झटके के बावजूद प्रदेश में मजबूत है कांग्रेस

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राजनीतिक विश्लेषक प्रकाशपुंज पांडेय
सत्ताधारी बीजेपी छत्तीसगढ़ में रमन सिंह सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को बेअसर करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है। वहीं, मायावती से झटका खाने के बावजूद कांग्रेस के जोश में कोई कमी नहीं आई है। बीएसपी और कम्युनिस्ट पार्टी ने अजीत जोगी की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे (जेसीसीजे) के साथ गठजोड़ करने का फैसला किया है।

इन सबके मद्देनज़र कांग्रेस और बीजेपी दोनों की नज़रों में क्षेत्रीय दलों की अहमियत बढ़ गई है। हर बार दोनों प्रतिद्वंद्वी दलों के बीच वोटों का अंतर बेहद कम रहता है और ऐसे में छोटी पार्टियों के वोट निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी नेता बीएसपी से चोट खाने के बाद डैमेज कंट्रोल की कोशिश कर रहे हैं। उनकी दलील है कि कांग्रेस हमेशा राज्य में अकेले ही लड़ी है। वैसे बीएसपी के पूर्व कांग्रेसी नेता जोगी के साथ गठबंधन से हैरान नहीं हैं। एक कांग्रेसी नेता ने बताया, ‘हम सभी 90 सीटों पर चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं और हर जगह बूथ लेवल कमेटी बना चुके हैं।’

उन्होंने बताया, ‘हमने सभी सीटों पर संकल्प शिविर का आयोजन भी किया था। पार्टी संभावित उम्मीदवारों को शॉर्ट लिस्ट भी कर चुकी है।’ अब कांग्रेस की योजना जेसीसी जे और बीएसपी को बीजेपी की बी-टीम के रूप में प्रचारित करने की है, जिन्हें वोट काटने के लिए आगे किया गया है। कांग्रेस को यह भी लगता है कि सत्ता विरोधी लहर और बदलाव की ललक भी उसका साथ देगी।

साथ ही कांग्रेसी नेता ने बताया कि हाल ही में हुए भूपेश बघेल के सीडी कांड से भी कांग्रेस पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता कांग्रेस पार्टी तठस्त होकर जनता के पास जा रही है और अपने चुनावी तैयारियों में जुटी हुई है।

एक काँग्रेसी नेता ने बताया, ‘कई व्यापारी, मिडिल क्लास, अपर कास्ट और बैकवर्ड लोग बीजेपी से नाराज़ होने के बाद भी जोगी की वजह से कांग्रेस को वोट नहीं करते थे। अब वे भी हमें ही वोट करेंगे।’

निर्णायक भूमिका निभाएंगे आदिवासी वोट
बीएसपी के झटके के बाद कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ रही हैं क्योंकि गोंड़वाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) का कहना है कि वह छत्तीसगढ़ में गठजोड़ के लिए बीएसपी-जेसीसी के साथ बात कर रही है। जीजीपी का छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में काफी प्रभाव है, लेकिन यह अकेले दम पर कोई सीट नहीं जीत पाई है।

हालांकि, गोंगपा जिस भी पार्टी के साथ गठबंधन करेगी, उसे निश्चित तौर पर फायदा होगा। कांग्रेस ने दोनों राज्यों- मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में गोंगपा के साथ अलायंस करने की कोशिश की थी। हालांकि, यह दोनों राज्यों में बीएसपी के साथ जा सकती है।

बीजेपी, कांग्रेस के दिग्गजों ने लगाई पूरी ताकत
राजस्थान और मध्य प्रदेश की तुलना में छत्तीसगढ़ भले ही छोटा राज्य है, लेकिन कांग्रेस और बीजेपी इसे हल्के में बिल्कुल नहीं ले रहे हैं। बीजेपी प्रमुख अमित शाह गत दिनों छत्तीसगढ़ में रुके थे। उनका पूरा ध्यान पार्टी काडर का मनोबल बढ़ाने पर था। शाह यह पक्का करने की कोशिश कर रहे थे कि प्रदेश इकाई आपसी लड़ाई को दरकिनार करके टीम की तरह काम करे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रदेश का दौरा किया था। वहीं, कांग्रेस ने दशहरा के बाद पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे की योजना बना रखा है। पार्टी नेता दावा कर रहे हैं कि स्क्रीनिंग कमेटी ने टिकट बांटने के लिए अपना होम-वर्क पूरा कर लिया है और कुछ दिनों में संभावित उम्मीदवारों का नाम आखिरी फैसला लेने के लिए केंद्रीय इलेक्शन कमेटी के पास भेज दिया जाएगा। राहुल गांधी के छत्तीसगढ़ से प्रस्थान के बाद 18+17 कुल मिलाकर 35 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की जा सकती है।

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