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कांग्रेस के दो मुख्‍यमंत्री, दो संभावनाएं

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राजस्‍थान-छत्‍तीसगढ़ फिर चर्चा में

नेशन अलर्ट/नई दिल्‍ली.

कांग्रेस के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष चुनने की प्रक्रिया के दौरान एक बार फिर कांग्रेस के दो मुख्‍यमंत्री चर्चा के केंद्र बिंदु हो गए हैं। राजस्‍थान और छत्‍तीसगढ़ में आंतरिक विवादों के दौरान हो रहे चुनाव में क्‍या अशोक गहलोत अथवा भूपेश बघेल राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बन सकते हैं यह सवाल बड़ी तेजी से उभर रहा है।

उल्‍लेखनीय है कि कांग्रेस के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष चुनने की प्रक्रिया 21 अगस्‍त से प्रारंभ हो गई है। केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्‍त्री के मुताबिक इसे 20 सितंबर तक पूरा कर लिया जाना है। हालांकि चुनाव की अंतिम तिथि निर्धारित करने का जिम्‍मा कांग्रेस कार्यसमिति के पास है।

मिस्‍त्री कहते हैं कि इस बार होने वाले चुनाव को देखते हुए केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण ने पूरी तैयारी की हुई है। उनके बताए अनुसार उनकी ओर से मतदान के लिए डेलीगेट लिस्‍ट तय कर ली गई है। बहरहाल, 2019 में मिली करारी हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्‍यक्ष पद से इस्‍तीफा दे दिया था जिसके चलते इन दिनों कांग्रेस अपने अंतरिम अध्‍यक्ष (श्रीमति सोनिया गांधी) के अधीन कार्य कर रही है।

क्‍या छग और राजस्‍थान का विवाद सुलझेगा ?

 उल्‍लेखनीय है कि छत्‍तीसगढ़ सहित राजस्‍थान में मुख्‍यमंत्री पद को लेकर विवाद की स्थिति निर्मित है। छत्‍तीसगढ़ में जहां स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री टीएस सिंहदेव प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल के सामने खड़े हैं वहीं राजस्‍थान में वहां के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत को राजस्‍थान के पूर्व उप मुख्‍यमंत्री सचिन पायलट से चुनौती मिलती रही है।

ये ही दो ऐसे राज्‍य हैं जहां कांग्रेस की खुद की अपनी सरकार है बाकी झारखंड, बिहार अथवा तमिलनाडु जैसे राज्‍यों में या तो वह सरकार में सहयोगी दल के रूप में शामिल है अथवा समर्थन दे रही है। राजस्‍थान और छत्‍तीसगढ़ को मध्‍यप्रदेश के साथ अगले बरस विधानसभा चुनाव का सामना करना है।

मध्‍यप्रदेश में भी 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल करके सरकार बनाई थी लेकिन ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया और उनके खेमे की खुली बगावत के बाद मुख्‍यमंत्री रहे कमलनाथ को पद छोड़ना पड़ा था। अब मध्‍यप्रदेश में एक बार‍ फिर शिव का राज चल रहा है।

जो हस्र मध्‍यप्रदेश का हुआ वही हस्र छत्‍तीसगढ़ और राजस्‍थान का ना हो इस उधेड़बुन में कांग्रेस का आला नेतृत्‍व लगा हुआ है। कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि अंतरिम अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने छत्‍तीसगढ़ और राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री को हालिया तौर पर कांग्रेस का राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बनने का ऑफर दिया था।

ऐसा कर वह दोनों राज्‍यों के विवाद का निपटारा करना चाहती होंगी। यदि राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बनने का प्रस्‍ताव स्‍वीकार कर लेते हैं तो वहां सचिन पायलट की मुख्‍यमंत्री बतौर ताजपोशी कर दी जाएगी। हालांकि अशोक गहलोत ऐसे किसी भी प्रस्‍ताव और राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बनने की संभावना से इनकार करते रहे हैं।

यही प्रस्‍ताव छत्‍तीसगढ़ के मख्‍यमंत्री के समक्ष बताया जाता है। यदि भूपेश बघेल को ऐसा कोई प्रस्‍ताव है और उसे स्‍वीकार कर लेते हैं तो यहां टीएस सिंहदेव का रास्‍ता क्‍लीयर हो जाएगा। लेकिन टीएस सिंहदेव के सामने एक बड़ी परेशानी इस बात की है कि क्‍या उन्‍हें भूपेश बघेल के स्‍थान पर मुख्‍यमंत्री बनाया जा सकता है ?

छत्‍तीसगढ़ में टीएस सिंहदेव के अलावा भी कई ऐसे नेता हैं जो कि मुख्‍यमंत्री बनने की चाहत रखते हैं। इनमें सबसे प्रमुख नाम डॉ. चरणदास महंत का सुनाई देते रहा है जो कि इन दिनों छत्‍तीसगढ़ विधानसभा के अध्‍यक्ष पद का दायित्‍व संभाल रहे हैं। … तो क्‍या सिंहदेव के स्‍थान पर विधानसभा अध्‍यक्ष चरणदास महंत के नाम पर भूपेश बघेल सहित उनका खेमा तैयार हो सकता है ?

बहरहाल, ये सभी अभी भविष्‍य के गर्त में है लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि इस बार का राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष का चुनाव कांग्रेस के भीतर बहुत सी परेशानी हल करने वाला होगा और बहुत सी परेशानी पैदा करने वाला भी होगा। कांग्रेस की अंतरिम अध्‍यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी द्वारा दिया गया अघोषित प्रस्‍ताव किस हद तक राजस्‍थान और छत्‍तीसगढ़ की समस्‍या का हल ढूंढेगा यह आने वाला समय बताएगा लेकिन इतना तय है कि यदि ऐसा कोई प्रस्‍ताव है तो सोनिया गांधी एक तीर से दो शिकार करना चाह रही हैं।

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