सांसदों को मिलने वाली पेंशन बंद हो

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नेशन अलर्ट/नई दिल्‍ली.

लगता है सांसद वरूण गांधी अपनी ही पार्टी भाजपा के लिए गले की फांस बनते जा रहे हैं। आम जनता को मिलने वाली मुफ्त की सुविधाओं पर देशभर में हो रही बहस के बीच वरूण ने सांसदों को मिलने वाली पेंशन व अन्‍य सुविधाओं को बंद करने की मांग की है। अब देखना यह है कि इस पर उनकी पार्टी अथवा सांसदों का क्‍या रूख होता है।

प्रधानमंत्री ने अभी हाल फिलहाल अपने भाषणों में एक शब्‍द का उपयोग किया था… वह शब्‍द था रेवड़ी कल्‍चर… इसी रेवड़ी कल्‍चर पर इन दिनों देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में विभिन्‍न राजनीतिक दलों के लोगों के बीच एक तरह से बहस छिड़ी है।

कोई मुफ्त की सुविधाओं के समर्थन में बोल रहा है तो कोई इसकी खिलाफत में अपने सुर तेज किए जा रहा है। अब भाजपा के सांसद वरूण गांधी ने भी अपने सुरों को तान देना प्रारंभ किया है लेकिन परेशानी की बात यह है कि उनकी ही पार्टी के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है।

क्‍या कहा वरूण ने ?

दरअसल , वरूण गांधी ने आम जनता को मिलने वाली मुफ्त की सुविधाओं पर सवाल उठाने से पहले सांसदों को मिलने वाली सुविधाओं पर सवाल उठाया है। वरूण गांधी कहते हैं कि सांसदों को मिलने वाली पेंशन और अन्‍य सुविधाओं को खत्‍म करने से इसकी शुरूआत होनी चाहिए।

वरूण यहीं पर नहीं रूके। उन्‍होंने एक ट्वीट करके कहा कि जनता को मिलने वाली राहत पर उंगली उठाने से पहले हमें अपने गिरेबान पर जरूर झांक लेना चाहिए। एक अन्‍य ट्वीट पर वे कहते हैं कि पिछले पांच साल में बड़ी संख्‍या में प्रधामंत्री उज्जवला योजना (पीएमयूवाई) के लाभ्‍यार्थी क्‍यूंकर सिलेंडर दुबारा नहीं भरवा पाए ?

पिछले पांच साल में 4.13 करोड़ लोग सिलेंडर दुबारा भरवाने का खर्च एक बार भी नहीं उठा सके। जबकि 7.67 करोड़ लोगों ने इसे सिर्फ एक बार भरवाया। घरेलू गैस की बढ़ती कीमतों और नगण्‍य सब्सिडी के कारण गरीबों के उज्‍जवला के चूल्‍हे बुझ रहे हैं ऐसा वरूण गांधी लिखते हैं। स्‍वच्‍छ इंधन, बेहतर जीवन देने के वायदे क्‍या ऐसे पूरे होंगे ?

बहरहाल, वरूण गांधी का सवाल जायज है। यदि मुफ्तखोरी देश के लिए परेशानी का सबब बन रही है तो वह गरीबों से लेकर सांसदों तक बंद होनी चाहिए। सांसद फिर पक्ष का हो या विपक्ष का… इसे आम जनता को लेना क्‍या ? वरूण गांधी जैसे और कितने सांसद हैं जो खुलकर यह कह सकें कि उन्‍हें पेंशन नहीं चाहिए इस पर बात होनी चाहिए।

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