दोरदे-मूचर कांड के समय एसडीएम थे टोप्पो

शेयर करें...

नेशन अलर्ट/रायपुर।

जनसंपर्क विभाग में स्वतंत्र प्रभार वाले विशेष सचिव के साथ आयुक्त रहे राजेश सुकुमार टोप्पो चुनाव के समय पहले भी विवादों में घिरे थे। मोहला-मानपुर के अनुविभागीय दंडाधिकारी (एसडीएम) रहने के दौरान टोप्पो पर गंभीर अनियमितता बरतने का आरोप लगा था। तब भले ही कार्रवाई उन पर नहीं हो पाई लेकिन इस बार वह ऐसे मामले में फंसे हैं जो सरकार के लिए भी गले की हड्डी बन गया है।

मूलत: झारखंड के रहने वाले आईएएस राजेश सुकुमार टोप्पो को वर्ष 2015 के सितंबर में जनसंपर्क विभाग में संचालक बनाया गया था। 13 जून 2017 को वह छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार जनसंपर्क विभाग के स्वतंत्र प्रभार वाले विशेष सचिव बने थे। इसके साथ ही उन्हें पदोन्नत करते हुए आयुक्त, जनसंपर्क बनाया गया था। रायपुर नगर निगम के कमिश्रर रहे टोप्पो बलौदा बाजार में लंबे समय तक कलेक्टर भी रह चुके थे।

क्या हुआ था दोरदे-मूचर में
मोहला-मानपुर विधानसभा क्षेत्र में दोरदे व मूचर नामक गांव शामिल हैं। वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान आईएएस टोप्पो मोहला एसडीएम हुआ करते थे। दोरदे व मूचर गांव में मतदान दलों के जाए बिना मतदान के फर्जी आंकड़े प्रस्तुत कर दिए गए थे।

नक्सल प्रभावित इस क्षेत्र में किस हद तक फर्जीवाड़ा होता रहा है यह जब खबर का हिस्सा बना तो प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रहे डॉ. आलोक शुक्ला खुद गांव पहुंचे थे। उनके समक्ष लोगों ने स्वीकार किया था कि मतदान दल उनके गांव में आए ही नहीं। पोलिंग पार्टियों ने खुद मतदान कर फर्जी आंकड़े प्रस्तुत किए थे।

निलंबित हुए थे अधिकारी कर्मचारी
मामले की रपट जब चुनाव आयोग तक पहुंची तो उसने मतदान दल में शामिल रहे 11 अधिकारी-कर्मचारी को निलंबित कर दिया। नौ के खिलाफ प्राथमिक रपट भी थाने में दर्ज कराई गई। लेकिन एसडीएम रहे टोप्पो बाल-बाल बचे थे।

तब राजनांदगांव के जिलाधीश संजय गर्ग हुआ करते थे। उन्होंने संभवत: आईएएस टोप्पो की मदद की थी। आईएएस लॉबी के दबाव के चलते टोप्पो उस दौरान तो बच निकले थे लेकिन इस बार बुरे फंसे हैं। इस मर्तबा उन्हें भले ही अभी पद छोडऩा पड़ा है लेकिन यदि सत्ता परिवर्तन हुआ तो आगे आने वाले दिन टोप्पो के लिए और परेशानी दायक रहेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *