बड़ा फैसला : केंद्र ले न ले, राज्य सरकार खरीदेगी धान

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रायपुर.

केंद्र सरकार से धान खरीदी को लेकर सहमती न बन पाने के बाद राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सोमवार को हुई केबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया कि केंद्र खरीदी का कोटा बढ़ाए न बढ़ाए राज्य सरकार किसानों का सारा धान खरीदेगी. इसके अलावा आज सरकार ने आर्थिक रुप से कमजोर सवर्णों वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण देने पर भी सहमती जताई है. हालांकि इसका औपचारिक ऐलान बाकी है.

मीटिंग के बाद सरकार के वरिष्ठ मंत्री रविन्द्र चौबे और मो. अकबर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस ली. उन्होंने इस दौरान बताया कि 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार को पत्र भेजकर सेंट्रल पूल का कोटा 24 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 32 लाख किये जाने की मांग की थी, लेकिन केंद्र की ओर से आये जवाब में इस मांग को ठुकरा दिया गया है.

इस बार बढ़ेगा खरीदी का आंकड़ा

पिछले साल धान खरीदी के लिए 75 लाख मीट्रिक टन खरीदी का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अभी धान खरीदी के लिए दस दिन का समय बाकी है और अब तक 71 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है. अनुमान है कि इस बार 85 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी होगी. राज्य में 126 लाख मीट्रिक टन धान का कुल उत्पादन होता है, जिसका 71 फीसदी सरकार खरीदती है.

केंद्र सरकार और राज्य के पूल में से अरवा चावल की 31 लाख मीट्रिक टन चावल की जरूरत होती है. इसकी अनुमति केंद्र ने दी है. उसना चावल की 24 लाख मीट्रिक टन की जरूरत पड़ती है. मो. अकबर ने कहा कि कुल 68.1 मीट्रिक टन धान की खपत होगी.

नान को मिलेगी बचे धान की जिम्मेदारी

कैबिनेट में सरकार ने फैसला लिया है कि 31 जनवरी तक जितना भी धान सोसायटियों में आएगा पूरा खरीदा जाएगा. अनुमान है कि 4.60 लाख मीट्रिक टन धान जो शेष बचेगा उसे नागरिक आपूर्ति निगम के जरिये हम बेहतर उपयोग करेंगे. जरूरत पड़ी तो इसके लिए बजट में प्रावधान किया जाएगा.

खरीदी के लिए बनाएंगे खुद का पोर्टल

जेम से खरीदी के निर्णय को सरकार ने बदल दिया है. छत्तीसगढ़ क्रय एवं भंडार अधिनियम के तहत कैबिनेट ने फैसला लिया है कि विभागों के जरिये होने वाली खरीदी सीएसआईडीसी के जरिये की जाएगी. छत्तीसगढ़ जेम की तर्ज पर खुद का पोर्टल बनाएगी.

इसके अलावा तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरी के लिए स्थानीय स्तर पर बेरोजगार युवाओं को ही नौकरी देने के पूर्ववर्ती सरकार के निर्णय को भूपेश सरकार ने आगे बढ़ाया है. जाएगी. कैबिनेट ने इस निर्णय को दो साल और बढ़ाये जाने का फैसला लिया है. इसमें सरगुजा और बस्तर के अलावा कोरबा जिले को भी शामिल किया गया है.

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