प्रोफेसर भर्ती घोटाला : सत्ता में आते ही क्यों भुलाने लगी कांग्रेस ?

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भोपाल.

वर्ष 2009-10 में तब की भाजपा सरकार के समय हुई प्रोफेसर्स की भर्ती में हुए कथित घोटाले की जांच रपट मंत्रालय से गायब हो गई है. यह वही मामला है जिसमें विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने बहुत हल्ला मचाया था लेकिन जैसे ही सत्ता में आई तो इस मुद्दे को भुला सा दिया है. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?

जब मध्यप्रदेश में विधानसभा के चुनाव हुए तब कांग्रेस ने एक आरोप पत्र जारी किया था. इस आरोप पत्र में प्रोफेसर भर्ती घोटाला भी शामिल किया गया था.

कांग्रेस ने आरोप पत्र में यह वायदा किया था कि यदि वह सत्ता में आती है तो प्रोफेसर भर्ती घोटाले में कार्यवाही की जाएगी.

कार्यवाही तो छोडि़ए, कांग्रेस सरकार में प्रोफेसर भर्ती घोटाले की जांच रपट सार्वजनिक भी नहीं की जा रही है. आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे इस मसले को लेकर कांग्रेस से बेहद खफा हैं.

दुबे कहते हैं कि प्रदेश की सत्ता चूंकि अब कांग्रेस के हाथ में है तो सरकार को इस विषय पर सख्ती से कार्यवाही करनी चाहिए. कई लोगों ने फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी प्राप्त की है उन्हें हर हाल में सजा सुनानी चाहिए.

एक माह का समय दिया

उल्लेखनीय है कि इसी मसले पर दुबे ने मध्यप्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त एके शुक्ला के पास अपील की थी. शुक्ला ने 2009-10 की प्रोफेसर भर्ती की जांच रपट सार्वजनिक करने के आदेश कर दिए हैं.

दुबे के अनुसार सूचना आयोग ने एक माह के भीतर जांच रपट और दोषियों पर की गई कार्यवाही को सार्वजनिक करने का आदेश दिया है. दुबे बताते हैं कि उन्होंने वर्ष 2017 के मार्च में इस विषय पर उच्च शिक्षा विभाग से जांच रपट मांगी थी.

दुबे के अनुसार तब उस शिक्षा विभाग ने जानकारी छिपा ली थी. उसने आवेदक को किसी भी तरह की जानकारी देने से मना कर दिया था.

इस पर भी सूचना आयोग ने लोकसूचना अधिकारी पर जुर्माना लगाने की नोटिस जारी करते हुए इसे तामिल कराने की जिम्मेदारी प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा विभाग को सौंपी है.

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