तीन दिन और सीलन भर झोपड़ी, कहां है विकास

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कमलेश सिमनकर/ राजनांदगांव।
आज के अत्याधुनिक युग मे जिले के वनांचल क्षेत्र में रूढि़वादी परम्परा स्थापित है। इस परंपरा को लाख प्रयास के बावजूद अब तक शासन-प्रशासन मिटाने में नाकाम रहा है। अब सवाल इस बात का उठता है कि कहां है विकास। विकास केवल शहरों तक ही सिमटकर रह गया है।
वनांचल में आज भी बिजली, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं से ग्रामीण जूझ रहे है। जिले के ऐसे ही वनांचल के कई गांव में किशोर युवतियों और महिलाओं को आज भी रूढि़वादी परम्पराओं के चलते मासिक धर्म के दौरान गांव के बदबूदार संक्रमित टूटी-फूटी झोपड़ी में रखा जाता है। यहां रात में रोशनी नहीं होती है वहां उन्हें 3 से 5 दिन रहना पड़ता है। मासिक धर्म के दौरान किशोर युवतियों और महिलाओं को गांव के लोग छूत-छुआ और देवी-देवताओं की नाराजगी बताते हुए गांव के बाहर बने कुटिया में रहने मजबूर करते हैं।
मामला उस नक्सल प्रभावित जिले राजनांदगांव के सीतागांव का है जहां पर इस तरह की कुप्रथा चली आ रही है। मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को घर के बाहर झोपड़ी में रखने की एक विशेष समाज में प्रचलित प्रथा छोड़ देने का आग्रह करने कलेक्टर भीम सिंह मानपुर ब्लाक के सीतागांव पहुंचे। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और सुविधा समाज के लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता होती है ऐसी कोई भी प्रथा जिससे यह प्राथमिकताएँ खतरे में आ जाएं, उसे छोड़ देना चाहिए। कलेक्टर ने कहा कि वे यहाँ सेनेटरी पैड नि:शुल्क उपलब्ध कराएंगे।
जिला कार्यक्रम अधिकारी अभिषेक त्रिपाठी ने कलेक्टर को बताया कि महिलाएँ सेनेटरी पैड को अपना रही हैं। जितने सेनेटरी पैड सीतागांव के नजदीकी गांव कारेकट्टा आंगनबाड़ी में बांटे गए थे उनमें 75 फीसदी का इस्तेमाल कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि पीरिएड्स के दौरान सेनेटरी पैड इस्तेमाल करने के लाभों के संबंध में भी जानकारी दी जा रही है जिससे धीरे-धीरे जागरूकता बढ़ रही है। इस दौरान सीईओ जिला पंचायत चंदन कुमार, डीएफओ मोहम्मद शाहिद, मोहला एसडीएम यादव सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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