रिश्वतखोर आईपीएस पर केस दर्ज

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जयपुर. एन्टी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के डीआईजी रहे विष्णुकांत पर केस दर्ज किया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने रिश्वतखोरी के मामले में पकड़े गए प्रधान आरक्षक का नाम प्रकरण से हटा देने के नाम पर 9.50 लाख रूपए की रिश्वत ली थी। एएसपी ललित किशोर शर्मा की रपट आने के बाद विष्णुकांत आरोपी आईपीएस बन गए हैं।
उल्लेखनीय है कि आईपीएस विष्णुकांत एसीबी में डीआईजी के पद पर पदस्थ थे। वर्ष 2021 में जवाहर सर्किल थाने के प्रधान आरक्षक सरदार सिंह और आरक्षक लोकेश को घूस लेने के आरोप में विष्णुकांत के नेतृत्व में कार्य कर रही एसीबी की टीम ने रंगे हाथ पकड़ा था। मामला सत्यपाल पारिक की शिकायत से जुड़ा हुआ है।
आईजी होमगार्ड हैं
फिलहाल आईपीएस विष्णुकांत आईजी होमगार्ड के पद पर पदस्थ हैं। उनके खिलाफ सत्यपाल ने डीआईजी को पैसे देकर केस से नाम हटाने की शिकायत और सबूत दिये थे। इस पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने डीआईजी विष्णुकांत को एसीबी से हटा दिया था।
प्रधान आरक्षक सरदार सिंह का भाई प्रताप सिंह जयपुर कमिश्नरेट में पुलिस आरक्षक है। वह विष्णुकांत का गनमैन हुआ करता था। उसी के माध्यम से आईपीएस विष्णुकांत ने एसीबी डीजी के नाम पर 9.5 लाख रूपए की रिश्वत ली थी।
रिश्वत लेने के बाद प्रधान आरक्षक सरदार सिंह का नाम हटाकर उन्होंने फाईल आगे बढ़ा दी थी। एडिशनल एसपी सुरेन्द्र कुमार स्वामी ने 11 फरवरी 2022 को डीआईजी विष्णुकांत के समक्ष जो रपट प्रस्तुत की थी उसमें सरदार सिंह के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने का उल्लेख था और लोकेश कुमार को आरोपी बताया गया था।
इसी रपट को 14 फरवरी 2022 को आईपीएस विष्णुकांत ने अभियोजन के उपनिदेशक के पास प्रस्तुत कर दिया था। इस पर उपनिदेशक ने 2 मार्च 2022 को यह लिखते हुए फाईल लौटाई थी कि जांच अधिकारी को पुनः जांच करनी चाहिए क्योंकि प्रधान आरक्षक सरदार सिंह भी इस केस में आरोपी हैं।
डीआईजी विष्णुकांत ने इसके बावजूद कोर्ट में चालान पेश कर दिया था। चालान में उन्होंने आरक्षक लोकेश कुमार को आरोपी बताते हुए प्रधान आरक्षक सरदार सिंह को बेगुनाह बताया था। विभागीय कार्यवाही के लिए कमिश्नरेट के साथ लिखा पढ़ी की थी।
रिकार्डिंग में फंसे डीआईजी
डीआईजी से आश्वासन मिलने के बाद प्रधान आरक्षक सरदार सिंह की पौबारह हो गई थी। उसने अपने भाई प्रताप सिंह के साथ डीआईजी से व्हाट्सएप पर जो बात हुई थी उसे रिकार्ड कर लिया था। इसमें डीआईजी यह कह रहे थे कि डरने की कोई जरूरत नहीं है। मैने तुम्हारा नाम हटा दिया है।
इस रिकार्डिंग को प्रधान आरक्षक और उसके भाई आरक्षक ने मामले के शिकायतकर्ता सत्यपाल पारिक को भी भेज दिया था। ऐसे कुल 9 आडियो, वीडियो पारिक को प्राप्त हुए थे जिसे उन्होंने एसीबी को सौंपा था। इस बीच सरकार ने बिना किसी ठोस कार्यवाही के डीआईजी विष्णुकांत को एसीबी से हटा दिया था।
अब एसीबी के एडिशनल एसपी ललित शर्मा की रपट के बाद उन पर कार्यवाही की गई है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (यथा संशोधित 2018) के तहत शिकायतकर्ता की शिकायत पर आईजी होमगार्ड जो कि पूर्व में डीआईजी एसीबी रहे थे उस आईपीएस विष्णुकांत सहित सरदार सिंह और प्रताप सिंह के विरूद्ध प्रकरण दर्ज किया गया है। मामला 10 लाख की रिश्वत से जुड़ा हुआ है।

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