गणेश के साथ पूजे जाएंगे कृष्‍ण और गाय

शेयर करें...

नेशन अलर्ट/www.nationalert.in
गाडरवारा। 03 सितंबर को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी है। गणेशजी के साथ भगवान श्रीकृष्‍ण और गायों को रविवार को पूजा जाएगा। ऐसा इसलिए होगा कि इस व्रत से संतान प्राप्‍त किया जा सकता है।

इस दिन संकष्टी चतुर्थी के साथ-साथ बहुला चतुर्थी का व्रत भी रखा जाता है। इसीलिए इसे कृष्ण चतुर्थी या बहुला चौथ के नाम से जाना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं बहुला चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 02 सितंबर को रात 08 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर 03 सितंबर को शाम 6 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि 03 सितंबर को प्राप्त हो रही है। ऐसे में संकष्टी चतुर्थी और बहुला चतुर्थी का व्रत 03 सितंबर 2023, रविवार के दिन रखा जाएगा। 

बहुला चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें।
शाम के समय भगवान गणेश, भगवान श्री कृष्ण और गौ माता की उपासना करें। 
पूजा के लिए भगवान श्रीकृष्ण के किसी ऐसे चित्र या प्रतिमा को पूजा स्थान पर स्थापित करें, जिसमें उनके साथ गाय भी हो।
सबसे पहले भगवान को कुमकुम तिलक लगाएं और हार-फूल अर्पित करें। शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इसके बाद अबीर-गुलाल आदि चीजें चढ़ाएं। कृष्ण और गणेश जी की पूजा के बाद गाय सहित बछडे़ की पूजा करें। 

हुला चतुर्थी महत्व
धार्मिक मान्याताओं के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन भगवान गणेश की उपासना के साथ ही गौ माता की भी उपासना की जाती है। मान्यता है कि बहुला चतुर्थी के दिन गाय माता की पूजा और सेवा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश और चंद्र देव की उपासना करने से जीवन में आ रही कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं।

क्‍या कहते हैं पौराणिक ग्रंथ
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार कृष्णजी की लीलाओं को देखने के लिए कामधेनु गाय ने बहुला के रूप में नन्द की गोशाला में प्रवेश किया। कृष्ण जी को यह गाय बहुत पसंद आई, वे हमेशा उसके साथ समय बिताते थे। बहुला का एक बछड़ा भी था, जब बहुला चरने के लिए जाती तब वो उसको बहुत याद करता था।

एक बार जब बहुला चरने के लिए जंगल गई, चरते चरते वो बहुत आगे निकल गई, और एक शेर के पास जा पहुंची। शेर उसे देख खुश हो गया और अपना शिकार बनाने की सोचने लगा।बहुला डर गई, और उसे अपने बछड़े का ही ख्याल आ रहा था।

जैसे ही शेर उसकी ओर आगे बढ़ा, बहुला ने उससे बोला कि वो उसे अभी न खाए, घर में उसका बछड़ा भूखा है, उसे दूध पिलाकर वो वापस आ जाएगी, तब वो उसे अपना शिकार बना ले।शेर ने कहा कि मैं कैसे तुम्हारी इस बात पर विश्वास कर लूँ? तब बहुला ने उसे विश्वास दिलाया और कसम खाई कि वो जरुर आएगी।

बहुला वापस गौशाला जाकर बछड़े को दूध पिलाती है, और बहुत प्यार कर, उसे वहां छोड़, वापस जंगल में शेर के पास आ जाती है। शेर उसे देख हैरान हो जाता है। दरअसल ये शेर के रूप में कृष्ण होते है, जो बहुला की परीक्षा लेने आते है।

कृष्ण अपने वास्तविक रूप में आ जाते है, और बहुला को कहते है कि मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हुआ, तुम परीक्षा में सफल रही।
समस्त मानव जाति द्वारा सावन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन तुम्हारी पूजा अर्चना की जाएगी और समस्त जाति तुमको गौमाता कहकर संबोधित करेगी व जो भी ये व्रत रखेगा उसे सुख, समृद्धि, धन, ऐश्वर्या व संतान की प्राप्ति होगी। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *