क्‍या छत्‍तीसगढ़ भाजपा से संघ की नाराजगी दूर हो गई है ?

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नेशन अलर्ट/रायपुर.

छत्‍तीसगढ़ में पहली मर्तबा राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ राष्‍ट्रीय स्‍तर पर बैठक करने जा रहा है। इसके ठीक पहले मोहन भागवत सहित उनकी निर्णय टोली के सदस्‍य विभिन्‍न विषयों पर विचार विमर्श करेंगे। छत्‍तीसगढ़ में संघ के यह कार्यक्रम आज से प्रारंभ होकर 12 सितंबर तक चल सकते हैं।

संघ का यह कार्यक्रम इसलिए भी महत्‍वपूर्ण है क्‍यूंकि यहां 2023 में विधानसभा चुनाव निर्धारित है। पाठकों को याद होगा कि 2018 के विधानसभा चुनाव में संघ के कार्यकर्ता तकरीबन घर बैठे हुए थे। उन्‍होंने भाजपा अथवा उसके प्रत्‍याशियों को किसी भी तरह की मदद करने में कोई रूचि नहीं दिखाई थी। इसी का नतीजा था कि भाजपा सीधे 15 सीट पर सिमट गई थी।

कांग्रेस जो कि 15 साल से विपक्ष में बैठने मजबूर थी उसने ताबड़तोड़ जीत हासिल की थी। मध्‍यप्रदेश-राजस्‍थान के साथ छत्‍तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी थी और यही वह सरकार थी जो कांग्रेस के पूर्ण बहुमत से आगे दो तिहाई बहुमत को पूरा कर रही थी। कांग्रेस को इतनी बड़ी सफलता हाल फिलहाल के वर्षों में किसी और प्रदेश में नहीं मिली थी।

अब जबकि यहां राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ (आरएसएस) राष्‍ट्रीय स्‍तर पर बैठक करने जा रहा है तो सवाल यही उठता है कि क्‍या संघ की नाराजगी छत्‍तीसगढ़ भाजपा से दूर हो गई है ? क्‍या संघ के कार्यकर्ता आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्‍याशियों की मदद करेंगे ? क्‍या भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा के साथ होने वाली समन्‍वय समिति की बैठक में कोई बीच का रास्‍ता निकल आएगा ?

बहरहाल ये सब सवाल 7 से 9 सितंबर तक चलने वाली संघ की निर्णय टोली और 10 से 12 सितंबर तक होने वाली अखिल भारतीय समन्‍वय समिति की बैठक तक असरकार रहेंगे। इन बैठकों में क्‍या कुछ निर्णय होगा, छत्‍तीसगढ़ भाजपा के साथ संघ का समन्‍वय कैसा और कितना असरकारक होगा यह तो आने वाला वक्‍त ही बताएगा लेकिन इतना तय है कि संघ ने अब भाजपा के साथ मिलकर छत्‍तीसगढ़ को सर्वोच्‍च स्‍थान पर रखा है।

तभी तो यहां राष्‍ट्रीय स्‍तर पर बैठक होने जा रही है। दरअसल, संघ की परेशानी, भाजपा की दिक्‍कत का बहुत बड़ा कारण छत्‍तीसगढ़ कांग्रेस का वह नेतृत्‍व है जो कि राम को पूजता है, गाय की सेवा करता है, पेशे से किसान है और आदिवासियों का हित चिंतक है। यहां के मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल की नीतियों के चलते संघ-भाजपा चारों खाने चित्‍त हो रहे हैं। यदि इन्‍होंने भूपेश बघेल की काट नहीं ढूंढी तो 2023 का भी विधानसभा चुनाव कांग्रेस जीत ले जाएगी। लगता है इसी के मद्देनजर संघ राष्‍ट्रीय स्‍तर पर यहां बैठक कर अगले वर्ष की रणनीति तैयार करेगा।

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