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भूपेश की गुगली में क्‍या बोल्‍ड होंगे भागवत ?

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नेशन अलर्ट/रायपुर.

प्रदेश का राजनीतिक पारा दिनोंदिन चढ़ता जा रहा है। एक तरफ छत्‍तीसगढ़ में इस बार मानसून कुछ ज्‍यादा ही बरसा है और कहीं कहीं बाढ़ के हालात पैदा हो गए लेकिन प्रदेश की राजनीति को इससे कोई लेना देना नहीं रहा है। बढ़ती महंगाई और बाढ़ की आशंकाओं के बीच प्रदेश की जनता को उसके अपने हाल में छोड़कर राजनीतिक दल वार प्रतिवार करने में लगे हैं। इस बार प्रदेश के मुखिया ने एक ऐसी गुगली फेंकी है जिसके सामने राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के समक्ष अपना विकेट बचा ले जाने की चुनौती है।

आरएसएस चीफ भागवत इन दिनों छत्‍तीसगढ़ प्रवास पर हैं। राजधानी रायपुर के किसी भवन में वह अपनी निर्णायक टोली के सदस्‍यों के साथ फिजा को समझने का प्रयास कर रहे हैं। निर्णायक टोली की बैठक में जो कुछ लब्‍बोलुआब निकलेगा उसे भाजपा व संघ के नेताओं की समन्‍वय समिति की बैठक में रखा जाएगा। यह बैठक भी इन्‍हीं दिनों रायपुर में रखी गई है।

बैठक में शामिल होने के लिए भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा राजधानी के प्रवास पर आने वाले हैं। भाजपा का छोटा-बड़ा हर स्‍तर का कार्यकर्ता, पदाधिकारी नड्डा के स्‍वागत को किस तरह से ऐतिहासिक बनाया जाए इसकी उधेड़बुन में लगे होने के साथ तैयारियों को अंतिम रूप दे रहा है। अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर संघ-भाजपा के नेताओं की यह राष्‍ट्रीय स्‍तर की बैठक कितनी महत्‍वपूर्ण हो चली यह जानना समझना है तो प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल के कन्‍याकुमारी जाने के पहले पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल पर उनके द्वारा दिए गए जवाब से समझा जा सकता है।

छत्‍तीसगढ़ में कका के नाम से प्रसिद्ध भूपेश बघेल ने एक ऐसा जवाब दिया है जिसे क्रिकेट की भाषा में गुगली बॉलिंग डालने सरीखा माना जा रहा है। भूपेश ने कहा कि उनकी जानकारी में छत्‍तीसगढ़ी फरहा, चिला जैसे व्‍यंजन भागवत जी को परोसे जाने की बात सामने आई है तो वे इसका स्‍वागत करते हुए भागवत जी से आग्रह करेंगे कि वे छत्‍तीसगढ़ की संस्‍कृति को भी आत्‍मसाध करें।

भूपेश बघेल ने अपनी बात को आगे ले जाते हुए यह तक कहा कि यह प्रदेश कबीर का है, घासीदास का है, श्रीराम की माता कौशिल्‍या का मायका है तो भागवत जी इन सबको देखने भी जाएं। वे यह देखें कि माता कौशिल्‍या के मंदिर का जीर्णोधार छत्‍तीसगढ़ सरकार ने किस तरह कराया है। वे गाय की बात करते हैं तो हमारे गौठान देखने जाएं कि उसे हमने किस तरह से बनवाया है। शिक्षा की बात करते हैं तो वे स्‍वामी आत्‍मानंद स्‍कूल देखने जाएं कि वहां किस तरह से गांव का गरीब का बच्‍चा शासकीय स्‍कूल में अंग्रेजी की पढ़ाई से सीख रहा है संवर रहा है।

राजनीति के जानकार इसे भूपेश बघेल का मास्‍टर स्‍ट्रोक ठहरा रहे हैं। वे कहते हैं कि दरअसल, भूपेश हर तरह की राजनीति के माहिर हैं। याज्ञवल्‍क्‍य मिश्र लिखते हैं कि धर्म, सेवा और शिक्षा से जुड़ी तीनों योजनाओं की बात कर मोहन भागवत के समक्ष मुख्‍यमंत्री ने एक अलहदा परिस्थिति पैदा की है। मोहन भागवत वहां जाएं अथवा न जाएं लेकिन तीनों प्रकल्‍पों का जिक्र कर भूपेश बघेल ने यह साबित करने की कोशिश की है कि चाहे राम से जुड़ा विषय हो, चाहे गाय अथवा शिक्षा से जुड़ा विषय हो ये सारे काम भूपेश सरकार कर रही है।

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