शुक्ला और मढ़रिया के बाद अगला नंबर किसका ?

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नेशन अलर्ट.
97706-56789
रायपुर.

प्रवीण शुक्ला व अजीत मढ़रिया के मुख्यमंत्री सचिवालय से निपटने के बाद अब एक सवाल राजनीतिक फिजाओं में तैर रहा है कि अगला नंबर किसका? दरअसल, इस तरह का सवाल पूछने के पीछे बहुत बड़ा कारण मुख्यमंत्री सचिवालय की आपसी खींचतान है.

राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री ने अपने सचिवालय में जिन दो व्यक्तियों को सर्वप्रथम जिम्मेदारी सौंपी थी उनमें प्रवीण शुक्ला व अजीत मढ़रिया का नाम प्रमुखता से लिया जाता था.

दुर्भाग्य से दोनों अब मुख्यमंत्री सचिवालय के कर्मचारी नहीं रह गए हैं. पहले प्रवीण शुक्ला मुख्यमंत्री सचिवालय से हटाए गए. उन्हें वहां से हटाकर पहले राज्य के कृषि मंत्री के अमले में पदस्थ किया गया था.

कृषि मंत्री के साथ भी प्रवीण शुक्ला कोई लंबी पारी नहीं खेल पाए. उन्हें वहां से भी हटाकर उनके मूल विभाग में भेज दिया गया. शुक्ला को क्यूंकर मुख्यमंत्री सचिवालय से हटना पड़ा था अथवा हटाया गया था इस पर लोग दिमाग दौड़ा ही रहे थे कि अगला नाम अजीत मढ़रिया का सामने आ गया.

अजीत मढ़रिया जिन्हें बजरंगी भइय्या के नाम से उनके चाहने वाले पुकारते हैं वह अब मुख्यमंत्री सचिवालय के कर्मचारी नहीं रह गए हैं. पिछले दिनों उन्हें भी अचानक मुख्यमंत्री सचिवालय से हटाने का आदेश जारी हो गया.

अजीत मढ़रिया मुख्यमंत्री सचिवालय से वापस अपनी मूल पद स्थापना में लोकनिर्माण विभाग में भेज दिए गए हैं. इस पर भी सवाल उठ रहा है कि ऐसा क्या कुछ हुआ कि अजीत मढ़रिया ने मुख्यमंत्री सचिवालय में अपना विश्वास खो दिया?

अब सवाल इस बात का बड़ी तेजी से लोगों के बीच उठ रहा है कि शुक्ला व मढ़रिया के बाद अगला नंबर किस अधिकारी-कर्मचारी का होगा जिसे मुख्यमंत्री सचिवालय से बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से निकले हम की तर्ज पर बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा.

इस बारे में नेशन अलर्ट ने अजीत मढ़रिया से बात करने का प्रयास किया. चूंकि उनका मोबाइल नंबर पहले बंद आया और फिर बाद में उन्होंने काल रिसीव ही नहीं की इसके चलते उनसे बात नहीं हो पाई. . . लेकिन कहा तो यह तक जाता है कि मोहतरमा को अजीत मढ़रिया का मुख्यमंत्री सचिवालय में रहना पसंद नहीं आ रहा था इसके चलते वे हटा दिए गए.

बहरहाल, जब तक अजीत मढ़रिया इस विषय पर अपना मुंह नहीं खोलते हैं तब तक इस तरह की किंतु-परंतु वाली कई संभावनाओं को खंगाला जाते रहेगा. इतना तो तय है कि मुख्यमंत्री सचिवालय में सब कुछ ठीक नहीं है और ठीक करने का प्रयास भी नहीं हो रहा है.

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