मानिक को शांत नहीं कर पाए आईपीएस गुप्ता

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रायपुर.

डॉ. मिक्की मेहता की संदिग्ध मौत के बाद उनके भाई मानिक मेहता आईपीएस मुकेश गुप्ता के पीछे लगे हुए हैं. हर तरह का प्रयास करने के बावजूद मुकेश गुप्ता मामले में मानिक को शांत नहीं कर पाए.

दरअसल डॉ. मिक्की मेहता की संदिग्ध मौत का मामला सबसे पहले उनके परिजनों ने ही उठाया था. मां श्यामा मेहता के अलावा भाई मानिक शुरू से मुकेश गुप्ता को मामले में जिम्मेदार ठहराते रहे थे.

शह और मात का खेल जारी

पूरे मामले को देखने से यही लगता है कि आईपीएस गुप्ता व मानिक के बीच शह और मात का खेल बदस्तूर जारी है. पहले श्यामा मेहता, मानिक मेहता को मातेखेड़ा (राजनांदगांव) के एक मामले में आरोपी बनाया गया था.

अब मानिक की शिकायत पर आईपीएस मुकेश गुप्ता जमीन के एक मामले में आरोपी बना दिए गए हैं. सुपेला (दुर्ग) थाने में धोखाधड़ी सहित विभिन्न धाराओं में आईपीएस मुकेश गुप्ता के खिलाफ जुर्म दर्ज कर लिया गया है.

मानिक ने शिकायत की थी कि वर्ष 1998 में जब मुकेश गुप्ता दुर्ग एसपी हुआ करते थे तब वह साडा (भिलाई) के पदेन सदस्य भी थे. मोतीलाल नेहरू आवासीय योजना पश्चिम में ब्लाक क्रमांक 67 भूखंड क्रमांक 5 कुल 540 वर्गमीटर का आबंटन उन्होंने अपने पद और प्रभाव का दुरूपयोग करते हुए प्राप्त किया था.

शिकायत में माणिक ने यह भी उल्लेखित किया था कि 9 जून 1998 को कूटरचित दस्तावेज आईपीएस मुकेश गुप्ता द्वारा जारी करवाए गए. इन्ही दस्तावेजों के आधार पर 2920 वर्गफुट भूखंड के स्थान पर दो गुने भूखंड 5810.40 वर्गफुट की रजिस्ट्री करा ली गई.

यह रजिस्ट्री 11 जून 1998 को की गई थी. जबकि चेक की राशि 13 जून 1998 को जमा कराई गई थी. याने कि बगैर पैसे दिए ही मुकेश गुप्ता ने विघटित हो चुके साडा से अपने नाम जमीन करवा ली थी.

मानिक मेहता की शिकायत बताती है कि जमीन खरीदने के बाद आईपीएस मुकेश गुप्ता ने अपने विभाग को किसी तरह की सूचना नहीं दी थी. बगैर अनुमति के उस जमीन पर बेशकीमती इमारत भी बनवा ली.

इसी मामले की जब जनचर्चा होने लगी तब मुकेश गुप्ता ने इस मकान को 42 लाख रूपए में बेच दिया. इस मकान को बेचने के बाद उन्होंने दिल्ली में एक करोड़ 5 लाख रूपए में दूसरा मकान बगैर किसी को बताए खरीद लिया. अब मामले में जब जुर्म दर्ज कर लिया गया है तो आईपीएस मुकेश गुप्ता की परेशानी बढऩे लगी है.

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