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18 करोड़ का मुआवजा घोटाला

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कोरबा.

साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड ( एसईसीएल ) इस बार उत्पादन नहीं बल्कि घोटाले को लेकर चर्चा में है. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानिकि सीबीआई मामले जाँच कर रही है. तकरीबन 18 करोड़ का मुआवजा घोटाला एसईसीएल की इज्जत पर बट्टा लगा रहा है.

मामला एसईसीएल की दीपका खदान और उसके विस्तार से जुडा़ हुआ है. इसी विस्तार में मनमाने तरीके से भ्रष्ट आचरण अपनाने की शिकायत पर केंद्रीय एजेंसी जाँच कर रही है.

मलगाँव से जुडे़ हैं घोटाले के तार . . .

पूर्व में एसईसीएल ने अपनी दीपका खदान विस्तार का निर्णय लिया था. इसके लिए उसने ग्राम मलगाँव और सुआभोड़ी का चयन किया था.

चयनित इन्हीं दोनों गाँवों में स्थित जमीन का अधिग्रहण किया गया. अधिग्रहित की गई जमीन के मुआवजा वितरण की जांच अब सीबीआई द्वारा शुरू की गई है.

उल्लेखनीय है कि एसईसीएल का मेगा प्रोजेक्ट दीपका माना जाता रहा है. अब जबकि विस्तार के लिए अधिग्रहित की गई जमीन के मुआवजा वितरण की जाँच हो रही है तो एसईसीएल के मुँह पर कालिख पुत रही है.

जाँच एजेंसी के सूत्र बताते हैं कि 26 ऐसे लोग तकरीबन 18 करोड़ रुपए का मुआवजा प्राप्त कर गए जोकि दायरे में भी नहीं आते थे. दूसरे शब्दों में मुआवजा के नाम 18 करोड़ का घोटाला कर दिया गया.

पत्रकार और पुलिस के भी अफसरान दोषी . . .

इसमें विभागीय अधिकारियों के साथ ही राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका की जाँच हो रही है. गलत तरीके से मुआवजा प्राप्त करने वालों में श्रमिक नेताओं के साथ साथ पुलिस, पत्रकार, राजस्व एवं वन विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों के रिश्तेदार शामिल बताए जाते हैं.

पूरे प्रकरण में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की भूमिका भी तलाशी जा रही है. चूँकि राज्य प्रशासनिक सेवा की एक महिला अधिकारी की भूमिका संदिग्ध इस कारण यह तलाश जरुरी बताई जा रही है.

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