राजस्थान में क्या बच गई है गहलोत सरकार ?

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जयपुर.

क्या राज्य में अशोक गहलोत पर छाए संकट के बादल टल गए हैं? यह सवाल जयपुर से लेकर दिल्ली तक के राजनीतिक गलियारों में छाया रहा.

राजनैतिक विश्लेषकों के मुताबिक जिस तरह से ईडी-इंकम टैक्स डिपार्टमेंट ने आज सुबह से कार्रवाई शुरु की थी उससे अशोक गहलोत के मजबूत नेता होने का अंदेशा लगने लगा था.

अब जबकि सियासी दांवपेच में राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार के बचने की खबर सुनाई दे रही है तो उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के भविष्य पर सवाल किए जाने लगे हैं.

दरअसल, पायलट और उनके समर्थक सीएम हाउस में हुई बैठक में नहीं पहुंचे थे. उधर पार्टी भी सचिन के रूख का इंतजार कर रही है. उन्हें फोन किया गया है अपने फैसले पर विचार करने लेकिन वे अभी दिल्ली में ही डटे हैं.

सूत्र बता रहे हैं कि प्रियंका गांधी ने सचिन पायलट के पार्टी में बने रहने की बात कही है. कांग्रेस के एक अन्य नेता छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पुनिया उन्हें भाजपा में बता चुके थे जिसके बाद सूत्रों के मुताबिक आलाकमान ने उन्हें फटकार भी लगाई.

पार्टी में किसी प्रकार टूट न हो इसके लिए पर्यवेक्षकों को भी कहा गया है. सुबह का तनाव शाम होते तक गहलोत , कांग्रेस और उनके समर्थकों के लिए राहत लेकर आया ऐसा कहा जा रहा है.

18 विधायक शामिल नहीं हुए

राजस्थान में सियासी उठापटक के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास पर विधायक दल की बैठक मेेंं कांग्रेस की तरफ से 102 विधायकों के पहुंचने का दावा किया जा रहा है.

इनमें 98 कांग्रेस और 4 निर्दलीय हैं. वहीं, सचिन पायलट समेत 18 विधायक मीटिंग में शामिल नहीं हुए. रविवार देर रात पार्टी ने व्हिप जारी किया था. इसके मुताबिक, यदि कोई विधायक बिना किसी विशेष कारण के गैरहाजिर रहेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

सूत्रों के मुताबिक, जो विधायक बैठक में शामिल नहीं हुए उनमें राकेश पारीक, मुरारी लाल मीणा, जीआर खटाना, इंद्राज गुर्जर, गजेंद्र सिंह शक्तावत, हरीश मीणा, दीपेंद्र सिंह शेखावत, भंवर लाल शर्मा, इंदिरा मीणा, विजेंद्र ओला, हेमाराम चौधरी, पीआर मीणा, रमेश मीणा, विश्वेंद्र सिंह, रामनिवास गावडिय़ा, मुकेश भाकर और सुरेश मोदी हैं.

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