एलेक्स पॉल मेनन की रिहाई में सरकार और नक्सलियों के बीच हुआ था लेन-देन..!

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रायपुर।

क्या वाकई, झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस के काफिले पर सिर्फ इसलिए हमला बोला था क्यूंकि इसके लिए उन्हें भाजपा ने पैसे दिए थे? यह आरोप प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने आज अपनी पत्रकारवार्ता में लगाया. भूपेश बघेल ने कहा कि एलेक्स पॉल मेनन की रिहाई के लिए नक्सलियों के साथ पैसे का लेन-देन किया गया था.

एक बार फिर चुनाव से पहले झीरम का जिन्न बाहर आ चुका है. कथित खूंखार अपराधी से मुलाकात के बाद आरोपों का सामना कर रहे भूपेश बघेल ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उनके द्वारा सरकार के खिलाफ लगाए गए आरोप बेहद गंभीर हैं.

सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि झीरम कांड की जानकारी रखने वाले अभय सिंह को फर्जी मामले में फंसाया गया. अभय सिंह ही वह व्यक्ति था जिसने इस सांठगांठ के मामले का खुलासा किया था जिसे अब अपराधी सिद्ध कर जेल दाखिल कर दिया गया है. बघेल ने साफ तौर पर सरकार और भाजपा को घेरते हुए इन आरोपों को सामने रखा है.

रकम देकर छूटे मेनन
भूपेश बघेल ने ये भी आऱोप लगाया कि एलेक्स पाल मेनन की रिहाई के लिए नक्सलियों के साथ पैसे का लेन-देन किया गया था. उन्होंने कहा कि ये आरोप दिवंगत नेता महेंद्र कर्मा भी लगाते रहे, लेकिन सरकार की ओर से उन्हें कभी जवाब नहीं दिया गया. उन्होंने इस मसले में सीबीआई जांच की मांग कर डाली है.

साजिश रच रहे थे भूपेश?
अंबिकापुर के सेंट्रल जेल में कैदी से मुलाकात किए जाने के मामले में बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता औऱ जिला संगठन प्रभारी सच्चिदानंद उपासने ने आरोप लगाया था कि बघेल कोई बड़ी साजिश रच रहे हैं, इसलिए ही जेल जाकर खूंखार किस्म के कैदियों से मुलाकात की है. उन्होंने इस पूरे मामले में राज्य सरकार को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग की थी.

ये है अभय सिंह
अभय सिंह इस मुद्दे की जड़ है. सवाल उठता है कि आखिर अभय सिंह कौन है तो.. यह वही व्यक्ति है जिसने सालों साल पुलिस के लिए मुखबिरी की. यह विवादों में तब आए जब जब पुलिस और नक्सलियों के बीच कथित सांठगांठ के मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की.
अभय की याचिका पर हाईकोर्ट ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए बंद कमरे में सुनवाई की थी और उसके बाद राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए मामले की जांच के लिए उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए थे. हालांकि सरकार की ओऱ से कोर्ट में जब जांच रिपोर्ट पेश की गई, तो ये दलील दी गई कि जांच रिपोर्ट सावर्जनिक करने से राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर खतरा पैदा हो सकता है. जानकारी कहती है कि सरकार की ओर से कोर्ट में पेश की गई जांच रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई तो नहीं हुई, जरूर अभय़ सिंह को ही माओवादियों से संलिप्त होने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.

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