एसपी राहुल शर्मा से डीएसपी अजितेष सिंह तक… भाग्य भरोसे जीपी

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नेशन अलर्ट.
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रायपुर.

इकॉनॉमिक अफेंस विंग (ईओडब्ल्यू) के प्रभारी अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) जीपी सिंह किस्मत के धनी कहे जा सकते हैं. दो मर्तबा गंभीर विवादों में फंसे जीपी सिंह पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई. इसकारण यह कहा जा सकता है कि जीपी सिंह भाग्य भरोसे बचे हैं.

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ की सेवा में पदस्थ अखिल भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी जीपी सिंह 1994 बैच के हैं. वह पहले अजीत जोगी के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में उनके नजदीकी माने जाते थे.

बाद में जब राज्य में भाजपा की सरकार बनी तो पन्द्रह साल तक वह आईपीएस मुकेश गुप्ता व मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव रहे अमन सिंह के सौजन्य से तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नजदीकी माने जाते रहे.

अब जबकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है तो वह ईओडब्ल्यू-एसीबी के प्रभारी हैं. यह पद काफी ताकतवर माना जाता है. इस पद पर रहते हुए ही आईपीएस मुकेश गुप्ता ने राजधानी रायपुर से लेकर राजधानी दिल्ली तक नाम कमाया था.

यह अलग बात है कि मुकेश गुप्ता इन दिनों भारी विवादों में फंसे हुए हैं. आईपीएस मुकेश गुप्ता को राज्य की कांग्रेस सरकार ने भले ही निलंबित कर दिया हो लेकिन आईपीएस जीपी सिंह जैसे अफसर गाहे बेगाहे उनसे मित्रता निभाते नजर आते हैं.

एसपी की आत्महत्या में उभरा था नाम

आईपीएस जीपी सिंह को तत्कालीन भाजपा सरकार के समय बिलासपुर रेंज में बतौर आईजी पदस्थ किया गया था. उस समय बिलासपुर के एसपी रहे राहुल शर्मा ने स्वयं को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी.

आईपीएस राहुल शर्मा की आत्महत्या के प्रकरण में आईपीएस जीपी सिंह का भी नाम उभरा था. तत्कालीन भाजपा सरकार ने उन्हें बिलासपुर से भले ही हटा दिया हो लेकिन इसके बाद रायपुर-दुर्ग जैसी रेंज का प्रभारी बनाकर उनके वजन में कोई कमी नहीं की गई थी.

एसपी रहे राहुल शर्मा के खुदकुशी के मामले में केंद्रीय अन्वेंषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराई गई लेकिन भाग्य भरोसे रहे आईपीएस जीपी सिंह का बाल भी बांका नहीं हुआ.

अब जबकि जीपी सिंह राज्य की ईओडब्ल्यू के प्रभारी बने बैठे हैं तब वह एक बार फिर विवादों में घिरे थे. इस मर्तबा भी उनके खिलाफ न तो कोई कार्यवाही की गई और न ही कोई पूछताछ की खबर है.

इस मर्तबा ईओडब्ल्यू में पदस्थ रहे डीएसपी अजितेष सिंह का नाम आईपीएस जीपी सिंह से हुए विवाद में उभरा है. बताया तो यह तक जाता है कि डीएसपी अजितेष सिंह ने आईपीएस जीपी सिंह पर गाली गलौज करने, नियम विरूद्ध तरीके से काम करने सहित गुंडागर्दी का आरोप लगाया था.

चर्चा तो यह तक थी कि डीएसपी अजितेष सिंह ने आईपीएस जीपी सिंह के नाम का उल्लेख करते हुए जहर सेवन करने की धमकी दी थी. इसके बावजूद आईपीएस जीपी सिंह ईओडब्ल्यू में बने हुए हैं जबकि डीएसपी अजितेष सिंह वहां से हटा दिए गए.

इस संबंध में वस्तु स्थिति की जानकारी लेने नेशल अलर्ट ने भरपूर प्रयास किया. चूंकि डीएसपी अजितेष सिंह ने अपने मोबाइल पर की गई कॉल रिसीव नहीं की इसकारण प्रकरण का खुलासा नहीं हो पाया.

… लेकिन यह तय लग रहा है कि आईपीएस जीपी सिंह भाग्य भरोसे कार्यवाहियों से बचते रहे हैं. जिस दिन उनकी किस्मत थोड़ी भी उनसे रूठेगी उस दिन उनके खिलाफ जरूर कार्यवाही हो सकती है.

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