अधिकारियों से कमरा-कार छुड़वा कर मंडल ने पकड़वा दी स्कूटी !

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जनचर्चा / नेशन अलर्ट

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छत्तीसगढ़ के नए मुख्य सचिव आरपी मंडल नि : संदेह बधाई के पात्र हैं. उन्होंने बिना कुछ किए हुए ऐसा कुछ कर दिया है कि जिसके चलते छत्तीसगढ़ का आम जनमानस मंडल साहब की प्रशंसा के गीत गा रहा है.

जनचर्चा के मुताबिक आरपी मंडल ने इस बार लीक से हटकर काम किया है. उन्होंने न तो अपनी दैनिक दिनचर्या में कोई परिवर्तन लाया और न ही कोई भारी भरकम आदेश किया इसके बावजूद प्रदेश का प्रशासनिक तंत्र उनके पीछे दौडऩे भागने लगा है.

अब लोगों को स्कूटी पर सवार कोरबा की वह कलेक्टर नजर आती हैं जो कि अमूमन आम जनता से दूर रहा करती थी. इसी तरह अब राजनांदगांव के वह कलेक्टर सुबह सुबह सफाई व्यवस्था का जायजा लेते दिखाई दे जाते हैं जो कि अमूमन ऐसा नहीं करते थे.

अब जनता को नगरीय प्रशासन विभाग की वह विशेष सचिव भी स्कूटी पर सवार नजर आती हैं जो कि अमूमन अपनी लाखों की कार में ही चलना, आना-जाना पसंद करती थी.

अब बस्तर के उन कलेक्टर्स-कमिश्रर से यह नहीं पूछा जाता कि नक्सलवाद की क्या स्थिति है बल्कि उन्हें इस बात पर “मंडल सलाह” मिलती है कि कैसे दो गाडिय़ों में बैठकर रायपुर आए और वे आते भी हैं.

यह सब कुछ संभव हुआ है आरपी मंडल के मुख्य सचिव बनने के बाद. मंडल साहब ने प्रशासन को न केवल कसा है बल्कि उसे जवाबदेह बनाने की भी सोच पर काम करना शुरू किया है.

आरपी मंडल वही अफसर है जिन्हें अमूमन जुनूनी कहा जाता है. यह वही आरपी मंडल हैं जिन्होंने बिलासपुर-रायपुर के कलेक्टर रहते हुए वहां का नक्शा खसरा बदलने में बिल्कुल भी देर नहीं की थी.

अब तक सूटेड-बुटेड आईएएस अफसर अथवा चीफ सेक्रेटरी को देखने वाले छत्तीसगढ़ की जनता की सोच भी बदलने लगी है. उसे अब वह मंडल पसंद आने लगे हैं जोकि अलसुबह से अपने काम में लग जाते हैं.

सुबह सुबह वह सैर-तफरी करते हुए सफाई व्यवस्था का जायजा लेते हैं. इसके बाद वह दिनभर बैठकों में व्यस्त हो जाते हैं लेकिन बैठक भी पुराने समय की नहीं बल्कि आज की होती है.

इस समय वह जो बैठक लेते हैं वह उन्हें मंत्रालय के सचिव स्तर के अधिकारियों से लेकर मंत्रालय के चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों से जोड़ जाती है.

मंडल ने कोई बहुत बड़ा संविधान में परिवर्तन नहीं किया है लेकिन उन्होंने टीएन शेषन की याद दिला दी है जिन्होंने चुनाव आयुक्त बनते ही देश को चुनाव क्या और कैसे होता है सिखाया था.

जनचर्चा कहती है कि आरपी मंडल का तौर तरीका ठीक है लेकिन सरकार अथवा उसके शागिर्दों का तौर तरीका यदि सुधर सकता है तो ही मंडल को सकारात्मक नतीजे मिलेंगे.

यदि नहीं सुधरा तो भले ही मंडल असफल हो जाएं लेकिन अपनी छाप छोड़ जाएंगे.

खैर मंडल साहब को जनता का मुख्य सचिव बनने पर बधाई . . . शुभकामनाएं .

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