जिला निर्माण : क्‍या मुख्‍यमंत्री की मंशा से है सरोकार ?

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नेशन अलर्ट/डोंगरगढ़.

मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा अनुरूप राज्‍य सरकार प्रदेश में नए जिले बना रही है। जिलों के अलावा अन्‍य प्रशासनिक इकाईयां भी जहां जैसी जरूरत है उस मुताबिक गठित की जा रही है। कहीं तहसील कार्यालय तो कहीं अनुविभागीय दंडाधिकारी कार्यालय स्‍थापना की घोषणा हो रही है… लेकिन घोषणाएं अमल में लाई जा भी जा रही हैं कि नहीं यह देखने, सुनने, समझने वाला प्रदेश में संभवत: कोई तंत्र नहीं रह गया है…और संभवत: हमारी अपनी समझ के मुताबिक इसी कारण लालबहादुर नगर जैसे गांवों की जनता को चक्‍काजाम के चेतावनी देनी पड़ रही है।

राष्‍ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 6 पर चिचोला के समीप डोंगरगढ़ रोड पर स्थित है लालबहादुर नगर… इसे सामान्‍यत: बोलचाल की भाषा में एलबी नगर के नाम से भी जाना जाता है। इसी एलबी नगर की जनता ने 16 सितंबर को चक्‍काजाम करने की बात कही है। इस बात को न केवल कहा गया है बल्कि अखबारों में खबरें छपवा कर शासन प्रशासन को चेताया भी गया है।

डेढ़ साल पहले हुई थी घोषणा

ग्रामीण बताते हैं कि करीब डेढ़ साल पहले छत्‍तीसगढ़ सरकार की ओर से घोषणा की गई थी कि एलबी नगर को अब तहसील बना दिया जाएगा। ग्रामीण तब बेहद प्रसन्‍न हुए थे। उन्‍हें अपने छोटे मोटे कार्यों के लिए तहसील मुख्‍यालय नहीं जाना पड़ेगा बल्कि गांव में ही तहसील कार्यालय होगा यह सोचकर वह फूले नहीं समा रहे थे।

एलबी नगर दरअसल डोंगरगांव विधानसभा क्षेत्र में आता है। इस विधानसभा क्षेत्र से दलेश्‍वर साहू दूसरी मर्तबा विधायक चुने गए हैं। कांग्रेस के दलेश्‍वर ने दूसरी बार भाजपा के उस मधुसूदन यादव को हराकर बड़ी राजनीतिक जीत हासिल की थी जिस मधुसूदन के संदर्भ में राजनीति के जानकार गाहे बेगाहे ऐसा दावा करते रहे थे कि मधुसूदन किसी भी सीट से चुनाव लड़ लें वह हर हाल में चुनाव जीतेंगे। हो भी क्‍यों न ?

मधुसूदन ने काम ही ऐसा किया है। पहले निगम में नेता प्रतिपक्ष, प्रभारी महापौर और फिर सांसद… अंत में राजनांदगांव के निर्वाचित महापौर रहने के दौरान मधुसूदन यादव ने संसदीय क्षेत्र की उस गरीब जनता की खुलकर मदद की थी जो उनके दरवाजे पहुंचा था। फिर वह भाजपाई हो या कांग्रेसी… उन्‍होंने चेहरा नहीं बल्कि व्‍यक्ति की आवश्‍यकता देखकर खुले हाथों से मदद पहुंचाने का काम किया था।

कांग्रेसी भी मानते थे कि भाजपाई मधुसूदन यादव एक तरह से अपराजित हैं… लेकिन जब मधुसूदन विधानसभा का चुनाव लड़ने भाजपा के द्वारा डोंगरगांव भेजे गए तो वहां कांग्रेसी विधायक दलेश्‍वर साहू ने उन्‍हें ऐसी पटखनी दी कि मधुसूदन को नानी याद आ गई। दलेश्‍वर ने यह चुनाव 52 प्रतिशत वोट प्राप्‍त करके जीतते हुए खुद को भी गरीब जनता की खुलकर मदद करने वाला जन नेता बता दिया था। दरअसल, इस चुनाव में दलेश्‍वर साहू को कुल जमा 84 हजार 581 वोट पड़े थे।

उनके सामने राजनांदगांव से आया वह भाजपाई मधुसूदन यादव जैसा धाकड़ जन नेता था जो कि कुछेक साल पहले तक राजनांदगांव संसदीय क्षेत्र का बेहद लोकप्रिय, नामी गिरामी, जनता की दिनरात सुनने, समझने वाला सांसद हुआ करता था। मधुसूदन ने कुल 65 हजार 498 मत प्राप्‍त करके डोंगरगांव विस क्षेत्र से दूसरा स्‍थान प्राप्‍त किया था लेकिन 19 हजार 83 मतों से हुई उनकी करारी हार ने यह साबित कर दिया था कि मधुसूदन और दलेश्‍वर साहू में वाकई जन नेता कौन हैं।

जन नेता का झूठा हुआ वायदा

लेकिन हमारे यहां एक दिक्‍कत है… हिंदुस्‍तान में जनता अपने मताधिकार का उपयोग कर जिसे जन नेता के रूप में प्रस्‍तुत करती है वही नेता भारतीय संविधान की शपथ लेते ही संविधान विपरीत कार्य करने लगते हैं। इनमें से कुछ नेता शराब को शह देते हैं तो कुछ नेता उस रेत को शह देते हैं जिस रेत को छत्‍तीसगढ़ की कांग्रेसी सरकार नीलाम करने का दावा करती है… लेकिन उसका यह दावा तब फेल हो जाता है जब उसी के नेताओं के नाम रेत तस्‍करों से जुड़े बताए जाते हैं।

अब देखिए न… डोंगरगांव विधानसभा की जनता ने दलेश्‍वर साहू को अपना जन नेता था चुना था लेकिन उसी जन नेता की बात एलबी नगर को तहसील बनाए जाने को लेकर जो थी वह झूठी निकली। दलेश्‍वर साहू के आग्रह पर राज्‍य सरकार ने तकरीबन 18 महीने पहले एलबी नगर को तहसील बनाने की घोषणा का पत्र प्रकाशन किया था।

… लेकिन जनता के लिए जैसे दलेश्‍वर झूठे वैसे ही राज्‍य शासन का वह पत्र जिसमें एलबी नगर तहसील निर्माण का उल्‍लेख था लगभग उतना ही झूठा था, भले ही ना रहा हो। अब एलबी नगर और उसके आसपास के गांवों के लोग डेढ़ साल के बाद भी अपने यहां तहसील कार्यालय के शुभारंभ की प्रतीक्षा करते इस हद तक थक गए हैं कि उन्‍होनें चक्‍काजाम का निर्णय लिया है। बकायदा इसके लिए एसडीएम को उन्‍होंने एक ज्ञापन भी सौंपा है जिसमें शासन प्रशासन को 15 दिन की मोहलत अपनी मांग पूरी करने को लेकर दी गई है।

यदि 15 दिन में मांग पूरी नहीं हुई तो 16 सितंबर की सुबह 9 बजे से चिचोला-डोंगरगढ़ मार्ग पर कोई भी गाड़ी चलती फिरती नजर नहीं आएगी क्‍यूंकि इस दिन चक्‍काजाम की चेतावनी दी गई है। इसके बावजूद यदि तहसील कार्यालय का शुभारंभ नहीं हुआ तो 17 से 20 सितंबर तक क्रमिक भूख हड़ताल का निर्णय लिया गया है।

… तो राष्‍ट्रीय खबर में आ जाएगा एलबी नगर

ज्ञापन में यह भी उल्‍लेख है कि 20 सितंबर तक यदि तहसील कार्यालय का शुभारंभ नहीं होता है तो राष्‍ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 6 पर वाहनों की मुंबई-कोलकाता की ओर आवाजाही रोक दी जाएगी क्‍यूंकि नेशनल हाइवे पर चक्‍काजाम होगा। यदि ऐसा हुआ तो आप जानते हैं क्‍या होगा ? फिर एलबी नगर का यह आंदोलन राजनांदगांव और रायपुर के अखबारों से आगे निकलकर दिल्‍ली–मुंबई से प्रकाशित-प्रसारित होने वाले अखबारों-न्‍यूज चैनल्‍स तक में चर्चा बटोरेगा।

बहरहाल, इस संबंध में ग्रामीणों ने एलबी नगर के महिला भवन में एक बैठक आयोजित कर अपने निर्णय भी ले लिए हैं। निर्णय अनुसार ही चेतावनी भरा ज्ञापन क्षेत्र के अनुविभागीय दंडाधिकारी यानि कि एसडीएम को सौंपा गया है। इस बैठक में वैसे तो सैकड़ों ग्रामीण शामिल थे लेकिन कुछेक प्रमुख नाम यहां दिए जा रहे हैं जिन्‍हें एलबी नगर और उसके आसपास के गांवों के लोग जानते हो, समझते हों…
हुकुमचंद साहू, डोमार सिन्‍हा, राजेश देवांगन, नोबल साहूम, राजकुमार ताम्रकार, चेतन साहू, श्‍याम वैष्‍णव, यज्ञदत्‍त साहू, उषा यदु, पुष्‍पा सिन्‍हा, मनोज कांडे, गिरवर साहू, इंदरपाल भाटिया, ढालचंद मेश्राम, दिलीप चंद्रवंशी, हेमलाल वर्मा, लिकेश चंद्रवंशी, रामाधर ओझा, भूषण डिल्‍ला, देवेंद्र यादव, कुशल साहू, भागीरथी देवांगन, तेजलाल देवांगन, ज्ञानपचंद वर्मा, खेमचंद यादव, पुरानिक साहू, गिरधर साहू, गुरूदयाल चंद्रवंशी, चमरू नेताम, सोमनारायण साहू, दीपक अग्रवाल, सुनील यदु, गोपी साहू, शेखर तिवारी जैसे अनगिनत लोग उपस्थित थे।

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