समस्याओं के मकडज़ाल में उलझ गया पुल निर्माण

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राउरकेला.

ब्रम्हाणी नदी पर बनने वाले नए पुल का निर्माण समस्याओं के मकडज़ाल में उलझ कर रह गया है. इससे सुंदरगढ़ से राउरकेला की जनता बुरी तरह से परेशान है.

उल्लेखनीय है कि सुंदरगढ़-राउरकेला के मध्य बहने वाली ब्रम्हाणी नदी पर यह पुल तकरीबन 65 साल पहले बना था. इतने पुराने पुल पर अब जगह जगह क्रेक दिखाई देते हैं. पुल की हालत जर्जर हो गई है.

ब्रम्हाणी नदी के ऊपर से गुजरने वाले इस पुल को आज सकरा माना जाने लगा है. दरअसल, राष्ट्रीय राजमार्ग 143 पर बना यह पुल दो लेन का है. अब आवागमन बढ़ गया है इसकारण पुल छोटा पडऩे लगा है.

मई 2018 में इस पुल का निर्माण शुरू हुआ था. तब इसे नवंबर 2020 तक पूरा करने की बात कही गई थी. ब्रम्हाणी नदी पर यह पुल 29.1 किमी लंबा है. इस पुल के निर्माण में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से अनापत्ति मिलने में भी देरी हुई है.

गड़करी ने रखी थी आधारशिला

तत्कालीन राष्ट्रीय राजमार्ग परिवहन मंत्री नितिन गड़करी ने 21 जुलाई 2017 को इसकी आधारशिला रखी थी. तब दो साल के भीतर पूरा करने का लक्ष्य देते हुए उन्होंने 550 करोड़ रूपए की स्वीकृति दी थी.

राजमार्ग पर राजमुंदरा से बीरमित्रपुर के बीच बनने वाला यह नया पुल सिक्स लेन का है. बीच बीच में धीमी गति से इसका काम होता है फिर बंद हो जाता है. बताया जाता है कि पिछले साल के अक्टूबर माह से काम बंद पड़ा है.

2012 में शुरू हुए इस काम में भूमि अधिग्रहण का पेंच भी फंसा हुआ है. कांग्रेस के नेतृत्व वाली तत्कालीन केंद्र सरकार के समय इस पुल के लिए 884 करोड़ रूपए वर्ष 2012 में आबंटित हुए थे.

उस वक्त गेमन इन्फ्रा स्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को बीरमित्रपुर से बाराकोट तक ब्रम्हाणी नदी पर फोरलेन हाइवे पुल बनाने का ठेका मिला था. भूमि अधिग्रहण के पेंच में फंसे होने के चलते कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ा और उसने अपने कदम पीछे खींच लिए.

इसी साल 14 सितंबर को पुल बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया. एनएचएआई के अधिकारियों ने इसकी मरम्मत करानी शुरू की. तब हैदराबाद की जीकेसी प्रोजेक्ट लिमिटेड नामक कंपनी को प्रथम चरण में बीरमित्रपुर से राउरकेला तक 381.75 करोड़ रूपए में इसके निर्माण का काम मिला था.

काम शुरू होते ही यह अटक भी गया है. चूंकि रूपटोला घाट साइट में अतिक्रमण हटाकर जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया है पर दांडियापाली की ओर सभी को मुआवजा नहीं मिल पाया है. इसके चलते जगह खाली नहीं की गई है.

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की ओर से जमीन अधिग्रहण के लिए सरकार को 60 करोड़ रूपए आबंटित किए जा चुके हैं. दुर्भाग्य की बात यह है कि यह राशि अब तक खर्च नहीं की जा सकी है. केंद्र सरकार ने पुल के निर्माण के लिए 382 करोड़ रूपए जारी किए हैं लेकिन काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है.

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