क्‍या वाकई लापता हैं भाजपा सांसद या फिर…

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नेशन अलर्ट/रायपुर.

प्रदेश से भाजपा के सांसद अचानक लापता हो गए हैं। ऐसा दावा हमारा नहीं बल्कि एक उस पोस्‍टर का है जो कि सोशल मीडिया में बड़ी तेजी से फैल रहा है। महंगाई, ट्रेनों के रद्द हो जाने, अनाज पदार्थों पर लगने वाली जीएसटी के बीच भाजपा सांसदों के मौन के बीच यह पाम्‍प्‍लेट-पोस्‍टर इन दिनों चर्चा में है।

उल्‍लेखनीय है कि इस पोस्‍टर को कांग्रेस की मीडिया सेल से जुड़े रहे आरपी सिंह ने अपने फेसबुक अकाउंट पर शेयर किया है। जिन सांसदों का उल्‍लेख पोस्‍टर में नजर आ रहा है उनमें भाजपा के नए नवेले प्रदेश अध्‍यक्ष और बिलासपुर से सांसद अरूण साव की तस्‍वीर पहले क्रम पर लगी हुई है।

किन सांसदों का उल्‍लेख

पोस्‍टर में इनके अलावा भी भाजपा के उन सांसदों के नाम है जो कि छत्‍तीसगढ़ के विभिन्‍न संसदीय क्षेत्रों से चुने गए थे। इनमें महासमुंद सांसद चुन्‍नीलाल साहू, रायगढ़ सांसद गोमती साय, कांकेर सांसद मोहन मंडावी, सरगुजा सांसद रेणुका सिंह, राजनांदगांव सांसद संतोष पांडे, जांजगीर चांपा सांसद गुहाराम अजगल्‍ले, दुर्ग सांसद विजय बघेल के अलावा रायपुर सांसद सुनील कुमार सोनी नजर आ रहे हैं।
छत्‍तीसगढ़ की जनता के नाम से निवेदन वाले इस पोस्‍टर में लिखा है कि मोदी जी हमारी ट्रेनें प्रतिदिन रद्द कर रहे हैं लेकिन हमारे सांसद गायब हैं। हमें बहुत दिक्‍कतों का सामना करना पड़ रहा है। आरपी तिवारी की पोस्‍ट बताती है कि इस तरह के पोस्‍टर अचानक पूरे छत्‍तीसगढ़ में वायरल हो रहे हैं।

वार पर किया प्रतिवार

इस संबंध में जब हमने आरपी सिंह से बात करने का प्रयास किया तो उन्‍होंने कॉल अटेंड नहीं की। दूसरी ओर भाजपा के गौरीशंकर श्रीवास इसे छत्‍तीसगढ़ सरकार से जोड़ते हैं। श्रीवास कहते हैं कि बीते चार वर्षों में छत्‍तीसगढ़ में चहुंओर भ्रष्‍टाचार बढ़ा है। लूट खसोट किस तरह से की जाती है इसे प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार ने छत्‍तीसगढ़ की जनता को ज्ञात कराया है।

श्रीवास आगे कहते हैं कि छत्‍तीसगढ़ की जनता विगत चार साल से अपनी सरकार को खोज रही है। सरकार नाम की कोई चीज बची नहीं है। कानून व्‍यवस्‍था के क्‍या हालात हैं किसी से छिपे नहीं हैं। कमीशनखोरी, लूट खसोट किस कदर जारी है यह हम सब भलीभांति जानते हैं।
श्रीवास सवाल करते हैं कि सरकार का चेहरा क्‍या होना चाहिए यह सोचने वाली बात है। दरअसल सरकार का हर चेहरा दागदार है… हर चेहरा इस कदर बदसूरत हो चुका है कि जनता चार साल में सरकार क्‍या होती है यह ढूंढने निकल रही है लेकिन सरकार कहीं दिखाई नहीं पड़ती है। छत्‍तीसगढ़ की पौने तीन करोड़ जनता सरकार को खोज रही है क्‍यूंकि छत्‍तीसगढ़ सरकार मिसिंग है। सिर्फ विज्ञापन में यहां के मुख्‍यमंत्री और मंत्री नजर आते हैं।

आज भी इतनी ट्रेनें रद्द हुई

उल्‍लेखनीय है कि छत्‍तीसगढ़ में आए दिन ट्रेनें दनादन रद्द हो रही है। यह सिलसिला तकरीबन एक साल से इसी तरह चल रहा है। कभी कोयला परिवहन के नाम पर ट्रेनें रद्द की जाती है तो कभी इंटरलॉकिंग जैसे सामान्‍य से कारण के चलते ट्रेनों को रद्द किया जा रहा है। सोमवार को ही अखबारों की सुर्खियां थी कि फिर छत्‍तीसगढ़ की 10 ट्रेनें रद्द….।

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