…तो खड़गे की सभा में कांग्रेस में शामिल हो जाते जनता कांग्रेसी

शेयर करें...

नेशन अलर्ट/www.nationalert.in
रायपुर। कांग्रेस के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के हालिया छत्‍तीसगढ़ प्रवास के दौरान जनता कांग्रेस छत्‍तीसगढ़ जे को एक बड़ा झटका लगते लगते रह गया। यदि सब कुछ तय कार्यक्रम के मुताबिक तय रणनीति के हिसाब से होता तो जनता कांग्रेस छत्‍तीसगढ़ को विधायक ठाकुर धर्मजीत सिंह और प्रमोद शर्मा के बाद संगठन स्‍तर पर पार्टी को चलायमान रखने वाले नेताओं को खोना पड़ सकता था। लेकिन प्रदेश के उप मुख्‍यमंत्री टीएस सिंहदेव के लाख प्रयास के बावजूद ऐसा हो नहीं पाया। कहीं से अड़ंगा आ गया और पार्टी परिवर्तन की चाह धरी की धरी रह गई।

राष्‍ट्रीय कांग्रेस अध्‍यक्ष खड़गे 7 और 8 सितंबर को छत्‍तीसगढ़ प्रवास पर थे। 7 सितंबर को उन्‍होंने राजधानी में पार्टी के प्रमुख नेताओं से बातचीत कर चुनावी रणनीति तैयार की थी। जबकि 8 सितंबर को उनकी एक महती सभा पूर्व मुख्‍यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निर्वाचन क्षेत्र राजनांदगांव के ठेकवा में आयोजित हुई थी। इसी सभा में पार्टी परिवर्तन होते होते रह गया।

तो भाटिया, ठाकुर, पटेल, पाल, गुप्‍ता हो जाते कांग्रेसी
इसी सभा में जनता कांग्रेस छत्‍तीसगढ़ जे को छोड़कर कांग्रेसी होने की तैयारी कईयों ने कर रखी थी। बताया जाता है कि इसके लिए उन्‍हें कांग्रेस के भीतर से उप मुख्‍यमंत्री टीएस सिंहदेव से सहयोग भी मिल रहा था। इसके बावजूद ऐसा हो नहीं पाया। 7 सितंबर को जैसे ही इसकी भनक कांग्रेस के अन्‍य नेताओं को मिली तो किंतु परंतु होने लगा। 8 सितंबर को पार्टी परिवर्तन की तैयारी जनरैल सिंह भाटिया (खुज्‍जी), संजीत ठाकुर (मोहला-मानपुर), गीतांजली पटेल (चंद्रपुर), डॉ.अनामिका पाल (बसना) व जनता कांग्रेस छत्‍तीसगढ़ जे की संचालन समिति में शामिल संतोष गुप्‍ता को कांग्रेसी गमछा पहनाने की तैयारी थी।

लेकिन 7 और 8 सितंबर की मध्‍य रात्रि को किंतु परंतु के बीच कांग्रेस में ऐसा कुछ हुआ कि उप मुख्‍यमंत्री टीएस सिंहदेव के प्रयास परवान नहीं चढ़ सके। बताया जाता है कि उनसे भेंट मुलाकात कर जनता कांग्रेस छत्‍तीसगढ़ जे को छोड़ने का ताना बाना बुन लिया गया था। सिंहदेव इसके लिए सहमत भी थे। उन्‍होंने प्रयास शुरू किया था लेकिन पार्टी के बाकी नेताओं को या तो वह सहमत नहीं कर पाए या फिर ऐसा कुछ हुआ कि जनता कांग्रेस टूटने से बच गई।

ज्ञात हो कि भाटिया ने खुज्‍जी विधानसभा क्षेत्र से तकरीबन 10 फीसदी वोट अर्जित करके 14507 मतों के साथ तीसरा स्‍थान प्राप्‍त किया था। संजीत ठाकुर ने 23 फीसदी मतों के साथ मोहला-मानपुर में बेहतर प्रदर्शन किया था। उन्‍हें 28740 मत मिले थे। यही हाल गीतांज‍ली पटेल का था। गीतांजली ने चंद्रपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ के भाजपा को तीसरे स्‍थान पर धकेलने में सफलता अर्जित की थी। हालांकि गीतांजली उस बसपा के चुनाव चिन्‍ह से लड़ी थी जिस बसपा का पिछली मर्तबा जनता कांग्रेस छत्‍तीसगढ़ से गठबंधन था। तब उन्‍हें 47299 मत मिले थे। कुछेक हजार वोट से वह पीछे रह गईं थी।

डॉ.अनामिका पाल को पिथोरा क्षेत्र का निवासी बताया जाता है। उन्‍होंने पिछला चुनाव बसना विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्‍याशी के रूप में लड़ा था। पहले वह जकांछ में थी और बाद में उन्‍होंने पार्टी से इस्‍तीफा दे दिया था। प्रथम मुख्‍यमंत्री रहे अजीत जोगी के निधन के बाद उन्‍हें जकांछ में अजीत जोगी महिला मोर्चा का प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया गया था।

यदि पार्टी परिवर्तन होता तो संतोष गुप्‍ता नामक जनता कांग्रेसी भी कांग्रेस का गमछा ओढ़ लेता। संतोष गुप्‍ता को जकांछ में संसदीय दल का सदस्‍य बताया जाता है। गुप्‍ता सहित चार विधानसभा प्रत्‍याशियों के एक साथ जाने से जकांछ को इतना बड़ा झटका लगता कि वह वापस उठनें का समय लेती लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। ऐसा क्‍यूंकर और किसके इशारे पर हुआ यह तो भविष्‍य में ही स्‍पष्‍ट हो पाएगा लेकिन फिलहाल खड़गे के समक्ष कांग्रेस में शामिल होने की मंशा पूरी नहीं हो पाई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *