दाई के दरबार में क्यों हो रहा छत्तीसगढ़ उपेक्षित ?

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जनचर्चा / नेशन अलर्ट .

पहले राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष हुआ करते थे. उस वक्त राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में नए चेहरों की पूछ परख जबरदस्त तरीके से हुआ करती थी.

लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से किनारा कर लिया. उस वक्त शायद राहुल गांधी की सोच यही रही होगी कि उनके इस्तीफे देने के बाद पार्टी में मुख्यमंत्री से लेकर प्रदेश अध्यक्ष जैसे पदों पर विराजित पदाधिकारियों के भी इस्तीफे उनके समर्थन में होने लगेंगे.

. . . लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. अंतत: राहुल गांधी ने इस्तीफा देने के बाद यह घोषणा कर दी कि वह अब पार्टी की कमान नहीं संभालेंगे. इस दौरान उन्होंने इस बात पर भी पीड़ा जाहिर की थी कि उनके इस्तीफे के पीछे पार्टी में इस्तीफों की झड़ी लग जाएगी जैसी उनकी सोच गलत साबित हुई.

एक दो मर्तबा राहुल गांधी से इस्तीफा वापस लेने की मांग की गई लेकिन वह नहीं माने. इसके बाद नए अध्यक्ष की तलाशी में कांग्रेस जुटी तो पार्टी की एकता तारतार होती नजर आई. थक हारकर कांग्रेस ने अपने अंतरिम अध्यक्ष के रूप में उस सोनिया गांधी को ही चुन लिया जो कि वर्षों तक कांग्रेस की अध्यक्ष रह चुकी थी.

अब सोनिया गांधी जिन्हें कभी कांग्रेसी रहे अजीत जोगी सोनिया दाई के नाम से पुकारते रहे थे , का शासन लौट आया है. इसके साथ ही उन पुराने वरिष्ठ कांग्रेसियों की भी पूछ परख बढ़ गई है जो कि नए नेतृत्व के उभरने के दौरान खुद को उपेक्षित महसूस करने लगे थे.

इसमें सबसे प्रमुख नाम छत्तीसगढ़ का है. यहां कभी भूपेश बघेल प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे. बहुत ज्यादा पुरानी बात नहीं है… तब छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार हुआ करती थी. इस सरकार ने अपनी तीसरी पारी के बाद चौथी पारी में छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने की रणनीति पर काम शुरू किया था.

लेकिन . . . भाजपा की सारी रणनीतियां कांग्रेस के आक्रमक तेवर और भूपेश की सोची समझी चाल के आगे एक के बाद एक फेल होती गई. कांग्रेस ने भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ को जीत लिया. मुख्यमंत्री पद के स्वाभाविक दावेदार बनकर भूपेश बघेल उभरे थे.

राजनीति की किंतु – परंतु वाली खबरों के बीच तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने अंतत: भूपेश बघेल को ही मुख्यमंत्री पद के लिए चुन लिया था. एक समय ऐसा भी था जब साहू समाज के वयोवृद्ध नेता ताम्रध्वज साहू इस चुनाव से नाराज हो गए थे.

खैर . . . ये सब पुरानी बात है. जनचर्चा अब इस बात की हो रही है कि क्यूंकर दाई के दरबार में छत्तीसगढ़ की उपेक्षा होने लगी है? क्यूंकर सोनिया गांधी से मिलने में छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को परेशानी सी महसूस होती है? क्यूंकर भूपेश बघेल को एसपीजी द्वारा उस समय रोक लिया जाता है जब वह सोनिया गांधी से मेल मुलाकात के लिए उनके बंगले पहुंचते हैं?

जनचर्चा बताती है कि छत्तीसगढ़ के इस अपमान पर स्वयं उस भूपेश बघेल द्वारा भी कोई आवाज नहीं उठाई गई जो कि छत्तीसगढिय़ों को स्वाभिमानी बनाने दिन रात एक किए हुए हैं. जनचर्चा अनुसार भूपेश बघेल की आश्चर्यजनक चुप्पी के पीछे कहीं न कहीं कोई न कोई कारण तो जरूर है.

जनचर्चा इस बात की भी हो रही है कि क्यूंकर ऐसे विषय पर भूपेश बघेल के पिताश्री नंदकुमार बघेल भी चुप्पी साधे बैठे हैं जो कि पिछड़ा वर्ग की राजनीति के छत्तीसगढ़ में पुरोधा बनने की कोशिश में लगे रहते हैं.

नंदकुमार बघेल ने भले ही अपने पुत्र मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एसपीजी द्वारा रोके जाने पर भीतर ही भीतर आक्रोश जताया हो लेकिन खुलकर उन्होंने भी उस गांधी परिवार की सुरक्षा व्यवस्था का विरोध करना उचित नहीं समझा जो कि राजनीति में अपने आप को ब्राह्मण बताते फिर रहा है.

यह वही नंदकुमार बघेल हैं जो कि हर समय ब्राह्मणों के खिलाफ खुलकर न केवल बोलते हैं बल्कि उनकी निंदा कर उन्हें अपमानित करने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं. जनचर्चा बताती है कि इसके बावजूद नंदकुमार बघेल अपने पुत्र के अपमान, छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान पर ठेस व छत्तीसगढिय़ों को रोके जाने पर मुंह खोलने भी तैयार नहीं है.

जनचर्चा के इशारे इस ओर भी जाते हैं कि सोनिया गांधी के कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष बनते ही राष्ट्रीय पटल पर मोतीलाल वोरा की पूछ परख बढ़ चुकी है. मोतीलाल वोरा ने एक मर्तबा नंदकुमार बघेल के बयान पर यह कहते हुए टिप्पणी की थी कि कौन नंदकुमार बघेल… मैं किसी नंदकुमार बघेल को नहीं जानता हूं.

ज्ञात हो कि उस वक्त नंदकुमार बघेल ने कवर्धा में ब्राह्मण विधायकों को मंत्री बनाए जाने पर तिखी टिप्पणी की थी. छत्तीसगढ़ प्रदेश में सत्यनारायण शर्मा, अमितेष शुक्ल, अरूण वोरा जैसे भारी भरकम नाम भले ही विधायक बनने में सफल हो गए हैं लेकिन वह चाहकर भी भूपेश बघेल की छत्तीसगढिय़ा सरकार में मंत्री नहीं बन पाए.

अब जबकि छत्तीसगढिय़ा सरकार के मुखिया को गांधी परिवार की बुजुर्ग महिला के द्वार पर उनके सुरक्षाकर्मियों द्वारा रोक दिया गया तो क्या नंदकुमार बघेल जैसे व्यक्ति अब इस पर भी सवाल खड़े करेंगे? क्या नंदकुमार बघेल इस पर भी टिका टिप्पणी करेंगे कि कांग्रेस में गांधी परिवार की जरूरत नहीं रह गई है क्योंकि वह भी स्वयं को ब्राह्मण बताता है?

यक्ष प्रश्र...

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