पिछला चुनाव हार चुके हैं चार पूर्व मुख्यमंत्री

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रांची.

झारखंड विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंक चुका है. आए दिन शह और मात का खेल खेला जा रहा है. इस बार पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के चुनाव लडऩे पर उच्चतम न्यायालय ने रोक लगा दी है. जबकि उनके सहित बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, हेमंत सोरेन ऐसे पूर्व मुख्यमंत्री रहे जो कि पिछला विधानसभा चुनाव हार गए थे.

2014 से 2019 की परिस्थिति अलग है. मुद्दे अलग हैं तो लडऩे वालों की तासीर भी अलग है. 30 नवंबर से 20 दिसंबर के बीच पांच चरणों में झारखंड में चुनाव होने हैं. 81 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव के नतीजे 23 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे.

उल्लेखनीय है कि 2014 में पहली मर्तबा किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ था. भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल आजसू ने तब 42 सीटों पर बेहतरीन जीत दर्ज की थी.

उस वक्त कांग्रेस जहां सिर्फ 6 सीटों पर सिमट गई थी वहीं शिबू सोरेन-हेमंत सोरेन के दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के खाते में महज 19 सीटें आई थी. एक अन्य दल झारखंड विकास मोर्चा ने 8 सीटों पर जीत हासिल की थी.

तब बहुजन समाज पार्टी ने राज्य में पहली मर्तबा जीत का स्वाद चखा था. उस समय 6 ऐसी सीटें थी जो कि अन्य के खाते में गई थी. 2014 का चुनाव राष्ट्रीय जनता दल व जनता दल यूनाइटेड हर हाल में भूल जाना चाहेंगी क्योंकि इस चुनाव में इन्हें एक भी सीट हासिल नहीं हो पाई थी.

इस बार मुख्यमंत्री रघुवर दास जमशेदपुर पूर्व से भाजपा के प्रत्याशी हैं. पिछला चुनाव भी उन्होंने इसी सीट पर जीता था. एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बरहेट से चुनाव लड़ सकते हैं. पिछला चुनाव भी उन्होंने इस सीट पर जीता था जबकि दुमका से वह चुनाव हार गए थे.

झारखंड विकास मोर्चा के प्रमुख व राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी के संबंध में अभी घोषणा नहीं हो पाई है. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि वह धनवार अथवा कोडरमा से चुनाव लड़ सकते हैं. उनके जामताड़ा से भी चुनाव लडऩे की खबरें हैं.

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