेकर हायर सेकेण्डरी की पढ़ाई के साथ-साथ रोजगार मूलक प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। राज्य के सभी पांच संभागीय मुख्यालयों में नक्सल क्षेत्रों के ग्यारहवी और बारहवीं के बच्चों के लिए मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना के तहत प्रयास आवासीय विद्यालय भी खोले गए है, जिनमें पढ़कर बच्चे आईआईटी जैसी संस्थाओं में भी पहुंच गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभावित जिलों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सिंचाई, दूर संचार नेटवर्क, सड़क और विद्युत सुविधाओं का तेजी से विस्तार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने सुकमा जिले में हाल ही में हुई नक्सल मुठभेड़ में सीआरपीएफ जवानों की शहादत और नक्सलियों द्वारा निर्दोष नागरिकों की हत्या की घटनाओं को दुर्भाग्य पूर्ण और निंदनीय बताते हुए कहा – प्रभावित इलाकों में सरकार की जनकल्याणकारी विकास योजनाओं के बढ़ते प्रभावों को देखकर नक्सली बौखलाहट में ऐसी वारदात कर रहे हैं, लेकिन वहां सुरक्षा बलों का मनोबल बहुत ऊंचा हैं और हम सब मिलकर नक्सलवाद को जल्द से जल्द पूरी समाप्त करेंगे।

मुख्यमंत्री ने बैठक में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों द्वारा और भी अधिक प्रभावी ऐरिया डोमिनेशन की जरूरत बतायी और कहा कि स्थानीय लोगों में सुरक्षा की भावना को बढ़ाना तथा विकास मूलक कार्यों को गति देना इसका उद्देश्य होना चाहिए। साथ ही माओवादियों में भय पैदा करना घटनाओं की पूर्व सूचना प्राप्त करने के लिए सूचना तंत्र को मजबूत बनाना और अपने कार्य क्षेत्र में नक्सल घटनाओं की रोकथाम करना भी एरिया डोमिनेशन का लक्ष्य होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा सभी सुरक्षा बलों को अपने-अपने कार्य क्षेत्र की भौगोलिक संरचना हथियारबंद माओवादियों और उनके समर्थकों की जानकारी तथा उनकी रणनीति की भी बेहतर समझ होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा – नक्सल विरोधी अभियानों में कार्यरत सभी अधिकारियों तथा कर्मचारियों को उनके इन अभियानों के बारे में वीडियो फुटेज तथा फिल्में भी दिखायी जानी चाहिए।

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