बोधघाट परियोजना : क्या 40 साल बाद जिन्न फिर बोतल से बाहर आया ?

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रायपुर.

बस्तर और बोधघाट परियोजना एक मर्तबा फिर चर्चा में है. आशंका जताई जा रही है कि इस प्रोजेक्ट को लेकर 40 साल पुराना माहौल फिर निर्मित हो सकता है.

तकरीबन चार दशकों से बोधघाट परियोजना को लेकर बस्तर में सकारात्मक – नकारात्मक दोनों तरह की खबरें सुनाई देती रही हैं. . . . तो क्या 40 साल बाद जिन्न बोतल से फिर बाहर आया है ?

अब जबकि राज्य शासन की मांग पर केंद्र सरकार ने इस परियोजना को लेकर अपनी सहमति दे दी है तो यहां माहौल बनाने का सिलसिला चल पडा़ है. इसी कडी़ में राज्य के मुखिया ने बैठकों का दौर शुरु कर दिया है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निवास कार्यालय में बोधघाट बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना के क्रियान्वयन को लेकर बस्तर के जनप्रतिनिधियों से चर्चा की.

मुख्यमंत्री ने इस परियोजना के सबंध में एक-एक कर सभी जनप्रतिनिधियों से उनकी राय लेने के बाद बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि बोधघाट ऐसा प्रोजेक्ट है, जिसका लाभ सिर्फ और सिर्फ बस्तर के लोगों को मिलेगा.

क्या कहा सीएम ने

उन्होंने कहा कि अब तक बस्तर में जितने भी उद्योग और प्रोजेक्ट लगे हैं, उसका सीधा फायदा बस्तर के लोगों को नहीं मिला है.

यह पहला ऐसा प्रोजेक्ट है, जो बस्तर के विकास और समृद्धि के लिए है. इसका सीधा फायदा बस्तरवासियों को मिलेगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि 40 वर्षों से लंबित इस प्रोजेक्ट को बस्तर की खुशहाली को ध्यान में रखते हुए नए सिरे से तैयार किया किया गया है.

बोधघाट परियोजना पहले मुख्य रूप से जल विद्युत उत्पादन के लिए थी, जो बस्तर और वहां के लोगों की जरूरतों के अनुकूल नहीं थी.

इस परियोजना में आमूलचूल परिवर्तन कर इसे सिंचाई परियोजना के रूप में तैयार किया गया हैै जिसका लाभ बस्तर संभाग के अधिकांश क्षेत्र के ग्रामीणों और किसानों को मिलेगा.

3 लाख 66 हजार 580 हेक्टेयर सिंचित होगा

उन्होंने कहा कि इस सिंचाई परियोजना से दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिले में नहरों के माध्यम से तीन लाख 66 हजार 580 हेक्टेयर में सिंचाई के लिए जलापूर्ति होगी.

इसमें लिफ्ट इरीगेशन को भी शामिल कर बस्तर के शेष जिलों को भी सिंचाई एवं निस्तार के लिए जल उपलब्ध कराया जाएगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि बोधघाट परियोजना बस्तर की जरूरत है. पूरे बस्तर संभाग में एक भी सिंचाई का बड़ा प्रोजेक्ट नहीं है.

बस्तर संभाग का सिंचाई प्रतिशत न्यूनतम है. वनों की अधिकता के बावजूद भी मानसून यदि थोड़ा भी गड़बड़ाता है, तो सूखे से सबसे ज्यादा बस्तर अंचल ही प्रभावित होता है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि इंद्रावती नदी के जल का सदुपयोग कर बस्तर को खुशहाल और समृद्ध बनाने के लिए बोधघाट परियोजना जरूरी है. अब समय आ गया है, बस्तर के विकास और वहां के लोगों की बेहतरी के लिए काम होना चाहिए.

सीएम ने कहा कि किसानों को यदि सिंचाई की सुविधा मिल जाए, तो वह रोजगार खुद पैदा कर लेंगे. अब तक यही सुनते आए हैं कि बस्तर के लोग अपना घर परिवार छोड़कर अन्यत्र रोजी-रोजगार के लिए नहीं जाते हैं.

कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की अवधि में बस्तर वापस लौटने वालों के जो आंकड़े आए हैं उसे देखकर यह पता चलता है कि बस्तर के नौजवान रोजी-रोजगार की तलाश में देश के विभिन्न राज्यों में जाने लगे हैं.

बस्तर की नौजवान पीढ़ी को बस्तर में ही रोजगार का अवसर उपलब्ध कराना जरूरी है. बोधघाट सिंचाई परियोजना से बस्तर अंचल में खेती किसानी समृृद्ध होगी. रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. अर्थव्यवस्था बेहतर होगी.

जमीन के बदले बेहतर जमीन का वादा

मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वास, विकास और सुरक्षा हमारा मूल मंत्र है. सरकार इसको ध्यान में रखकर ही जन हितकारी कामों को अंजाम दे रही है.

उन्होंने कहा कि बोधघाट परियोजना के प्रभावितों के लिए पुनर्वास एवं व्यवस्थापन की बेहतर व्यवस्था की जाएगी.

प्रभावितों का किसी भी तरह का नुकसान न हो इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा..पुनर्वास एवं व्यवस्थापन की नीति लोगों से चर्चा कर तैयार की जाएगी.

विस्थापितों को उनकी जमीन के बदले बेहतर जमीन, मकान के बदले बेहतर मकान दिए जाएंगे.
हमारी यह कोशिश होगी कि इस प्रोजेक्ट के नहरों के किनारे की सरकारी जमीन प्रभावितों को मिले, ताकि वह खेती-किसानी बेहतर तरीके से कर सके.

मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तरवासियों के हितों की रक्षा, राज्य सरकार की प्राथमिकता है. बस्तर के लोगों के जीवन में खुशहाली आए, इसको ध्यान में रखकर उनकी सरकार ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं.

उन्होंने कहा कि एक निजी इस्पात संयंत्र के लिए अधिग्रहित की गई जमीन की वापसी का मामला हो या लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी हो सरकार ने बस्तर के लोगों के हितों का हमेशा ध्यान रखा है.

बदलाव आएगा : चौबे

राज्य के कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि बस्तर अंचल के समग्र विकास के लिए सिंचाई जरूरी है. इससे बस्तर की अर्थव्यवस्था में बदलाव आएगा.

उन्होंने इस परियोजना के क्रियान्वयन से पहले आकर्षक पुनर्वास एवं व्यवस्थापन की नीति तैयार करने और उसका अक्षरशः पालन सुनिश्चित करने की बात कही.

मंत्री चौबे ने कहा कि इस परियोजना से प्रभावित परिवारों को लाभ मिले, यह हर हाल में सुनिश्चित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि बस्तर में सिंचाई सुविधा को बढ़ाना जरूरी है, क्योंकि इससे जीवन में बदलाव आता है.

वन एवं पर्यावरण मंत्री मो.अकबर ने इस प्रोजेक्ट के निर्माण प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से पूरा कराए जाने का सुझाव दिया, जिस पर मुख्यमंत्री ने सहमति जताते हुए इसका परीक्षण कराए जाने की बात कही.

बताना होगा क्या लाभ होगा : लखमा

उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि बोधघाट परियोजना से बस्तर के विकास का नया रास्ता खुलेगा.

उन्होंने कहा कि इस परियोजना से प्रभावित लोगों को क्या लाभ मिलेगा, इसे स्पष्ट रूप से बताना होगा तथा उनसे चर्चा करनी होगी.

मंत्री लखमा ने कहा कि प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले व्यवस्थापन के लिए जमीन का चिन्हांकन किया जाना चाहिए.

राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने भी पुनर्वास एवं व्यवस्थापन की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करने की बात कही. उन्होंने कहा कि आम जनता से चर्चा कर पुनर्वास की नीति तय की जाएगी.

उन्होंने कहा कि इस परियोजना से बस्तर के विकास को गति मिलेगी. खेती-किसानी और उससे जुड़े रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.

वन अधिनियम , पेसा कानून का रखें ध्यान : अरविंद

पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने कहा कि इस परियोजना के लाभ के बारे में लोगों को बताना होगा. जनसामान्य का विश्वास अर्जित करना होगा.

उन्होंने इस प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन में वन अधिनियम, पेसा कानून एवं वनांचल के लोगों के हितों को ध्यान में रखने की बात कही.

नेताम ने कहा कि इस प्रोजेक्ट से प्रभावित होने वाले गांवों एवं परिवारों की सही-सही जानकारी संधारित की जानी चाहिए.

बैठक में सांसद दीपक बैज, राज्य सभा सांसद फूलोदेवी नेताम सहित सभी विधायकों, जिला पंचायत के अध्यक्षों ने भी इस प्रोजेक्ट को बस्तर अंचल के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए कई उपयोगी सुझाव दिए.

कौन हुआ शामिल

बैठक में विधायक राजमन बेंजाम, विक्रम मंडावी, मनोज मंडावी, संत नेताम, शिशुपाल सोरी, रेखचंद जैन, मोहन मरकाम, देवती कर्मा, जिला पंचायत अध्यक्ष बीजापुर शंकर खुडियाम, जिला पंचायत अध्यक्ष सुकमा हरीश लखमा सहित अन्य जनप्रतिनिधि, अपर मुख्य सचिव जल संसाधन अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, सचिव जल संसाधन अविनाश चंपावत, मुख्यमंत्री सचिवालय में उप सचिव सौम्या चौरसिया सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे

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